How To Develop Reading Habit In Kids: आजकल के बच्चों से यही शिकायत रहती है कि वे ज्यादा पढ़ते नहीं है लेकिन पढ़ना बहुत जरूरी है। जब तक हम पढ़ना शुरू नहीं करेंगे तब तक हम अपने अंदर को नहीं जान पाएंगे। हमें पता नहीं चलेगा कि हम क्या हैं। हमारे अंदर से धैर्य भी इसलिए कम होता जा रहा है क्योंकि हमने पढ़ना छोड़ दिया है। आजकल के समय में आसपास बहुत कम लोग दिखाई देते हैं जो सच में पढ़ते हैं। इसमें कोई शक़ नहीं है कि पढ़ना जरूरी है। आप किसी भी माध्यम से पढ़ सकते हैं। चलिए जानते हैं कि कैसे पेरेंट्स अपने बच्चों को रीडिंग हैबिट लगवा सकते हैं?
बच्चे को रीडिंग की आदत कैसे डालें?
खुद पढ़ना शुरू करें
अगर आप एक पैरेंट हैं और चाहते हैं कि आपका बच्चा पड़े तो आप उसके सामने किताबों को पढ़ाना शुरू करें या फिर अगर आपको पढ़ने की आदत नहीं है तो सबसे पहले आप पढ़ना शुरू करें। इससे बच्चा देखकर सीखेगा। बच्चा अपने आसपास की चीजों को ऑब्जर्व करता है और उनसे ही सीखता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप उसके लिए रोल मॉडल बने और घर में एक ऐसा माहौल हो जहां पर पढ़ना एक आम आदत है।
जबरदस्ती मत करें
आप बच्चे को समय दें और उसे उसे अपने हिसाब से एक्सप्लोर करने दें। अगर आप बच्चे को यह महसूस करवाएंगे कि पढ़ना जरूरी है तो फिर बच्चा उसे एक फॉर्मेलिटी के रूप में ही करेगा। आपको उसे पढ़ने का महत्व समझाना है। उसे यह पता होना चाहिए कि अगर वह पढ़ रहा है तो उसके क्या फायदे मिल सकते हैं या फिर यह उसके लिए क्यों जरूरी है. अगर वह सिर्फ इसलिए पढ़ रहा है कि आप उसे पर जोर लगा रहे तो फिर उसका कोई फायदा नहीं है।
गाइड मत करें
बच्चे को गाइड मत करें कि उसे क्या पढ़ना चाहिए। उसे खुला छोड़ दे और अलग-अलग टॉपिक को एक्सप्लोर करने दें। आप बचपन से ही उसे कॉमिक बुक या स्टोरी बुक्स के साथ इंट्रोड्यूस करवा सकते हैं। इससे बच्चों को पता चल जाएगा कि पढ़ने क्या होता है। धीरे-धीरे बच्चा खुद ही एक्सप्लोर करने लगेगा कि उसे किस Genre में पढ़ना अच्छा लगता है या फिर उसे किस माध्यम से पढ़ना अच्छा लगता है। इससे बच्चे को रीडिंग करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी और वह अपने आप चीजों को समझने लगेगा। उसके ऊपर कोई प्रेशर नहीं बनेगा।
रूटीन बनाएं
बच्चे की रीडिंग रूटीन बनाएं और उसमें आप उसे ज्वाइन भी करें जैसे आप दिन में एक समय ऐसा रख सकते हैं जहां पर आप और बच्चे बैठकर सिर्फ पढेंगे। बहुत सारे घरों में मूवी टाइम का या फिर साथ में खाना खाने का एक रूटीन होता है वैसे ही आप एक किताबों को पढ़ने का भी समय सेट कर सकते हैं। इसमें आप यह प्रेशर मत दें कि बच्चे को सिर्फ बुक से ही पढ़ना चाहिए और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के इस्तेमाल से पढ़ने से आंखें खराब होती है। आज के समय की जनरेशन को इलेक्ट्रॉनिक चीज ज्यादा समझ आती है बजाय इसके कि वह ट्रेडिशनल चीजों को फॉलो करें।