Budgeting: अक्सर देखा गया है कि हम Budget जैसे वर्ड को बिज़नस से संबंधित बना देते हैं, परंतु ऐसा नहीं है हमें समझना होगा की हमारे नॉर्मल जीवन में भी बजटिंग उतनी ही इंपोर्टेंट है जितनी किसी बिजनेस के लिए। क्यों हैं बजटिंग इतनी इंपॉर्टेंट क्या चीज हैं? किन चीजों का रखना होगा हमें ध्यान और असल में क्या सही में हमें इसकी जरूरत है? आइए जानते हैं इन सभी प्रश्नों के उत्तर फाइनेंस संबंधी ब्लॉग में
क्या होती है बजटिंग?
साधारण शब्दों में बजटिंग का अर्थ है अपनी इनकम में सभी पैसों को अलग-अलग उपयोग के लिए पहले ही एलोकेट करना। सभी जगह उपयोग होने वाले पैसों को पहले ही एलोकेट करने से यह फायदा होता है कि हमारे दिमाग में एक मैप तैयार हो जाता है कि हमें पूरे महीने कैसे खर्चा करना है। बजटिंग वैसे तो बिजनेस की टर्म समझी जाती हैं, परंतु ऐसा नहीं है बजटिंग की जरूरत एक आम इंसान को भी उतनी ही है जितना किसी बिजनेस को।
क्या बजटिंग सच में है इतनी जरूरी
इसका उत्तर है हां बजटिंग बहुत important है हमारी लाइफ के लिए। आइए समझते हैं क्यों है बजटिंग इतनी जरूरी-
1.मैप तैयार करने के लिए
बजटिंग हमें पहले ही बता देती है कि हमें कैसे अपने महीने के खर्चे करने है। बजटिंग हमारे दिमाग में हर खर्चे को ध्यान में रखते हुए एक मैप बना देती है और हम उस मैप के अनुसार ही अपने सारे खर्चे करते हैं।
2. बजटिंग करती है तैयार
बजटिंग हमें तैयार करती है कि हम आने वाले समय के बड़े डिसीजन ले सकें। चाहे वह किसी बड़ी खरीद का हो या इमरजेंसी(emergency) के लिए कुछ पैसे बचाने का बजटिंग हमें है चीज के लिए तैयार करती है।
3. आसान हो जाते हैं रास्ते
अक्सर देखा गया है कि जब हम किसी बड़ी खरीद के बारे में पहले से सोचते हैं तो अक्सर हम उसे निर्धारित समय पर नहीं खरीद पाते। ऐसे में बजटिंग मदद करता है कि हम हर महीने उस निर्धारित खरीद के लिए कुछ पैसे सेव करते चले जिससे खरीद के समय हमें टेंशन ना रहे।
कैसे करें बजटिंग?
यदि बजटिंग इतनी ही इंपोर्टेंट है, तो यह प्रश्न उठना लाज़मी है कि कैसे करें बजटिंग। आइए जानते हैं कुछ तरीके बजटिंग करने के:
• 50-30-20 रूल
इस टेक्निक में हमें अपने खर्चों को हमारी जरूरत (Needs), हमारी इच्छा (Wants) और हमारी लालसा (Desires) में बांटना चाहिए। हमें अपनी इनकम के 50% भाग को हमारी जरूरत की चीजों पर खर्च करना चाहिए जिसमें हमारे रेंट, हमारे खाने का खर्चा तथा हमारे इंपॉर्टेंट बिल्स आते हैं जिन्हें हम इग्नोर नहीं कर सकते। उसके बाद 30% भाग को हमें हमारी इच्छा की चीजें जैसे entertainment और eating एवं outing में खर्च करना होता है। शेष 20% भाग को हमें बचाना होता है।
• रिवर्स रूल
यह रूल भी ऊपर वाले रूल की तरह ही होता है, बस फर्क इतना होता है कि हम पहले अपने लिए पैसे सेव कर लेते हैं। उसके बाद अपनी जरूरत और अपनी इच्छाओं पर उन्हें खर्च करने का सोचते हैं। यह method तब जरूरी हो जाता है जब हम किसी गोल के लिए पैसे बचा रहे हैं।