5 Common Expectations Society has from Women: समाज में महिलाओं से की जाने वाली अपेक्षाएं अक्सर अनुचित और असमान होती हैं। ये अपेक्षाएं न केवल महिलाओं के व्यक्तिगत विकास में बाधा डालती हैं, बल्कि उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। आइए जानते हैं ऐसी पांच प्रमुख चीज़ों के बारे में जो समाज केवल महिलाओं से अपेक्षा करता है।
Social Norms: 5 अपेक्षाएं जो समाज को केवल महिलाओं से होती हैं
1. घर और बच्चों की देखभाल
समाज में एक आम धारणा है कि घर और बच्चों की देखभाल करना महिलाओं की जिम्मेदारी है। इस सोच के चलते महिलाओं पर घरेलू कार्यों और बच्चों की परवरिश का बोझ बढ़ जाता है। जबकि पुरुषों से ये अपेक्षाएं नहीं की जातीं, महिलाओं को यह भूमिका निभाने के लिए मजबूर किया जाता है। इस धारणा से महिलाओं की व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी पर गहरा असर पड़ता है। महिलाएं अक्सर अपनी करियर और अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियों को पीछे छोड़ देती हैं क्योंकि उन्हें घरेलू जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देनी पड़ती है। यह असमानता महिलाओं की व्यक्तिगत विकास और आत्म-सम्मान को प्रभावित करती है।
2. सुंदरता
समाज में महिलाओं से उम्मीद की जाती है कि वे हमेशा सुंदर और आकर्षक दिखें। यह धारणा फिल्मों, विज्ञापनों और सोशल मीडिया के माध्यम से और भी मजबूत होती जा रही है। महिलाओं पर सुंदरता के मानकों को पूरा करने का दबाव होता है, चाहे वह कपड़े पहनने का तरीका हो, मेकअप हो या शारीरिक फिटनेस। इस सोच से महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्हें अपने स्वाभाविक रूप से संतुष्ट होने के बजाय समाज के लगाए गए मानकों के हिसाब से खुद को बदलना पड़ता है। यह दबाव उनके आत्म-सम्मान को कम करता है और उन्हें हमेशा एक आदर्श रूप में बने रहने के लिए प्रेरित करता है।
3. शादी और मातृत्व को प्रायोरिटी
समाज महिलाओं से अपेक्षा करता है कि वे अपने जीवन में शादी और मातृत्व को प्रायोरिटी दें। यह धारणा उनके करियर और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं पर हावी हो जाती है। जब महिलाएं शादी और बच्चों की जिम्मेदारियों को पूरा करने में व्यस्त हो जाती हैं, तो उनके व्यक्तिगत सपने और करियर लक्ष्य पीछे छूट जाते हैं। समाज उन्हें एक आदर्श पत्नी और मां के रूप में देखना चाहता है, और अगर वे इस भूमिका को नहीं निभा पातीं तो उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ता है। यह सोच महिलाओं को उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में बाधाएं उत्पन्न करती है।
4. करियर और एंबीशंस को त्यागना
महिलाओं से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने करियर और एंबीशंस को त्याग दें और परिवार की देखभाल पर ध्यान केंद्रित करें। यह धारणा खासकर तब बढ़ जाती है जब महिलाएं शादीशुदा होती हैं या बच्चों की देखभाल करती हैं। उन्हें अपने सपनों और लक्ष्यों को छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है, ताकि वे घर की जिम्मेदारियों को निभा सकें। इस सोच से महिलाओं के आत्म-सम्मान और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वे खुद को एक सीमित भूमिका में फंसा हुआ महसूस करती हैं और अपने जीवन में असंतोष महसूस करती हैं।
5. हमेशा विनम्र और समर्पित रहना
समाज महिलाओं से अपेक्षा करता है कि वे हमेशा विनम्र और समर्पित रहें। यह धारणा उन्हें अपने विचारों और इच्छाओं को व्यक्त करने से रोकती है। उन्हें अक्सर अपने आत्मसम्मान को पीछे छोड़कर दूसरों की खुशी और संतोष के लिए काम करना पड़ता है। इस सोच से महिलाओं की स्वतंत्रता और आत्म-सम्मान प्रभावित होता है। वे अपने जीवन में अपनी इच्छाओं और जरूरतों को पीछे छोड़ देती हैं और समाज के मानकों के अनुसार खुद को ढालने की कोशिश करती हैं। यह असमानता महिलाओं की स्वतंत्रता और आत्म-सम्मान को कम करती है।
समाज की इन अपेक्षाओं से महिलाओं पर अनावश्यक दबाव पड़ता है और उनकी स्वतंत्रता सीमित होती है। महिलाओं को अपने जीवन में संतुलन बनाने और अपने सपनों और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का अधिकार है। समाज को महिलाओं के प्रति अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए और उन्हें उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में स्वतंत्रता और समानता देने की दिशा में काम करना चाहिए। महिलाओं के योगदान को सम्मानित करना और उनकी क्षमताओं को मान्यता देना समाज के लिए महत्वपूर्ण है।