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हम महिलाओं को उनके Relationship Status पर क्यों जज करते हैं?

टॉप-विडियोज़: महिलाओं को उनके रिलेशनशिप स्टेटस पर जज करने की प्रवृत्ति हमारे समाज में गहराई से बसी हुई है। समाज को महिलाओं के प्रति अपनी दृष्टि को बदलना होगा।

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Trishala Singh
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Why We Judge Women Based on Their Relationship Status: महिलाओं को उनके रिलेशनशिप स्टेटस पर जज करने की प्रवृत्ति हमारे समाज में गहराई से बसी हुई है। यह प्रवृत्ति पुरानी पितृसत्तात्मक सोच और सामाजिक मान्यताओं से उत्पन्न होती है। यह समस्या केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि दुनियाभर में महिलाओं के प्रति इसी प्रकार की सोच पाई जाती है। इस लेख में, हम जानेंगे कि आखिर क्यों महिलाओं को उनके रिलेशनशिप स्टेटस पर जज किया जाता है और इसके पीछे क्या कारण हैं।

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हम महिलाओं को उनके Relationship Status पर क्यों जज करते हैं?

पितृसत्तात्मक समाज की सोच

हमारे समाज में पितृसत्ता की जड़ें बहुत गहरी हैं। पितृसत्तात्मक सोच के अनुसार, पुरुष ही परिवार का प्रमुख होता है और महिलाओं की भूमिका केवल घरेलू कार्यों और बच्चों की देखभाल तक सीमित होती है। इस सोच के कारण, महिलाओं को उनके रिलेशनशिप स्टेटस पर जज करना आम हो गया है। समाज का मानना है कि महिलाओं का जीवन केवल शादी और परिवार के इर्द-गिर्द घूमता है और उनका मूल्य उनके रिलेशनशिप स्टेटस से निर्धारित होता है।

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सामाजिक अपेक्षाएँ और दबाव

समाज में महिलाओं पर कई सामाजिक अपेक्षाएँ और दबाव होते हैं। उन्हें यह सिखाया जाता है कि उनकी पहचान और सामाजिक प्रतिष्ठा उनके पति और परिवार से जुड़ी होती है। अविवाहित या तलाकशुदा महिलाओं को समाज अक्सर कमतर समझता है और उन्हें तिरस्कार की नजर से देखा जाता है। इस प्रकार की सोच से महिलाएं अपने आप को असुरक्षित और हीन महसूस करती हैं।

मीडिया और फिल्में

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मीडिया और फिल्मों का भी इसमें बड़ा योगदान है। फिल्मों और टीवी शो में अक्सर महिलाओं को एक 'आदर्श' पत्नी या प्रेमिका के रूप में दिखाया जाता है। उनकी सफलता और खुशी को उनके रिलेशनशिप स्टेटस से जोड़ा जाता है। यह दिखाया जाता है कि एक महिला तभी पूरी होती है जब उसके जीवन में एक पुरुष होता है। इस प्रकार के संदेश समाज में गहरी छाप छोड़ते हैं और लोगों की सोच को प्रभावित करते हैं।

व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता

समाज में महिलाओं की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता को अभी भी पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया गया है। यदि कोई महिला अविवाहित है या तलाकशुदा है, तो उसे अक्सर उसके निर्णयों और जीवनशैली के लिए जज किया जाता है। समाज यह मानने को तैयार नहीं होता कि एक महिला अपने जीवन के बारे में खुद निर्णय ले सकती है और वह अपने बलबूते पर खुश रह सकती है।

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शिक्षा और जागरूकता की कमी

शिक्षा और जागरूकता की कमी भी एक बड़ा कारण है। लोगों को यह समझने की आवश्यकता है कि एक महिला की पहचान उसके रिलेशनशिप स्टेटस से नहीं, बल्कि उसकी योग्यता, क्षमताओं और उपलब्धियों से होनी चाहिए। इसके लिए समाज को शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदलने की आवश्यकता है।

महिलाओं को उनके रिलेशनशिप स्टेटस पर जज करना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि यह उनकी स्वतंत्रता और आत्म-सम्मान के खिलाफ भी है। हमें अपनी सोच में बदलाव लाना होगा और महिलाओं को उनके निर्णयों के लिए सम्मान देना होगा। यह समझना आवश्यक है कि हर महिला की अपनी अलग पहचान और महत्व होता है, जो उसके रिलेशनशिप स्टेटस से परे होती है। समाज को महिलाओं के प्रति अपनी दृष्टि को बदलना होगा और उन्हें समान अधिकार और सम्मान देना होगा। जब तक हम ऐसा नहीं करेंगे, तब तक महिलाओं को उनके रिलेशनशिप स्टेटस पर जज करने की यह प्रवृत्ति समाप्त नहीं होगी।

आत्मसम्मान Relationship Status Judge
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