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जब आप पहली बार किसी के साथ इंटिमेट होने की या शारीरिक संबंध बनाने की सोचते हैं तो मन में सेक्स से जुड़े कई सवाल आते हैं। हालांकि अपने मन में उठ रहे इन सवालों को दूर करने के लिए आप इंटरनेट का ही सहारा लेते हैं, लेकिन जिन लोगों ने पहले कभी किसी के साथ सेक्स नहीं किया है वो सेक्स से जुड़े मिथकों पर ज़्यादा ध्यान देते हैं। इसलिए जो लोग पहली बार किसी के साथ सेक्स संबंध बनाने जा रहे हैं, उन्हें इससे जुड़े 5 मिथकों की सच्चाई ज़रूर जान लेनी चाहिए। sex myths hindi
सेक्स को इंसान के लिए सबसे आनंददायक और pleasurable चीज़ों में से एक माना जाता है। सेक्स स़िर्फ जिस्मानी नहीं, बल्कि यह एक रूहानी (soulful) संबंध भी होता है। यही वजह है कि कई डॉक्टर भी इस बात पर ज़ोर देते हैं कि एक बेहतर और सुखी जीवन के लिए अच्छी सेक्स लाइफ का होना बेहद ज़रूरी है। लेकिन उससे पहले सेक्स से जुड़े कुछ मिथक की सच्चाई जान लेते हैं।
सच्चाई- अगर आपको लगता है कि अच्छे सेक्स के लिए पेनिस का साइज़ बहुत मायने रखता है तो आप ग़लत हैं। कई स्टडीज़ में इस बात का ख़ुलासा हुआ है कि सेक्स का पूरा आनंद उठाने के लिए पेनिस का छोटा या बड़ा होना कोई मायने नहीं रखता।
यहां तक की माइक्रोपेनिस (यह एक ऐसी कंडिशन है जिसमें पेनिस का साइज़ 3 इंच से भी कम हो जाता है) होने पर भी आप सेक्स का पुरा आनंद ले सकते हैं। इसलिए इस मिथ को दिमाग से निकाल दीजिये।
सच्चाई- अधिकतर लोग अपने फ़र्स्ट सेक्स से पहले कई पोर्न वीडियोज़ देखते हैं, ताकि वो सेक्स के वक़्त अलग-अलग पोज़ीशन ट्राई कर सकें। इसके साथ ही इन वीडियो में यह भी दिखाते हैं कि पुरुष 30-40 मिनट तक नॉनस्टॉप परफॉर्म कर रहा है, लेकिन रियल लाइफ में भी आप ज़्यादा देर तक परफॉर्म कर पाएं, ऐसा होना काफी मुश्किल है।
कई स्टडीज के अनुसार अधिकांश पुरुषों में इरेक्शन 3-5 मिनट से ज़्यादा देर तक बरकरार रहता है, इसलिए बेहतर सेक्स के लिये इरेक्शन की टाइमिंग से कोई लेना-देना नहीं है।
सच्चाई- अपने महिला पार्टनर को ऑर्गेज़्म का एहसास दिलाने के लिए स़िर्फ वजाइनल इंटरकोर्स ही काफ़ी नहीं है। सेक्सुअल इंटरकोर्स में फोरप्ले काफी अहम किरदार निभाता है क्योंकि फोरप्ले से दोनों की arousal बढ़ती है और सेक्स का मजा दोगुना हो जाता है।
इसलिए अगर आप अपने पार्टनर को बेहतर सेक्स और ऑर्गसम तक पहुँचना चाहते हैं तो इंटरकोर्स से पहले फोरप्ले करना बिल्कुल ना भूलें। फोरप्ले अपने साथी के साथ इमोशनल कनेक्शन बनाने का भी बेहतर तरीका है।
सच्चाई- पहली बार सेक्स करने से पहले अधिकतर पुरुष यही सोचते हैं कि अगर उन्होंने बेड पर बेहतर तरी़के से परफॉर्म नहीं किया तो पार्टनर के सामने उनकी इमेज ख़राब हो जाएगी, लेकिन यह बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं है कि पहली बार के सेक्स से ही आपको बेहतर अनुभव मिल जाए।
इसलिए निराश होने के बजाय आपको patience से काम लेना चाहिये क्योंकि समय के साथ-साथ आपके परफॉर्मेंस में सुधार आएगा और आपको सेक्स ज्यादा pleasurable भी महसूस होगा।
सच्चाई- कुछ लड़के और लड़कियाँ सोचते हैं कि वो पहली बार सेक्स दो कंडोम लगाकर करेंगे, तो उन्हें डबल सेफ्टी भी मिले और अनचाही प्रेग्नेंसी का ख़तरा भी टल जाएगा, लेकिन हकीकत में ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है।
डबल कंडोम के इस्तेमाल से भले ही प्रेग्नेंसी का ख़तरा टल जाए, लेकिन इसके कंडोम के आपस में घिसकर फटने की संभावना भी डबल हो जाती है। इसलिए एक अच्छी क्वालिटी का कंडोम ही काफी है।
