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महिलाएँ मर्दों से कम खुश है ऐसा रिसर्च कहती है लेकिन ऐसा क्यों है? आज के समय महिलाओं के पास पहले से ज़्यादा मौक़े फिर भी इसका क्या कारण है? आज की महिला में तनाव, डिप्रेशन, ग़ुस्सा, अकेलापन ज़्यादा हो गया है। आज हम इसके कारणों के बारे में जानेंगे-
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वे में पाया गया कि ज्यादातर अमेरिकी महिलाएं इस बात से नाखुश हैं कि समाज उनके साथ कैसा व्यवहार करता है।
महिलाओं का मर्दों से कम खुश होना जाने ऐसी 4 चीजें जो आप कर सकती है
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थेरेपी
मानसिक सेहत का स्वस्थ होना ज़रूरी है। महिलाएँ अपने लिए ऐसी जगह तलाश करें जहां वे क्या सोचती और अपनी भावनाओं को बेझिझक व्यक्त कर सकें। उस पर कोई प्रेशर या दबाव ना हो। इसके लिए महिलाएँ थेरेपी चुन सकती है जैसे आर्ट बेस्ड थेरेपी का महिलाएँ चुनाव कर सकती है। यह एक सुरक्षित और खुल माहौल प्रदान कर सकती है। इसमें महिलाएँ पेंटिंग, कलाज़ बनाना, अपनी भावनाएँ को व्यक्त कर सकती है और लिख सकती है। -
प्रकृति के साथ जुड़े
सारा दिन अपने काम और घर पर मत व्यतीत मत करें। कुछ समय आप प्रकृति के साथ भी व्यतीत करें। घर से बाहर निकले पेड़-पौधों के पास बैठें उन्हें पानी दे।हाल ही में हुई रिसर्च में पाया गया कि प्रकृति का हस्तक्षेप विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए थेरेपी हैं जिन्होंने कोई ट्रामा या बीमारी को सहन किया है। "धरती माता" शब्द स्त्री की जीवनदायिनी और पालन-पोषण करने की प्रवृत्ति को दर्शाता है। -
शरीर को हिलाना
शरीर को हिलाना या व्ययाम भी मानसिक और शाररिक सेहत के लिए बहुत जरूरी है। रिसर्च से पता चलता है कि जब महिलाएं नियमित शारीरिक गतिविधि के साथ जुड़ती हैं तो उनमें अपने आप को स्वीकार करने की भावना और व्यक्तिगत विकास बढ़ता है। उच्च प्रभाव वाले, वजन उठाने वाले व्यायाम जैसे कूदना और दौड़ना मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं के लिए हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार करता है और नियमित मध्यम व्यायाम, जैसे चलना, मेनोपॉज़ के लक्षणों में सुधार दिखाता है। -
अलकोहल का कम सेवन
शराब पीने से महिलाओं को कई समस्याएं आती हैं जैसे हिंसा का शिकार होने का अधिक जोखिम और हृदय रोग और ब्रैस्ट कैंसर जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं शामिल हैं। महिलाएं भी पुरुषों की तुलना में जल्दी नशे में आ जाती हैं जो उनके लिए अधिक असुरक्षित बन जाता है।