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How Social Media Took Away Our Real Beauty, Understand Its Impact and the Truth Behind It: आज का समय सोशल मीडिया का है, जहां लोग इंस्टाग्राम और स्नैपचैट जैसे प्लेटफॉर्म्स पर अपनी तस्वीरें साझा करना पसंद करते हैं। मगर इन तस्वीरों में असली चेहरा नहीं, फिल्टर्स की चमक दिखती है, परफेक्ट फेस शेप, नर्म त्वचा, बेदाग लुक सवाल ये है कि क्या ये सच है? क्या हम अपनी असली खूबसूरती और पहचान को फिल्टर्स में खोते जा रहे हैं? इस लेख में हम जानेंगे कि सोशल मीडिया और फिल्टर्स ने हमारी त्वचा और आत्म-छवि पर क्या असर डाला है।
Skin Textures vs. Filters: सोशल मीडिया ने कैसे छीनी हमारी असल खूबसूरती, जानें इसके असर और सच्चाई
सोशल मीडिया फिल्टर्स
सोशल मीडिया पर ज्यादातर चेहरे फिल्टर्स की मदद से खूबसूरत दिखते हैं। ये फिल्टर्स त्वचा को बेदाग, चिकनी और चमकदार बना देते हैं, जिससे पिंपल्स, झाइयां या अन्य असलियत छिप जाती है। धीरे-धीरे लोग इन्हीं बनावटी तस्वीरों को असली सुंदरता समझने लगते हैं। लेकिन जब वे बिना फिल्टर के खुद को आईने में देखते हैं, तो आत्मविश्वास घटता है और खुद से असंतोष पैदा होता है। खासकर युवाओं में यह सोच मानसिक स्वास्थ्य और बॉडी इमेज से जुड़ी समस्याओं को बढ़ावा देती है।
असलियत की स्वीकृति
एक इंसानी त्वचा में कुछ टेक्सचर होते ही है। जैसे पिंपल्स, ओपन पोर्स, झाइयां आदि। ये बिल्कुल सामान्य हैं और जीवन के ही हिस्से हैं। यह हमारी जिंदगी के अनुभव और शरीर के बदलाव को बताते हैं। असली खूबसूरती इन्हीं अनुभवों को अपनाने में है, न कि उन्हें छिपाने में। इसके साथ ही, हर बार फिल्टर्स से खुद को बिल्कुल परफेक्ट दिखाने की आदत से हम अपने असली रूप से नाखुश रहने लगते हैं। धीरे-धीरे यह सोच हमारे आत्म-सम्मान को कमजोर कर देती है और हमें लगता है कि हम दूसरों से कम हैं।
असली सुंदरता को अपनाएं
सोशल मीडिया का समझदारी से इस्तेमाल ज़रूरी है। यह एक ताकतवर और बहुत कम आने वाला प्लेटफार्म है। लेकिन अगर हम सिर्फ फिल्टर वाली दुनिया को ही सच मानेंगे, तो खुद से दूर हो जाएंगे। बेहतर यही होगा कि हम ऐसे लोगों को फॉलो करें जो बिना फिल्टर और झिझक के अपनी असली खूबसूरती दिखाते हैं। आज कई इंफ्लुएंसर्स बिना मेकअप, स्किन टेक्सचर और स्किन प्रॉब्लम्स को दिखा रहे हैं ताकि यह संदेश जाए कि रियल स्किन भी सुंदर होती है। हमें भी इस सोच को अपनाना चाहिए।