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सूधा मूर्ति का एक बॉब कट और समाज का हड़कंप: क्या महिलाएं अपने बालों पर भी स्वतंत्र नहीं?

"एक दिन मैंने अपने बाल कटवाए," सुधा मूर्ति ने याद करते हुए कहा, "और वो खबर बन गई।" उन्होंने बताया कि पारंपरिक लंबे बालों से अलग, बॉब कट अपनाने के उनके फैसले से रिश्तेदारों और पूरे समाज में हलचल मच गई।

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Vaishali Garg
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Sudha Murty on Facing Menopause

Sudha Murty's Bob Haircut: A Breaking News Story? Why Women's Hair Choices Still Challenge Norms : "एक दिन मैंने अपने बाल कटवाए," सुधा मूर्ति ने याद करते हुए कहा, "और वो खबर बन गई।" उन्होंने बताया कि पारंपरिक लंबे बालों से अलग, बॉब कट अपनाने के उनके फैसले से रिश्तेदारों और पूरे समाज में हलचल मच गई।

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शैली चोपड़ा द्वारा होस्ट किए गए एक नए टॉक शो "The Rule Breaker Show" में उन लोगों को सम्मानित किया जाता है जो सामाजिक मानदंडों को चुनौती देती हैं और अपना रास्ता खुद बनाते हैं। शो की पहली अतिथि के रूप में, प्रसिद्ध परोपकारी, लेखिका और इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा सुधा मूर्ति ने रूढ़ियों को तोड़ने और परंपराओं को चुनौती देने की अपनी अद्भुत यात्रा को साझा किया।

जब बालों ने बनाई खबर, तोड़ा समाज का दबाव

मगर मूर्ति अपने फैसले पर अडिग रहीं, अपने व्यक्तित्व और स्वायत्तता का दावा करते हुए कहा, "मैं एक व्यक्ति हूँ। मैं अपने बाल कटवाना चाहती हूँ, बस इतना ही।"

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उनका साहसी रुख दर्शकों के बीच गूंज उठा, जिससे कॉमेंट सेक्शन में सामाजिक अपेक्षाओं, लैंगिक मानदंडों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बारे में चर्चा शुरू हो गई।

इसके अलावा, उनके बाल कटवाने के फैसले को लेकर राष्ट्रीय समाचार में हंगामा मचाने का उनका खुलासा उस निरंतर संघर्ष पर प्रकाश डालता है जो महिलाओं को स्वायत्तता का दावा करने और अपने विकल्पों को निर्धारित करने वाले पुराने परंपरागत मानदंडों को चुनौती देने के लिए करना पड़ता है। समाज महिलाओं के बालों की लंबाई पर ही क्यों मानदंड थोपता है, उन्हें खुद निर्णय लेने की स्वतंत्रता क्यों नहीं देता? कुछ विशेष मानदंडों का पालन करने के लिए, यहाँ तक कि उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति के संबंध में, महिलाओं को मजबूर करने की परंपरा को क्या बनाए रखता है?

सुधा मूर्ति का अनुभव हमें एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि समाज में बदलाव कितना धीमा होता है। बालों जैसी छोटी चीज़ को लेकर भी इतना हंगामा इस बात का द्योतक है कि हमें कितनी दूर जाना है। महिलाओं को अपने शरीर और अपने फैसलों पर पूरा हक़ होना चाहिए, चाहे वो बाल कटवाना हो या कुछ और। सुधा मूर्ति ने न केवल अपने लिए, बल्कि हर महिला के लिए एक मिसाल कायम की है। हमें भी अपनी पसंद पर चलने की हिम्मत करनी चाहिए और समाज के दबावों से आगे बढ़ना चाहिए। तभी हम सच में सशक्त और स्वतंत्र कहला पाएंगी।

आप इस विषय पर अपनी राय क्या रखते हैं? कमेंट में जरूर बताएं।

शैली चोपड़ा Sudha Murty The Rule Breaker Show Rule Breaker Bob Haircut
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