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Breaking Barriers: जानिए किस तरह 21वी सदी में महिलाएं बड़ रही हैं आगे

महिलाओं ने हाल के वर्षो में पारंपरिक बाधाओं,लिंग संबंधी मानदंडों को तोड़कर प्रगति करी है। कॉरपोरेट से लेकर पॉलिटिक्स, हैल्थ से लेकर आर्मी तक,आज हर फील्ड में महिला ने महारत हासिल कर ली हैं। अब वो जमाना गया जब महिलाओं का शोषण किया जाता था।

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Ritika Negi
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Women as barrier brakers.

Women breaking barriers (Image Credit: file)

How are the women of the 21st century breaking Barriers: महिलाओं ने हाल के वर्षो में पारंपरिक बाधाओं,लिंग संबंधी मानदंडों को तोड़कर प्रगति करी है। कॉरपोरेट से लेकर पॉलिटिक्स, हैल्थ से लेकर आर्मी तक,आज हर फील्ड में महिला ने महारत हासिल कर ली हैं।अब वो जमाना गया जब महिला को दबाया या उसका शोषण किया जाता था। 

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हाल के दशकों में लीडरशिप के संदर्भ में एक काफी बड़ा परिवर्तन आया है क्योंकि महिलाएं सत्ता और प्रभाव वाले पदों पर पहुंच कर पारंपरिक बाधाओं को तोड़ रही हैं। इस आर्टिकल के जरिए आप महिलाओं के पारंपरिक बाधाओं को तोड़ने की प्रेरणादायक जर्नी के बारे में जानेंगे। उन्हें क्या क्या दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं? उनके सामने क्या क्या चुनौतियां आ सकती हैं? और हमारे समाज के भविष्य के लिए यह कितना प्रभाविक है?महिलाओं का नेतृत्व (leadership) पदों पर पहुंचना 20वी सदी की शुरुवात में मताधिकार आंदोलन के बाद हुई प्रगति का परिणाम है। 

अगर हम कॉरपोरेट जगत की बात करें तो विनीता सिंह, इंदिरा नूई, लीना नायर जैसी महिलाओं ने देश की सबसे बड़ी कॉस्टमेटिक इंडस्ट्री और पेप्सिको जैसे ब्रांड्स को खड़ा कर दिया हैं। इन महिलाओं ने साबित कर दिया है कि सिर्फ आदमी ही अपना अंपायर खड़ा नही कर सकते एक औरत भी कर सकती है। ऐसा ही आप राजनीति के क्षेत्र में भी देख सकते हैं। इंदिरा गांधी से लेकर द्रोपती मुर्मू तक कितनी ऐसी महिलाएं है जो पुरुषों से अच्छा कार्य कर रही हैं। 

महिलाओं को क्या क्या चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? 

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इन उपलब्धियों के बावजूद भी महिलाओं को असमान वेतन, सामाजिक अपेक्षाओं जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। महिला के कुछ करने से कई लोग इंस्पायर या प्रभावित नहीं होते बल्कि महिला को जज करना और डिमोटिवेट करना शुरू कर देते हैं। आप सबने अपने आस पास ही देखा होगा की एक महिला को शाम को अपने काम से समय पर घर लौटना जरूरी है चाहे उस घर का पुरुष देर रात तक घर लौटे। क्या सारे रूल्स और रेगुलेशन सिर्फ महिलाओं के लिए होने चाहिए? 

यह कहना बिलकुल भी गलत नही है की महिला शक्ति का बड़ना हमारे देश के समाज और अर्थव्यवस्था दोनो के लिए काफी लाभदायक है। आज महिला देश के विकास के लिए हर फील्ड में हिस्सा लेती हुई दिख रही है जो एक विकासशील देश के लिए काफी अच्छा है। 

 

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विनीता सिंह leadership राजनीति Breaking Barriers
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