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(Credit : Mangalore Today )
Unattractive: आप बिल्कुल सही कह रहे हैं कि आम तौर पर समाज में महिलाओं के चेहरे पर फेशियल हेयर को खूबसूरती के लिहाज से आदर्श नहीं माना जाता। इसकी वजहें जटिल हैं, जिनमें गहरे बैठे सामाजिक पूर्वाग्रह, हार्मोनल कारक और निरंतर विकसित हो रहे सौंदर्य मानदंड शामिल हैं।
आइए 5 कारणों को गहराई से समझते हैं
1. लिंग आधारित सौंदर्य की परिभाषा
सदियों से चले आ रहे सामाजिक निर्माणों ने महिलाओं की सुंदरता को एक खास सांचे में ढालने का काम किया है। इस परिभाषा में कोमल, मासूम और मातृत्व की छवि को तवज्जो दी जाती है। इसमें चिकना, बाल रहित चेहरा भी एक अहम चीज मानी जाती है। किसी भी तरह का फेशियल हेयर इस छवि से भिन्न माना जाता है, जिससे ये धारणा बनती है कि ये बाल महिलाओं पर आकर्षक नहीं लगते।
2. मीडिया और पॉप कल्चर का प्रभाव
फिल्मों, विज्ञापनों और सोशल मीडिया जैसे माध्यमों का व्यापक प्रभाव है कि हम सुंदरता को कैसे देखते हैं। मनोरंजन जगत में अभिनेत्रियों को हमेशा फ्लॉलेस, साफ-सुथरे चेहरों के साथ ही दिखाया जाता है। ये लगातार प्रदर्शन इस बात को ही मजबूत करता है कि यही असली खूबसूरती है और महिलाओं पर फेशियल हेयर होना इस आदर्श से दूर ले जाता है।
3. हार्मोनल असंतुलन और स्वास्थ्य चिंताएं
कुछ महिलाओं में चेहरे पर अनचाहे बालों का आना हार्मोनल असंतुलन का संकेत हो सकता है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) जैसी स्थितियों में चेहरे पर बालों का बढ़ना एक आम लक्षण है। ऐसे मामलों में ये बाल महिलाओं के लिए असहजता का कारण बन सकते हैं और वो इन्हें हटाना चाहती हैं। स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं के कारण भी महिलाएं फेशियल हेयर को खत्म करने का विकल्प चुन सकती हैं।
4. विकासशील सौंदर्य बोध
यह भी सच है कि सौंदर्य के मानदंड लगातार बदल रहे हैं। आजकल शरीर के अनचाहे बालों को हटाने पर जोर देने वाले मानदंडों को चुनौती दी जा रही है। बॉडी पॉजिटिविटी मुहिम के तहत महिलाएं अपने शरीर को उसकी नैचुरल अवस्था में स्वीकार करने की बात कर रही हैं। इस आंदोलन का असर चेहरे के बालों को लेकर भी नजर आ सकता है। भविष्य में हो सकता है कि समाज महिलाओं के चेहरे पर नेचुरल हेयर को लेकर अधिक सहज रुख अपनाए।
5. व्यक्तिगत पसंद और आत्म-अभिव्यक्ति
यह याद रखना जरूरी है कि आकर्षण काफी हद तक व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता है। हो सकता है कि कुछ लोगों को महिलाओं पर हल्का फेशियल हेयर पसंद आए, जो मौजूदा सामाजिक धारणाओं को तोड़ता है। आखिरकार खूबसूरती तो आंखों के देखने वाले की नजर में होती है। कुछ महिलाएं चेहरे पर बालों को अपनी आत्म-अभिव्यक्ति का जरिया भी मानती हैं और उन्हें इसकी वजह से असहजता नहीं होती।
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