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अकेले घूमने का ख्याल सुनते ही कई लोगों को डर लगने लगता है, खासकर हमारे देश की लड़कियों को क्योंकि हमारे समाज में आज भी बहुत सी महिलाओं के लिए ये सिर्फ एक ख्वाब बनकर रह जाता है क्योंकि न उनके पास उतनी आज़ादी होती है, न आत्मविश्वास और न ही वो हिम्मत जो इस एक कदम के लिए चाहिए। अक्सर उन्हें ऐसे पाला-पोसा जाता है कि "अकेले मत जाओ", "लड़कियाँ बाहर सुरक्षित नहीं हैं", "इतनी भी क्या ज़रूरत है घूमने की?"... और फिर धीरे-धीरे हमें यकीन होने लगता है कि शायद सच में हम ये सब अकेले नहीं कर सकते। इसके साथ ही फाइनेंशियल आज़ादी का न होना, समाज के ताने और 'लोग क्या कहेंगे' वाला डर भी साथ चलता है-
जानिए कैसे अकेले घूमना बोरिंग नहीं बल्कि खुद को जानने का सबसे खूबसूरत तरीका है
लेकिन क्या अकेले घूमना वाकई बोरिंग होता है?
शायद शुरुआत में लगे कि हाँ, सब कुछ खुद करना पड़ेगा, किससे बात करूंगी, क्या करूँगी... लेकिन जैसे-जैसे आप कदम बढ़ाती हैं, वैसे-वैसे खुद के लिए एक नया दरवाज़ा खुलता है।
जब हर फैसला आप खुद लेती हैं, रास्ते में कोई मदद के लिए नहीं होता और फिर भी आप सब मैनेज कर लेती हैं, तो आपको पता चलता है कि आप अपने बारे में कितना कम जानती थीं।
अपनी मर्जी से सब कुछ करना
जब हम ग्रुप में ट्रैवल करते हैं, तो सबके हिसाब से चलना पड़ता है कभी किसी की मर्जी से शॉपिंग, तो कभी किसी और की वजह से किसी जगह का प्लान कैंसिल। लेकिन जब आप अकेली होती हैं, तो पूरा दिन आपके कंट्रोल में होता है। चाहें पूरा दिन म्यूज़ियम में बिता लो या बीच पर लेटकर सिर्फ आसमान ताकते रहो, आपको कोई नहीं टोकेगा। आप अपने साथ अपने मूड और अपने स्पेस में होती हैं।
औरतों को क्यों करनी चाहिए सोलो ट्रैवल?
हर बार जब आप किसी अनजान जगह पर अकेली जाती हैं, किसी अनजान रास्ते पर चलती हैं, और फिर भी खुद को सुरक्षित और सक्षम पाती हैं तो आपमें एक अनोखा आत्मविश्वास जन्म लेता है। आपको एहसास होता है कि आप दुनिया का सामना कर सकती हैं। नए दोस्त बनाना, अजनबियों से बात करना, उनकी ज़बान, उनकी सोच को समझना ये सब आपको और ज़्यादा ओपन और फ्लेक्सिबल बनाता है। और यही सीख तो ज़िंदगी के हर रिश्ते में आपके काम आती है।
अगर आपने कभी सोचा है कि "क्या मैं अकेले घूम सकती हूँ?"तो जवाब है, हाँ... और आपको कम से कम एक बार ज़रूर करना चाहिए। क्योंकि ये सिर्फ ट्रैवल नहीं होता, ये अपने आप से मिलने का सफ़र होता है।