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पांच ताने जो महिलाओं को अधिकतर सुनने को मिलते हैं

प्रेरणादायक | ब्लॉग: महिलाएं चाहे जितना भी मेहनत क्यों न कर ले समाज में अब भी उन्हें तानों का शिकार होना पड़ता है चाहे घर हो या फिर बाहर जो कि उचित नहीं। क्या औरत केवल ताने सुनने के लिए रह गई है? कब मिलेगा उन्हें अपना योग्य सम्मान?

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Sukanya Chanda
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5 Taunts That Females Get To Hear Very Commonly (image credit- Appier)

5 Taunts That Females Get To Hear Very Commonly: भारत देश में औरत को देवी मान कर पूजा जाता है लेकिन वही औरतें इस देश में उतने ही बुरे शब्दों और सोच से घिरी हुई हैं।  हर रोज़ एक संघर्ष के साथ आगे बढ़ना परता है क्यूंकि पूरी दुनिया औरत को कमज़ोर, भावुक और कोमल प्राणी समझ उन्हें कम महत्त्व देने की भूल करते हैं। हमारे समाज में, एक महिला किसी भी आयु वर्ग, किसी भी पद पर या किसी भी समूह में क्यों न हो, उसे अपने जीवन में कुछ बातें तो हमेशा सुनने को मिलती हैं। आज इस ब्लॉग में हम कुछ ऐसे ही तानो के बारे में बात करेंगे जो महिलाओं को अपने जीवन में अधिकतर सुनने को मिलता है।

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पांच ताने जो महिलाओं को अधिकतर सुनने को मिलते हैं

 1. कपडे ऐसे पहने है ! संस्कार तोह है ही नही

अक्सर हमारे मोहल्ले की आंटियां सुबह-सुबह अपने जीवन के सारा महत्वपूर्ण कार्यों को छोड़ कर अपना सारा ध्यान बस इस बात पर लगा देते हैं कि आज शर्मा जी की लड़की क्या पहनके ऑफिस पार्टी में गयी हैं। लड़की की ड्रेस की लम्बाई यह बताएगी की लड़की कितना संस्कार अपने चाल चलन में रखती है वह समय आज भी चल रहा है जहाँ लड़की के चरित्र को उनके कपड़ो से जांचा जाता है। दुःख की बात है कि दुनिया आगे तो बढ़ रही है पर  कुछ लोग अपनी सोच नहीं बढ़ा पा रहे हैं।

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2. थोड़ा कम/ ज़्यादा खाओ

" बेटा weightloss करने की ज़रूरत है बस आपको, बाकी सुन्दर तोः आप बहुत हो ", " थोड़ा खाओ पीओ , फूंख मारा तो उड़ जाएगी", "सांवली हो , लड़का मिलना मुश्किल होगा " इत्याद। ऐसी सारे बातें न जाने कितने ही बार महिलाओ को सुनना पड़ा है कि, हमने अब इस बात की गंभीरता को समझना ही बंद कर दिया है। उन्हें उनके शरीर में असुविधाजनक न महसूस करा के उन्हें यह समझाना और महसूस करना की अपने शरीर की इज़्ज़त करना ही  सबसे महत्वपूर्ण होता है, आज के दुनिया को ऐसी सोच की आवश्यकता है। 

3. तुम करती ही क्या हो पूरे दिन ?

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एक औरत से घर सिर्फ बनता ही नहीं चलता भी है। लेकिन बचपन में कोई यह क्यों नहीं सिखाते की घर चलाना सिर्फ औरत का काम नहीं होता। महिलाओं को, ज्यादातर हाउसवाइव्स को यह हमेशा सुनने को मिलता है की वह पूरा दिन करती ही क्या है? 

जबकि उनकी नौकरी तो पांच दिन 9-5 की मोहताज नहीं होती। बिना किसी छुट्टी के हर दिन बस लगे रहो यह सुनने को की पूरे दिन तुमने किया ही क्या है? यह शब्द उस मेहनती औरत का आत्मबल तोड़ने को काफी होता है जो सालों से आपके गृहस्ती को जोड़े रखती है।

4. थोड़ा एडजस्ट करना परता है लड़कियों को

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"भाई शहर से बहार पढ़ने जा सकता है पर तुम नहीं क्यूंकि तुम लड़की हो अकेले नहीं छोड़ सकते , एडजस्ट करना पड़ेग। " आगे नौकरी करने की क्या ज़रूरत है , तुम्हारा पति इतना कमाता तो है," " ससुराल वालों को अच्छा नहीं लगेगा, इधर जाने की क्या ज़रूरत है ? "बच्चे को संभालना होगा , तुम ही रुक जाओ न। 

हम अपने बेटियों को एडजस्ट करने की तो सीखा देते है पर उन्हें खुद के लिए आवाज़ उठाना सीखना भूल जाते है। पढाई , करियर , गृहस्ती चाहे कहीं भी हो , लड़कियां ही क्यों करेंगी ? अपनी इच्छाएं मार उन्हें अच्छे संस्कार के कपड़े में लपेट दुनिया को दिखाना सिखाते है हमें| 

5. मेहनत थोड़ी करनी पड़ी होगी , ज़रूर कुछ पहचान होंगे ऊपर वालों से

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महिला को ना तोह सिर्फ अपने काम के लिए पर उस काम को अच्छा करके भी खुद को साबित करना पड़ता है। दुनिया उनकी कामियाबी को भी कभी किस्मत या कभी कोई और नीच बहाना देके दबाने की कोशिश करती रहती है, लेकिन तुम हार मत मानना। 

खुदपर और अपने काबिलियत पर भरोसा रखना ही तुम्हारी जीत होगी, हम सबकी जीत होगी, हर वो दबी हुई आवाज़ की जीत है। 

सूचना : इस आलेख को केवल संपादित किया गया है। मौलिक लेखन आयुषी झा का है।

नौकरी Taunts Females संस्कार
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