Women & Condoms: भारतीय समाज में लोगों के लिए अभी भी यह मानना मुश्किल है कि महिलाओं की भी यौन इच्छाएं हो सकती हैं। उन्हें इस बात को पचाना मुश्किल हो जाता है कि एक लड़की सेक्शुअली एक्टिव हो सकती है। हमारे समाज में यह भी एक बहुत बड़ा स्टिग्मा है कि सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल सिर्फ लड़के की तरफ से ही किया जा सकता है। अगर कभी लोग आपके पास में कंडोम रखा देख ले तो फिर आपको जज किया जाना तय है। महिलाओं को कंडोम कैरी करने के लिए बिल्कुल भी शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए। क्या सेक्स करना अपराध है या फिर दोनों पार्टनर्स की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह सेफ सेक्स करें?
महिलाओं को कंडोम इस्तेमाल करने पर क्यों जज किया जाता है?
महिलाओं का कंडोम इस्तेमाल करना अभी भी हमारे समाज में नॉर्मलाइज नहीं किया गया है। कुछ लोग तो यह भी नहीं जानते हैं कि महिलाओं के लिए एक अलग से कंडोम आता है जिन्हें हम 'फीमेल कंडोम' कहते हैं। यह भी मेल कंडोम की तरह ही काम करता है। जब एक महिला कंडोम इस्तेमाल करती है, यह सिर्फ एक प्रोटेक्शन टूल नहीं है। यह महिला को एक सेक्सुअल एजेंसी देता है कि वह पार्टनर को सुरक्षा के आधार पर सेक्स करने की इजाजत भी दे सकती है और नहीं भी दे सकती। अगर किसी इंसान को किसी से STD होने का खतरा हो सकता है तो क्या उसे इतना भी अधिकार नहीं है कि वह अपनी सुरक्षा इस्तेमाल कर सके। क्या किसी महिला को आवश्यक सावधानी का ध्यान रखने की जिम्मेदारी भी नहीं है?
हमें इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि भारत में टीन प्रेगनेंसी एक बहुत बड़ा मुद्दा है। कंडोम का इस्तेमाल टीन प्रेगनेंसी में कम करने के लिए हो सकता है। सबसे अच्छी बात यह होती है कि इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है। कंडोम को इस्तेमाल करने के लिए आपको किसी डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन या फिर उनकी परमिशन की जरूरत नहीं पड़ती है। इसका इस्तेमाल करना वूमेन की मेंस्ट्रूअल साइकिल को भी इफेक्ट नहीं करता है। अगली बार जब भी आप मेडिकल स्टोर में जाएं तब आप आत्मविश्वास के साथ इस बात को कहे कि भैया मुझे एक कंडोम देना! क्योंकि यह कोई जुर्म नहीं है बस अपने लिए लिया गया एक कदम है।