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स्पाइसी हर्ब्स (Spicy Herbs) की ओनर राधिका अरोड़ा का। राधिका स्पाइसी हर्ब्स फ़ूड सर्विस के ज़रिये खाने के लिए अपने जूनून को दुनिया तक पहुंचा रही हैं। स्पाइसी हर्ब्स की शुरुआत करने से पहले राधिका आईटीसी मौर्या में जॉब करती थी आज हम बात करेंगे राधिका से उनकी होम शेफ जर्नी के बारे में।
मैं एक होम शेफ़ 2014 में बनी थी। मैंने आईआईसीए, नयी दिल्ली से एक कलिनेरी कोर्स किया था। यह एक साल का कोर्स था। इससे मुझे डिप्लोमा इन कलिनेरी आर्ट्स में एक डिग्री मिली। उसके बाद मैंने होटेल इम्पीरीयल से इंटर्न्शिप की। फिर मुझे जॉब मिली आईटीसी मौर्या मैं । उसके बाद मैंने अपना खुद का बिज़नेस शुरू किया। अब मै स्पाइसी हर्ब्स के नाम से दिल्ली मैं बिज़नेस करती हूँ। स्पाइसी हर्ब्स आज एक एफएसएसऐआई रेजिस्टर्ड ब्राण्ड है।
मैं यूरोपियन, अवधि और नोर्थ इंडियन खाना बनाती हूँ । मैं कोल्ड आप्पीटाइज़र्स (appetizers) भी बनाती हूँ। मेरी स्पेशीऐलिटी हैं फिरनी जिसके लिए मुझे अवार्ड भी मिला है। मैं 4 फ़्लेवर्ज़ की फिरनी बनाती हूँ। मैं डिप्स भी बनाती हूँ । मै 16 टाइप्स की डिप्स और हमुस्स भी बनाती हूँ । लोग मेरे हाथ का खाना पसंद करते हैं।मैं हाई क्वालिटी के समान साथ खाना बनाती हूँ।
करोना ने काम को बहुत प्रभावित किया है। लोगो ने लॉक्डाउन में बाहर से खाना मंगवाना बंद कर दिया। लोगों में डर बैठ गया था। अगर बाहर का खाना इंफ़ेक्टेड हुआ तो वो बीमार ना हो जाए। इस कारण लोग बाहर से खाना नहीं मँगवा रहे थ। मैंने भी प्रिकोशन के तौर पर दो महीने काम बंद कर दिया था । अब दोबारा शुरू किया है। लोग अब ज़्यादा कॉन्फ़िडेंट ही गए हैं। अब फिर से ऑर्डर करने लगे हैं।
और पढ़ें: मिलिए ऐतिकला’स किचन की संस्थापक श्रीमती विजया ऐतिकला से
सोशल मीडिया ने मेरी बहुत मदद की। फ़ेस्बुक और इंस्टाग्राम से मेरे काम को पहचान मिली और सोशल मीडिया से मेरा काम लाखों लोगों तक पहुँचा। मुझे काम मिला और लोगों को मेरे बारे में पता चला। मुझे ऐसे कई प्लाट्फ़ोर्म के बारे में पता चला जिनसे मुझे काम मिल सकता था। आगे से आगे पहचान बनी। एक नेटवर्क डेवेलोप हुआ।
खाना बनाने का जेंडर से कोई लेना देना नहीं है। औरत, पुरुष, बच्चा, बूढ़ा कोई भी खाना बना सकता है। यह एक हॉबी की तरह भी किया जा सकता है और एक प्रोफेशन की तरह भी।
मैं मेहनत करके अपना काम बढ़ाना चाहती हूँ और सबको अपने हाथ का स्वाद चखाना चाहती हूँ। मेहनत से ही फल मिलता है।
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1.आपकी होम-शेफ बनने का सफर कब और कैसे शुरू हुआ ?
