Viral Video: देखें, रूसी लड़की का कन्नड़ कविता 'Bannada Hakki' गाने का दिल छू लेने वाला वीडियो

सोशल मीडिया पर एक बेहद दिल को छू लेने वाली वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें रूस की एक लड़की अपनी भारतीय दोस्त के साथ साइकिल चलाते हुए कन्नड़ कविता "Bannada Hakki" गा रही है।

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Rajveer Kaur
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Russian Girl Sings Kannada Poem with Indian Friend in Viral Bengaluru Video

इंटरनेट पर बहुत सी चीज़ें ऐसी होती हैं जो समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। वहीं, इंस्टाग्राम का एक सकारात्मक पहलू भी है। स्क्रॉल करते समय कभी-कभी ऐसी वीडियो या पोस्ट सामने आ जाती हैं जिन्हें देखकर दिल भर आता है, खुशी होती है और चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। ऐसी ही एक वीडियो वायरल हो रही है जिसमें एक रूसी लड़की अपनी भारतीय दोस्त के साथ मिलकर एक कविता गा रही है, और लोगों से उन्हें खूब प्यार मिल रहा है।

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Viral Video: देखें, रूसी लड़की का कन्नड़ कविता 'Bannada Hakki' गाने का दिल छू लेने वाला वीडियो

सोशल मीडिया पर एक बेहद दिल को छू लेने वाली वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें रूस की एक लड़की अपनी भारतीय दोस्त के साथ साइकिल चलाते हुए कन्नड़ कविता "Bannada Hakki" गा रही है। इस वीडियो को लोगों का खूब प्यार मिल रहा है। यह वीडियो यह दिखाता है कि दोस्ती के लिए न तो एक जैसी भाषा ज़रूरी है और न ही एक जैसा रंग। यह एक भाव होता है, जो दो लोगों को एक-दूसरे से जोड़ता है।

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यह वीडियो मुख्य रूप से रूसी लड़की की मां ने सोशल मीडिया पर साझा किया था। भारतीय लड़की की मां ने जानकारी दी कि दोनों एक ही कक्षा में पढ़ती हैं और पिछले तीन सालों से गहरी दोस्त हैं। वीडियो में दोनों साइकिल चलाते हुए लोकप्रिय कन्नड़ कविता "Bannada Hakki" गा रही हैं। इस पोस्ट में वीडियो से पहले कुछ तस्वीरें भी साझा की गई थीं, जो उनके पुराने पलों को दिखाती हैं जब उनका परिवार हाल ही में शिफ्ट हुआ था।वीडियो के साथ मां ने कैप्शन लिखा, "भारत में 3 साल। गर्लफ्रेंड सहपाठी। दोस्ती के 3 साल।"

लोगों के रिएक्शन 

इस वीडियो को Reddit पर भी शेयर किया गया जहां एक यूज़र ने लिखा, "बेंगलुरु में रहने वाली एक रूसी बच्ची अपनी स्थानीय दोस्त के साथ कन्नड़ कविता गा रही है। यह देखना कितना अच्छा है! विदेशियों ने भी कन्नड़ सीखी है, हमारी भाषा के प्रति और अधिक प्रेम और करुणा फैलाने का आपका क्या बहाना है?" 

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एक अन्य यूज़र ने कहा, "मैंने दो साल की उम्र में अपनी मातृभाषा के साथ कन्नड़ सीखी थी। लेकिन ज़्यादातर प्रवासी तकनीकी केंद्रों या ऐसे इलाकों में काम करते हैं जहाँ कन्नड़ कम ही लोग बोलते हैं, इसलिए वे इसे सीखने के लिए कभी भी पूरी तरह तैयार नहीं होते।"