Dev Uthani Ekadashi 2022: देव उठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी और देवुत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से विवाह , गृह प्रवेश तथा अन्य सभी प्रकार के मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। इस दिन श्रद्धालुओं को चाहिए कि जिस गमले में तुलसी का पौधा लगा है उसे गेरु आदि से सजाकर उसके चारों ओर मंडप बनाकर उसके ऊपर सुहाग की प्रतीक चुनरी को ओढ़ा दें। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में 4 माह शयन के बाद जागते हैं। भगवान विष्णु के शयनकाल के चार मास में विवाह आदि मांगलिक कार्य में नहीं किये जाते हैं, इसलिए देवोत्थान एकादशी पर भगवान हरि के जागने के बाद शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू होते हैं।
इस साल बहुत से लोगों को यह कंफ्यूजन है कि देवउठनी एकादशी कब है, इस साल दीपावली के दूसरे दिन 25 तारीख को ग्रहण पड़ने के कारण लोगों में कंफ्यूजन है कि देवउठनी एकादशी 3 को है या 4 को तो आइए आज के इस ब्लॉग में हम जानते हैं कि देवउठनी एकादशी कब है।
Dev Uthani Ekadashi 2022: देव उठनी एकादशी कब है?
देवउठनी एकादशी 3 नवंबर 2022 को शाम 7 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर 4 नवंबर शाम 6 बजकर 8 मिनट तक रहेगी।
Dev Uthani Ekadashi 2022: देवउठनी एकादशी पर क्या करना वर्जित है?
देवउठनी एकादशी के दिन लसन, प्याज, मास, मदिरा, चावल खाना वर्जित है, इस दिन नाखून, बाल, दाढ़ी काटना और कपडे धोने से भगवान विष्णु जी माहाराज नाराज होते हैं और ऐसा करने से धन धान्य की कमी आती है।
Dev Uthani Ekadashi 2022: देवउठनी एकादशी का म्हत्व
देवउठनी एकादशी सभी एकादशी विशेष महत्व रखती है, इस दिन श्री हरी य़ानी भगवान श्री विष्णु जी माहाराज ( सृष्टि के पालनहार ) निद्रा से जागते है और चतुर्मास की समाप्ती होती है और सारे मांगलिक कार्य प्रारम्भ होतें हैं, इस दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ती होती है।
Dev Uthani Ekadashi 2022: देवउठनी एकादशी के खास उपाय
देवउठनी एकादशी के दिन आप अपने घर के मन्दिर की अच्छी तरह साफ सफाई करें, देवी देवताओ को स्नान करवा कर ऊँहे स्वछ वस्त्र पहनाये और मन्दिर को पिले पुष्पों से सजाये और भगवान विष्णु जी माहाराज के भोग में माँ तुलसी का प्रयोग ज़रूर करें, भगवान गणेश जी और शिव जी के प्रसाद में माँ तुलसी का प्रयोग करना वर्जित है।