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Credit: The New Indian Express
Russian Woman Found Living in Gokarna Cave with Daughters Faces Deportation After 8 Years Without Visa: एक अजीब लेकिन वायरल कहानी में, 40 साल की रूसी महिला नीना कुटीना कर्नाटक के गोकर्ण में जंगल की एक गुफा में अपनी दो बेटियों, 6 साल की प्रेमा और 4 साल की अमा के साथ रहती हुई मिलीं। लगभग आठ साल से बिना किसी कानूनी दस्तावेज़ या स्थायी ठिकाने के जी रही कुटीना की कहानी ने प्रशासन को चौंका दिया और सोशल मीडिया पर काफी चर्चा बटोरी।
कर्नाटक की Gokarna Cave में ज़िंदा मिली रूसी महिला, बोलीं 'हम मर नहीं रहे, बस प्रकृति के साथ जी रहे हैं'"
नीना जंगलों तक कैसे पहुंचीं?
नीना कुटीना पहली बार अक्टूबर 2016 में बिज़नेस वीज़ा पर भारत आईं और कुछ समय गोवा में रहीं। अप्रैल 2017 में वीज़ा खत्म होने के बाद भी वह भारत में ही रुक गईं। 2018 में उन्होंने एक बार के लिए Exit Permit लिया और नेपाल चली गईं, लेकिन फिर वापस भारत लौट आईं और बिना किसी वैध दस्तावेज़ के रहने लगीं।
धीरे-धीरे उन्होंने समाज से दूरी बना ली और गोकर्ण के रामतीर्थ पहाड़ियों के पास जंगल को अपना घर बना लिया। वहाँ उन्होंने ध्यान, योग और आत्मनिर्भर जीवन अपनाया और अपनी दो बेटियों की परवरिश जंगल में ही की।
A 40-year-old Russian woman, Mohi, and her children (6 and 4) were found in a cave In Uttara Kannada’s Ramatirtha hills where they have taken shelter to seek spiritual peace. The police rescued them after they found tejm during a rotune patrol post landslide incident and a… pic.twitter.com/p6K08AbEzH
— Ashish (@KP_Aashish) July 12, 2025
बचाव दल परिवार की हालत देख हैरान
जब बचाव दल वहां पहुँचा, तो वे परिवार की रहने के ढंग को देखकर हैरान रह गए। एक चट्टानी गुफा को प्लास्टिक की चादरों से ढककर घर बनाया गया था, जहाँ इंस्टेंट नूडल्स, कुछ आध्यात्मिक मूर्तियाँ और रूसी भाषा की किताबें रखी थीं।
भारी बारिश वाले इस इलाके में जंगली जानवरों और भूस्खलन के खतरे के बावजूद, कुटीना ने कहा कि उसे इंसानों के मुकाबले प्रकृति के बीच ज़्यादा सुरक्षित महसूस होता है।
उसने पुलिस से कहा, “साँप हमारे दोस्त हैं। जब तक हम उन्हें परेशान नहीं करते, वे हमें नुकसान नहीं पहुँचाते।”
जानवरों से नहीं, बल्कि इंसानों से डर लगता है।
कुटीना का मानना था कि आध्यात्मिक ऊर्जा उनके परिवार की रक्षा करती है, और उसने ज़ोर देकर कहा कि उसे डर जानवरों से नहीं, बल्कि इंसानों से लगता है।
कुटीना ने अपनी बेटियों की उपेक्षा या किसी तरह के खतरे की बातों को साफ़ तौर पर नकार दिया। उन्होंने कहा, "हम जंगल के प्राकृतिक माहौल में रहने का अच्छा अनुभव ले रहे थे। हम मर नहीं रहे थे, और मैं अपनी बेटियों को जंगल में मरने के लिए नहीं लाई थी। उन्हें कभी बुरा नहीं लगा, वो बहुत खुश थीं। वे झरनों में तैरती थीं, खेलती थीं, उनके पास सोने के लिए अच्छी जगह थी। उन्हें कला सीखने का मौका मिला। हम मिट्टी से चीज़ें बनाते थे, पेंटिंग करते थे। हम अच्छा और स्वादिष्ट खाना खाते थे। मैं गैस पर खाना बनाती थी, जो उन्हें बहुत पसंद आता था।"
रूसी महिला के बारे में प्रशासन को कैसे पता चला
9 जुलाई को भूस्खलन की चेतावनी के बाद गश्त कर रहे वन कर्मचारियों को गुफा में ध्यान करती नीना कुटीना और उनकी बेटियां दिखीं। इसके बाद उन्हें पहले कुमता के आश्रम, फिर कारवार के सरकारी शेल्टर और अब तुमकुरु के एक बंद केंद्र में रखा गया है, जहां रूसी दूतावास के साथ मिलकर उन्हें वापस भेजने की तैयारी हो रही है।
Foreigner Act के खिलाफ कार्रवाई
कुटीना वीज़ा खत्म होने के बाद आठ साल तक भारत में रहीं। अब उनके खिलाफ विदेशी कानून के तहत कार्रवाई चल रही है।
अधिकारियों ने बताया कि भारत में जन्मे उनके बच्चे भी कानून के हिसाब से विदेशी माने जाते हैं। जब तक रूसी दूतावास यात्रा के लिए ज़रूरी कागज़ जारी नहीं करता, तब तक परिवार सरकारी हिरासत में ही रहेगा।