अडल्ट लाइफ़ देखने को बहुत आसान लगती है लेकिन उतनी होती नहीं है। इसमें बहुत चीजें आप फ़ेस करते हैं। ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो आप नई सीखते हो। इस लाइफ़ का भी अपना मज़ा है। अडल्टहुड में हमें जवानी का एक नया-सा एहसास होता है। हम बचपन से निकलकर जवानी की और आते हैं और दुनिया के तौर-तरीको को समझने और या फिर उन्हें बदलने की कोशिश करते हैं। ये सबसे परिवर्तनकारी अवधि होती है और ये ज़िन्दगी का सबसे कठिन समय है।
Adulthood Struggles: जो चीज़े हम अपनी लाइफ से रीलेट कर सकते हैं
1.जॉब के बाद लाइफ़ सेट है
यह दुनिया का सबसे बढ़ा झूठ है कि जॉब के बाद आपकी लाइफ़ सेट है। माँ-बाप हमेशा कहते है एक बार जॉब लग जाए बस फिर क्या तुम्हारी लाइफ़ सेट है। लाइफ़ का जो असली स्ट्रगल आपका जॉब के बाद शुरू होता है।सुबह आपको 6ः00 बजे उठना पड़ता है। इसके बाद अब आप को रोज़ाना जॉब पर जाना है। इसके साथ अगर आप घर से दूर रह रहे हो फिर आप को खाना बनाना भी पढ़ेगा। उसके बाद खुद ही आप को उठना पड़ेगा। ऐसे बहुत से स्ट्रगल आपको फ़ेस करने पड़ सकते हैं।
2.ऑफ़िस में लीव का अप्रूव होना
जब आप जॉब करते हैं तब आपके लिए लीव बहुत ज़रूरी बन जाती हैं। जब आप की माँगी छूटी अप्रूव उससे बढ़ी ख़ुशी नहीं होती क्योंकि आप रोज़ काम करते हुए थक जाते हो। आपको वहीं संडे और कुछ ख़ास दिनों पर होती हैं वे भी ऐसे निकल जाती है। इसलिए कई बार कई जाने या वैसे ही आपका माँ करता है ।
3.ऑफ़िस के बाद खाना बनाना
जब आप काम से घर आते हो आप में खाने की बनाने कोई एनर्जी नहीं होती है लेकिन अब आप की अडल्ट लाइफ़ शुरू हो चुकी है जिसमें सब कुछ खुद करना हैं। इसलिए जब आप काम से वापिस आते हो आप में खाना बनाने की कोई एनर्जी नहीं होता जिस कारण आप या तो नूडल्स से ही पेट भर लेते हो या फिर आप खाना ऑर्डर ही कर लेते हो।
4.मंडे से संडे का इंतज़ार
यह मेरा ख़याल हर किसी के साथ होता जो अडल्ट लाइफ़ को जी रहा है। उसके संडे से ही मंडे का इंतज़ार क्योंकि हम सब को एक ही छुट्टी मिलती है जो भी हमारे हफ़्ते के बचे हुए कामों में निकल जाती हैं।
5. संडे के दिन मंडे की फ़िकर
संडे भी इस चक्कर में निकल जाता है कि कल फिर मंडे है।