Chaitra Navratri 2023: जानें नवरात्रि में किस दिन लगाएं कौन सा भोग

नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा के दौरान गाय का दूध, घी या गाय के दूध से बने किसी भी तरह के प्रसाद को अर्पित किया जाता है। माता शैलपुत्री राजा हिमालय की पुत्री हैं। जानें अधिक इस ब्लॉग में-

Vaishali Garg
18 Mar 2023 | अद्यतनित 26 Mar 2023
Chaitra Navratri 2023: जानें नवरात्रि में किस दिन लगाएं कौन सा भोग

Chaitra Navratri 2023 Bhog

Chaitra Navratri 2023: नवरात्र शुरू होने के 9 दिन तक माता के नौ रूपों की अलग-अलग दिन पूजा की जाती है। मां के अलग-अलग रूपों के लिए अलग-अलग श्रंगार, पूजा की विधि, वस्त्र, रंग और खासतौर पर प्रसाद आदि चढ़ाया जाता है। माता को प्रसन्न करने के लिए 9 दिन अलग-अलग प्रकार का प्रसाद माता को चढ़ाया जाता है। आपकी पूजा को संपन्न करने के लिए प्रसाद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आइए जानते हैं नवरात्रि के 9 दिनों में किस प्रकार का भोग माता को अर्पण करना चाहिए।

Chaitra Navratri 2023: जानें नवरात्रि में किस दिन लगाएं कौन सा भोग

1. गाय के दूध से बना प्रसाद

नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा के दौरान गाय का दूध, घी या गाय के दूध से बने किसी भी तरह के प्रसाद को अर्पित किया जाता है। माता शैलपुत्री राजा हिमालय की पुत्री हैं और उनका वाहन भी वृषभ है इसलिए उन्हें  गाय के दूध से बना प्रसाद पसंद आता है।

2. शक्कर का प्रसाद

नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाया जाता है। जो व्यक्ति माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं उन्हें त्याग, तप और संयम की प्राप्ति होती है।

3. दूध से बना प्रसाद

तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है और माता चंद्रघंटा को दूध या दूध से बिना किसी भी तरह का प्रसाद अर्पित किया जाता है। माता चंद्रघंटा अपने भक्तों को कष्टों से निजात दिलाती है।

4. मालपुआ का प्रसाद

चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा की जाती है और माता कुष्मांडा को मालपुआ बेहद प्रिय है इसलिए इस दिन उन्हें मालपुआ का प्रसाद लगाया जाता है। माता की पूजा करने से भक्तों की आयु बढ़ती है अथवा उन्हें बल प्राप्त होता है।

5. केले का प्रसाद

दुर्गा माता की अर्धशक्ति माता स्कंद की पूजा नवरात्रि के पांचवी दिन की जाती है। माता का वाहन शेर है और यह कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। माता स्कंद को केला बेहद प्रिय है इसलिए उन्हें केले का प्रसाद लगाया जाता है।

6. शहद का प्रसाद

नवरात्रा के छठवे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। माता कात्यायनी ने माता दुर्गा के घर बेटी के रूप जन्म लिया था। इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा। माता कात्यायनी को शायद बेहद प्रिय है इसलिए उनको शहद का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

7. गुड़ का प्रसाद

नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है। माता कालरात्रि सारे आशीर्वाद के लिए काल बनकर प्रकट हुई थी। माता को केवल याद मात्र करने से डर, भय खत्म हो जाते हैं। माता को गुड़ बेहद प्रिय है इसलिए उन्हें गुड़ का भोग  लगाया जाता है।

8. हलवे का प्रसाद

नवरात्रि के आठवें दिन माता गौरी की पूजा की जाती है। माता काली के रूप में आने के बाद माता ने कई दिन घोर तपस्या की और अपना माता गौरी का रूप वापस प्राप्त किया। नवरात्रि के आठवें दिन अष्टमी का व्रत करके माता को हलवे का भोग लगाया जाता है।

9. खीर का प्रसाद

नवरात्रि के नोवे दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माता के नाम के अनुसार भक्तों को माता की आराधना करने से सारी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इस दिन व्रत समाप्त करके माता को खीर का भोग लगाया जाता है।

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