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Women Education: आज भी महिलाओं को पढ़ाना जरुरी क्यों नहीं समझा जाता

आज भी हमारे समाज में जब लड़कियों की पढ़ाई की बात आती है तो परिवार पीछे हट जाता है। सोच यही है कि, "क्या लड़की पढ़ाकर क्या फायदा होगा? आखिर में उसकी शादी ही करनी है"।

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Rajveer Kaur
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women education (The Print)

Why Women Education Not Considered Necessary Even Today (Image Credit: The Print)

Why Women Education Not Considered Necessary Even Today: आज भी हमारे समाज में जब लड़कियों की पढ़ाई की बात आती है तो परिवार पीछे हट जाता है। सोच यही है कि, "क्या लड़की पढ़ाकर क्या फायदा होगा? आखिर में उसकी शादी ही करनी है"। आज जब हम चांद पर पहुंच गए हैं, महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है फिर भी दुनिया के बहुत सारे क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ पढ़ाई को अहमियित नहीं दी जाती। क्यों आज भी ऐसी सोच मौजूद है कि लड़कियों को पढ़ाई से रोका जाता है? आइये इस पर बात करते हैं-

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Women Education: आज भी महिलाओं को पढ़ाना जरुरी क्यों नहीं समझा जाता

मौलिक अधिकार से वंचित

अगर महिला को पढ़ाई का अधिकार नहीं मिल रहा है तो वह अपने एक मौलिक अधिकार से वंचित हो रही है। यह अधिकार छीनने का किसी का हक नहीं है। महिलाओं से यह हक बिना सोचे समझें छीन लिया जाता है क्योंकि महिलाओं की जिंदगी पर उनका हक कम, उनके परिवार या पुरुषों का हक ज्यादा समझ लिया जाता है। इस फैसले में अधिकतर महिलाएं भी पुरुषों का साथ देती है। मान लीजिए, अगर घर के पुरुष कह रहे हैं कि महिला को  पढ़ने की जरूरत नहीं है तो घर की महिलाएं जैसे दादी, चाची,  सभी इस फैसले में पुरुषों का साथ देती हैं। 

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नहीं सुनी जाती उनकी बात

आज भी बहुत सारी जगह पर महिलाओं को दबाकर रखा जाता है। महिलाओं से घर के काम करवाने होते इसलिए उन्हें पढ़ने नहीं दिया जाता।  घर का काम बेसिक स्किल है जिसे सब को सीखने की जरुरत है। लेकिन सिर्फ इसके लिए महिलाओं की पढाई का नुकसान करवाना गलत बात है।औरतों के लिए घर के काम सीखना ज्यादा जरूरी समझा जाता है। 

सब के साथ की जरुरत 

हमारे मुद्दे सिर्फ उन क्षेत्रों तक सिमट कर रह जाते हैं जहां पर महिलाएं पहले से ही सशक्त हैं या फिर अवेयर है। लेकिन रिमोट एरियाज तक इन  मुद्दों तक बात ही नहीं पहुंचती। वहां आज भी औरत सिर्फ घर तक ही सीमित है। उनमें से भी कही औरतें ऐसी भी है जिन्हें यह ही नहीं पता कि उनके साथ गलत हो रहा है। उन्हें सिर्फ यह पता है कि सुबह उठना है, घर का काम करना है और पति की सेवा करनी है। अपनी डेवलपमेंट पर ध्यान देने के लिए उनके पास समय ही नहीं होता। अगर हम सच में बदलाव लाना चाहते हैं तो हमें उन औरतों के पास जाकर काम करना पड़ेगा। शहर में तो हम पहले से ही बहुत आगे बढ़ चुके हैं। यहां पर नारे और आंदोलन लगाकर कुछ बदलाव नहीं आने वाला है। 

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