क्यों ज़रूरी है सेक्स? sex myths hindi
सेक्स को इंसान के लिए सबसे आनंददायक और pleasurable चीज़ों में से एक माना जाता है। सेक्स स़िर्फ जिस्मानी नहीं, बल्कि यह एक रूहानी (soulful) संबंध भी होता है। यही वजह है कि कई डॉक्टर भी इस बात पर ज़ोर देते हैं कि एक बेहतर और सुखी जीवन के लिए अच्छी सेक्स लाइफ का होना बेहद ज़रूरी है। लेकिन उससे पहले सेक्स से जुड़े कुछ मिथक की सच्चाई जान लेते हैं।
1. मिथक- अच्छे सेक्स के लिए पेनिस का साइज़ बहुत मायने रखता है
सच्चाई- अगर आपको लगता है कि अच्छे सेक्स के लिए पेनिस का साइज़ बहुत मायने रखता है तो आप ग़लत हैं। कई स्टडीज़ में इस बात का ख़ुलासा हुआ है कि सेक्स का पूरा आनंद उठाने के लिए पेनिस का छोटा या बड़ा होना कोई मायने नहीं रखता।
यहां तक की माइक्रोपेनिस (यह एक ऐसी कंडिशन है जिसमें पेनिस का साइज़ 3 इंच से भी कम हो जाता है) होने पर भी आप सेक्स का पुरा आनंद ले सकते हैं। इसलिए इस मिथ को दिमाग से निकाल दीजिये।
2. मिथक- बेहतर सेक्स के लिये लम्बे समय तक इरेक्शन बनाए रखना ज़रूरी है
सच्चाई- अधिकतर लोग अपने फ़र्स्ट सेक्स से पहले कई पोर्न वीडियोज़ देखते हैं, ताकि वो सेक्स के वक़्त अलग-अलग पोज़ीशन ट्राई कर सकें। इसके साथ ही इन वीडियो में यह भी दिखाते हैं कि पुरुष 30-40 मिनट तक नॉनस्टॉप परफॉर्म कर रहा है, लेकिन रियल लाइफ में भी आप ज़्यादा देर तक परफॉर्म कर पाएं, ऐसा होना काफी मुश्किल है।
कई स्टडीज के अनुसार अधिकांश पुरुषों में इरेक्शन 3-5 मिनट से ज़्यादा देर तक बरकरार रहता है, इसलिए बेहतर सेक्स के लिये इरेक्शन की टाइमिंग से कोई लेना-देना नहीं है।
3. मिथक- सेक्सुअल इंटरकोर्स से पहले फोरप्ले की ज़रूरत नहीं होती।
सच्चाई- अपने महिला पार्टनर को ऑर्गेज़्म का एहसास दिलाने के लिए स़िर्फ वजाइनल इंटरकोर्स ही काफ़ी नहीं है। सेक्सुअल इंटरकोर्स में फोरप्ले काफी अहम किरदार निभाता है क्योंकि फोरप्ले से दोनों की arousal बढ़ती है और सेक्स का मजा दोगुना हो जाता है।
इसलिए अगर आप अपने पार्टनर को बेहतर सेक्स और ऑर्गसम तक पहुँचना चाहते हैं तो इंटरकोर्स से पहले फोरप्ले करना बिल्कुल ना भूलें। फोरप्ले अपने साथी के साथ इमोशनल कनेक्शन बनाने का भी बेहतर तरीका है।
4. मिथक- पहली बार में ही बेड पर बेहतर परफॉर्म करना ज़रूरी होता है।
सच्चाई- पहली बार सेक्स करने से पहले अधिकतर पुरुष यही सोचते हैं कि अगर उन्होंने बेड पर बेहतर तरी़के से परफॉर्म नहीं किया तो पार्टनर के सामने उनकी इमेज ख़राब हो जाएगी, लेकिन यह बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं है कि पहली बार के सेक्स से ही आपको बेहतर अनुभव मिल जाए।
इसलिए निराश होने के बजाय आपको patience से काम लेना चाहिये क्योंकि समय के साथ-साथ आपके परफॉर्मेंस में सुधार आएगा और आपको सेक्स ज्यादा pleasurable भी महसूस होगा।
5. मिथक- दो कंडोम साथ लगाने से डबल सेफ्टी मिलती है।
सच्चाई- कुछ लड़के और लड़कियाँ सोचते हैं कि वो पहली बार सेक्स दो कंडोम लगाकर करेंगे, तो उन्हें डबल सेफ्टी भी मिले और अनचाही प्रेग्नेंसी का ख़तरा भी टल जाएगा, लेकिन हकीकत में ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है।
डबल कंडोम के इस्तेमाल से भले ही प्रेग्नेंसी का ख़तरा टल जाए, लेकिन इसके कंडोम के आपस में घिसकर फटने की संभावना भी डबल हो जाती है। इसलिए एक अच्छी क्वालिटी का कंडोम ही काफी है।