हमारे समाज में बहू हो या फिर बेटी उन्हें हमेशा अपने लिए बोलना नहीं सिखाया जाता है। उन्हें हमेशा यह बताया जाता है कि बेटा ऊंची आवाज में बात नहीं करनी। अच्छे से व्यवहार करना है आगे जब ससुराल जाओगी तो तब वहां पर तुम्हारा ऐसा व्यवहार नहीं चलेगा। पति, सास या ससुर कुछ कह भी दे तो उसे शांति से सुन लेना। आज हम बताएंगे कि कौन सी बातें हैं जिन पर बेटी हो या बहू उन्हें बर्दाश्त नहीं करना चाहिए जब बात उनके अस्तित्व किया है तो उन्हें बोल लेना चाहिए-
Guide to Daughter & Daughter In Law: बहु हो या बेटी ये बातें जान ले
1.अपने लिए बोलना सीखे
महिलाओं को अपने लिए बोलना सीखना चाहिए जब चीज उनकी तरफ ना भी हो तब भी आपको अपने लिए स्टैंड लेना चाहिए क्योंकि खुद के लिए आपको ही बोलना पड़ेगा नहीं तो आपकी सारी जिंदगी सहन करते ही निकल जाएगी। जब भी आपको कोई भी बात परेशान करें उसके लिए आप स्टैंड लीजिए।
2.परिवार से पहले खाना खाना
महिलाओं को हमेशा परिवार के खाने के बाद ही खाने की अनुमति दी जाती है। बहुत सारे घरों में जब परिवार खाना खाने बैठता है पहले औरतें उन्हें सर्व करती है फिर जब सभी खा लेते हैं तब महिलाएं अंत में खाती है। यह एक पितरसत्ता सोच का नतीजा है। इस तरह बिल्कुल नहीं होना चाहिए अगर आपको भूख लग रही है और अभी किसी ने खाना नहीं खाया है तो आप कोई भी गिल्ट मन में मत रखिए और खाना खा लीजिए।
3.शादी के बाद करियर चुनने में कोई बुराई नहीं
हर एक महिलाएं के लिए उसकी प्रायोरिटी अलग होती हैं। कुछ महिलाएं शादी के बाद होम मेकर बनना चुनती है और कुछ चाहती हैं कि वे जॉब या करियर में आगे जाए और इन दोनों में ही कोई बुराई नहीं है। यह हर एक महिला की एक अपनी चॉइस है और इसमें परिवार को कोई भी समस्या नहीं होनी चाहिए यह महिला का एक निजी मामला है।
4.सेहत खराब होने के कारण व्रत ना रखना
व्रत रखने या ना रखना यह महिला का निजी मामला और विश्वास है। अगर महिला व्रत रखने में सहज महसूस नहीं कर रही है उसे लग रहा है कि उसकी सेहत ठीक नहीं है तो उसे पर कोई जोर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। इस पर महिला को जज भी नहीं करना चाहिए कि अपने पति के लिए इतना भी नहीं कर सकती।हम तो अपने समय में सेहत ठीक ना होने पर भी व्रत रख लेते थे आजकल की लड़कियों के ड्रामा ही नहीं खत्म होते। नहीं, आप भी गलत कर रही थी और आगे भी इस चीज को बढ़ावा मत दीजिए।
5.पेरेंट्स के सामने भावनाओं को व्यक्त करना बिल्कुल सामान्य है
पहले तो जल्दी भारतीय घरों में बेटियां इतना सहज महसूस नहीं कर पाती। जिस कारण अपनी भावनाओं को पेरेंट्स के साथ व्यक्ति ही नहीं कर पाती। अगर कोई महिला अपने आप को व्यक्त कर रही है आपके सामने वह अपने आप को व्यक्त कर रही है तो उसमें कोई बुराई नहीं है आप उसे चीज को स्वीकार कीजिए और उसे इमोशनल सपोर्ट कीजिए जिसकी उसे बहुत ज्यादा जरूरत है।