Body Shaming: लड़कियों में मोटेपन के ताने आज भी जीवित क्यों?

हैल्थ | ब्लॉग: ऑनलाइन प्लेटफार्म पर सुंदरता का प्रचार-प्रसार को नेगेटिव ढंग से दिखाया जा रहा हैं, और इसका शिकार मोटी लड़कियाँ हो रही हैं, उन्हें सुनने पढ़ते हैं ताने। मोटापे के बारे में ताने सुनकर महसूस होने वाली बुराई बड़ता जाता है

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Hindi Team
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Body Shaming

(Image Credit- Freepik)

Body shaming: आजकेज़मानेमेंसोशलमीडियासोचविचारकोबढ़ानेमेंऔरप्रभावितकरनेमेंज़रूरीरोलनिभारहाहैं।सोशलमीडियाकेसाथ- साथटेलीविज़नशोज़औरमूवीज़भीहमारीसोसाइटीपरअसरदालरहाहैं।आज-कलऑनलाइनप्लेटफार्मपरसुंदरताकाप्रचार-प्रसारकोनेगेटिवढंगसेदिखायाजारहाहैं, औरइसकाकहीकहीशिकारमोटीलड़कियाँहोरहीहैंऔरउन्हेंसुननेपढ़तेहैंताने।गलतीकेवलऑनलाइनप्लेटफॉर्म्सकीहीनहींबल्किपुराणीसोचविचारमेंभीहैंजोअंग्रेज़ोकेसमयमेंहमारेमनमेंगहराईसेनिहितकरदीगयीहैं।मोटापेकेबारेमेंतानेसुनकरमहसूसहोनेवालीबुराईऔरखुदकोनेगेटिवतरीकेसेदेखनेकादर्दबड़ताजाताहै।इसतरहकेतानेसीधेरूपसेव्यक्तिगतऔरमानसिकस्वास्थ्यकोप्रभावितकरतेहैं।इसकेकईकारणहैं।

लड़कियों में मोटेपन के ताने आज भी जीवित क्यों?

1)समाज में एक एक ऐसी सोच 

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पहलाकारणयहहैकि समाज में एक एक ऐसी सोच हैजोमोटापेकोनेगेटिविटीकेसाथजोड़तीहै।इससेलोगअपनेआपसेप्यारनहींकरपातेहैंऔरवेखुदकोनेगेटिविटीऔरनफरतसेदेखतेहैं।गलतऔरबॉडीशेमिंगवालेतानेइसगलतधारणाकोबढ़ातेहैंऔरपर्सनलग्रोथमेंरुकावटडालतेहैं।

2) सोशल मीडिया और उसका नेगटिव असर

दूसराकारणहैसोशलमीडियाऔरउसकाअसर , जहांमोटापेकोहंसीकाकारणबनायाजाताहै।फिल्मोंऔरटीवीशोज़मेंदिखाएजानेवालेकिरदारोंकीतरहनज़रआनेकेलिएमोटीलड़कियोंपरज़ोरज़बरदस्तीऔरतानेदिएजातेहै, जिससेउन्हें मानसिक तनाव सेगुज़ारनापढताहैं।

3) मोटे होने के अन्य कारण समझना ज़रूरी 

सहीजानकारीप्राप्तकरें:अगरकोईव्यक्तिमोटापेकेतानोंसेगुज़ररहाहै, तोउसइंसानके मोटे होने का कारन जानने कीकोशिशकरे, क्यूंकिकईबारमोटापनकुछशारीरिकसमस्याओकेवजहसेभीहोताहैंकेवलउनुचितफ़ूडप्रोडक्ट्ससेहीनहींस्वस्थजीवनशैली, पोषण, औरव्यायामकेबारेमेंजानकारीप्राप्तकरनाज़रूरीहैताकिसहीकदमउठाएजासकें।

4) सही खानपान के साथ स्वस्थ जीवनशैली 

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सहीखानपानकेसाथस्वस्थजीवनशैलीकोबनाएरखनामहत्वपूर्णहै।पोषणसेभरपूरआहार, साफपानी, औरस्वस्थखाद्यवस्त्रोंकाध्यानरखनामहत्वपूर्णहै।सुबहउठकरगरमपानीमेंहल्दीऔरशहदजैसेड्रिंक्समोटेपनकोकामकरनेमेंमददकरसकताहैं।

 5) ट्रस्ट इश्यूज की भावना से लड़ाई 

हमेंखुदकोऔरअन्योंकोखुशरखनेकेलिएखुद पर ट्रस्टरखनाचाहिए।अपनीखुदसेप्यारबनाएरखनाऔरअपनीस्वतंत्रताकेबारेमेंजागरूकहोनाचाहिए।

इससमस्याकासमाधानहैसमाजमेंजागरूकताऔरसहीशिक्षाकाप्रचार-प्रसारमोटापेकोलेकरपॉज़िटिवसोचबढ़ानेकेलिएहमेंसमाजमेंस्वस्थजीवनशैलीऔरसहीखानपानकीजरुरतकेबारेमेंजानकारीदेनाज़रूरीहै।सोशलमीडियाऔरमीडियाकोभीमोटापेकोहंसीकाकारणनहींबनानाचाहिए , बल्किस्वस्थ्यसेजुड़ीसमस्याएँ, पौष्टिकखाना, औरव्ययायामजैसेअच्छीचीज़ोकोबतानाचाहिए।इसप्रकार, हमसमाजमेंएकपॉज़िटिवबदलावलासकतेहैंताकिमोटीलड़कियांभीखुदसेप्यारऔरसमाजमेंसम्मानपासकें, औरतानोंसेमुक्तहोसकें।

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