मैं एक होम शेफ़ 2014 में बनी थी। मैंने आईआईसीए, नयी दिल्ली से एक कलिनेरी कोर्स किया था। यह एक साल का कोर्स था। इससे मुझे डिप्लोमा इन कलिनेरी आर्ट्स में एक डिग्री मिली। उसके बाद मैंने होटेल इम्पीरीयल से इंटर्न्शिप की। फिर मुझे जॉब मिली आईटीसी मौर्या मैं । उसके बाद मैंने अपना खुद का बिज़नेस शुरू किया। अब मै स्पाइसी हर्ब्स के नाम से दिल्ली मैं बिज़नेस करती हूँ। स्पाइसी हर्ब्स आज एक एफएसएसऐआई रेजिस्टर्ड ब्राण्ड है।
2 आपका सिग्नेचर स्टाइल ऑफ़ कुकिंग क्या है ?
मैं यूरोपियन, अवधि और नोर्थ इंडियन खाना बनाती हूँ । मैं कोल्ड आप्पीटाइज़र्स (appetizers) भी बनाती हूँ। मेरी स्पेशीऐलिटी हैं फिरनी जिसके लिए मुझे अवार्ड भी मिला है। मैं 4 फ़्लेवर्ज़ की फिरनी बनाती हूँ। मैं डिप्स भी बनाती हूँ । मै 16 टाइप्स की डिप्स और हमुस्स भी बनाती हूँ । लोग मेरे हाथ का खाना पसंद करते हैं।मैं हाई क्वालिटी के समान साथ खाना बनाती हूँ।
कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने आपके काम को किस तरह प्रभावित किया है?
करोना ने काम को बहुत प्रभावित किया है। लोगो ने लॉक्डाउन में बाहर से खाना मंगवाना बंद कर दिया। लोगों में डर बैठ गया था। अगर बाहर का खाना इंफ़ेक्टेड हुआ तो वो बीमार ना हो जाए। इस कारण लोग बाहर से खाना नहीं मँगवा रहे थ। मैंने भी प्रिकोशन के तौर पर दो महीने काम बंद कर दिया था । अब दोबारा शुरू किया है। लोग अब ज़्यादा कॉन्फ़िडेंट ही गए हैं। अब फिर से ऑर्डर करने लगे हैं।
और पढ़ें: मिलिए ऐतिकला’स किचन की संस्थापक श्रीमती विजया ऐतिकला से
मेरी स्पेशीऐलिटी हैं फिरनी जिसके लिए मुझे अवार्ड भी मिला है। मैं 4 फ़्लेवर्ज़ की फिरनी बनाती हूँ। मैं डिप्स भी बनाती हूँ । मै 16 टाइप्स की डिप्स और हमुस्स भी बनाती हूँ । लोग मेरे हाथ का खाना पसंद करते हैं। मैं हाई क्वालिटी के समान के साथ खाना बनाती हूँ। - होम शेफ राधिका अरोड़ा
सोशल मीडिया का आपकी जर्नी में क्या रोल रहा है?
सोशल मीडिया ने मेरी बहुत मदद की। फ़ेस्बुक और इंस्टाग्राम से मेरे काम को पहचान मिली और सोशल मीडिया से मेरा काम लाखों लोगों तक पहुँचा। मुझे काम मिला और लोगों को मेरे बारे में पता चला। मुझे ऐसे कई प्लाट्फ़ोर्म के बारे में पता चला जिनसे मुझे काम मिल सकता था। आगे से आगे पहचान बनी। एक नेटवर्क डेवेलोप हुआ।
आपके अनुसार क्या कुकिंग का जेंडर से कोई लेना देना है ?
खाना बनाने का जेंडर से कोई लेना देना नहीं है। औरत, पुरुष, बच्चा, बूढ़ा कोई भी खाना बना सकता है। यह एक हॉबी की तरह भी किया जा सकता है और एक प्रोफेशन की तरह भी।
आपके काम को लेकर आपकी भविष्य की योजनाएं क्या हैं ?
मैं मेहनत करके अपना काम बढ़ाना चाहती हूँ और सबको अपने हाथ का स्वाद चखाना चाहती हूँ। मेहनत से ही फल मिलता है।
और पढ़ें: मिलिए उर्वशी यादव से – गुडगाँव की मशहूर छोले-कुलचे की रेडी चलाने वाली साहसी महिला से