AI Effect On Human Our Brain: AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस इंटरनेट के आधुनिक जमाने में यह काफी ज्यादा प्रचलन में है। हर जगह अपने प्रश्नों के उत्तर पाने या छोटे से छोटे काम को करने के लिए भी लोग AI का सहारा लेते हैं क्योंकि यह पल भर में हमारे प्रश्न का उत्तर दे देता है। केवल इतना ही नहीं यह वीडियो एडिटिंग, फोटो एडिटिंग, वॉइस चेंज करने या फिर किसी भी कृत्रिम फोटो को बनाने में सहायता करता है। इसमें केवल कुछ डाटा फुल करने से यह बड़े से बड़ा काम मिनट में करके दे देता है। हमारे सभी कामों को आसान करने के लिए AI काफी फायदेमंद है पर क्या आपको भी ऐसा लगता है कि AI हमारे दिमाग को धीरे-धीरे खाते जा रहा है? इसके पॉजिटिव इफेक्ट से कहीं ज्यादा नेगेटिव इफेक्ट दिखाई देते हैं। आइये जानते हैं कि AI हमारे दिमाग पर क्या प्रभाव डालता है।
क्या AI हमारे दिमाग के लिए सही है?
1. दिमाग को बनाता है कमज़ोर
AI की मदद लेते-लेते धीरे-धीरे हमारा दिमाग कमजोर होते जा रहा है क्योंकि हम इसका उपयोग करके मिनट में अपने प्रश्न का उत्तर पाने की कोशिश करते हैं। पहले के समय में लोग यही चीज किताबें और खुद के मस्तिष्क का प्रयोग करके सवालों के जवाब पाने की कोशिश किया करते थे। अब यह सब केवल AI और गूगल की मदद से हो जाता है।
2. थिंकिंग कैपेसिटी हो जाती है कम
जब हम किसी भी प्रश्न के उत्तर खोजने के लिए या फिर किसी भी कार्य को करने के लिए खुद के मस्तिष्क का प्रयोग नहीं करते, तो हमारी थिंकिंग कैपेसिटी धीरे-धीरे कम हो जाती है। जिससे कि हमारा मस्तिष्क कमजोर होते चले जाता है।
3. डिपेंड करता है
आपने देखा होगा कि आज के युवा हर प्रश्न के लिए गूगल और AI का सहारा लेते हैं। हालांकि यह बात कहीं ना कहीं ठीक है कि यह सब हमारी सुविधा के लिए बनाए गए हैं पर AI का सहारा लेकर पूरे तरीके से उस पर डिपेंड हो जाना और अपने प्रोजेक्ट, कार्य या किसी भी प्रश्न के उत्तर के लिए AI पर निर्भर रहना बिलकुल गलत है।
4. न्यू आइडिया नहीं बनते
किसी भी प्रोजेक्ट या कार्य को करने के लिए जब कोई भी व्यक्ति केवल AI का सहारा लेता है तो वह कृत्रिम बातों और आइडिया को ही अपना लेता है और खुद के मस्तिष्क से कोई भी नए आइडिया को जन्म नहीं देता।
5. मेहनत करने की कैपेसिटी को कर देता है कम
पहले के समय में लोग छोटे-छोटे कामों को करने के लिए खुद की मेहनत करते थे पर अब यही काम AI से कुछ मिनट में हो जाते हैं। इससे हमारी जनरेशन में मेहनत करने की कैपेसिटी धीरे-धीरे बहुत कम हो गई है क्योंकि AI पर डिपेंडेंसी बहुत अधिक बढ़ गई है।