How Bengali Film 'Mitin Mashi' Showed The Tragic Side Of Wildlife: सुचित्रा मुखर्जी की लिखी किरदार मितिन माशी जिसपर आज फिल्में बनाई जा रही है, एक वक्त पर अपने पाठकों में इसकी कहानियां काफी मशहूर थीI 2019 को इस किरदार पर आधारित पहली फिल्म बनाई गई जिसका नाम था 'मितिन माशी' जिसे विख्यात बंगाली डायरेक्टर अरिंदम सिल ने निर्देशित किया थाI अरिंदम सिल अपने रहस्यमय फिल्में निर्देशित करने के लिए जाने जाते हैI उन्होंने 'मितिन माशी' फ्रेंचाइजी की दूसरी फिल्म 'जोंगोले मितिन माशी' रिलीज़ की जिसे दर्शकों ने खूब सराहाI यह फिल्म मितिन मासी की दूसरी एडवेंचरस कहानी है जो वह सारंडा में जाकर तय करती हैI यह कहानी सुचित्रा जी की लिखी हुई 'सारंडाए शैतान' पर आधारित हैI
किस बारे में है यह फिल्म?
फिल्म के शुरू में ही प्रज्ञामित्रा अर्थात मितिन मासी (कोयल मल्लिक) ऐसे कई अवैध व्यापारियों को पकड़ती है जो पशुओं के शरीर के अंगों से बने चीजों का व्यापार करती हैI उसके बाद उन्हें जंगल के अधिकारी द्वारा एक नया मिशन सोपा जाता है जहां उन्हें हाथी को मारने वाले सारंडा के जंगलों में घूम रहे शिकारी को ढूंढ कर उन्हें पकड़ना पड़ेगाI वेकेशन का बहाना बनाकर जब मितिन अपने मिशन पर निकल पड़ती है तो वही उसके परिवार वाले उसे कंपनी देने के लिए उसे ज्वाइन करते है लेकिन कहीं ना कहीं सब के ऊपर खतरा मंडराता रहता हैI इस मोड़ पर उन्हें अपने पति पार्थ (सुभ्रजित दत्ता) और अपनी भांजी (लेखा चटर्जी) का पूरा साथ मिलता हैI लेखा का चरित्र इस फिल्म में और भी उभर कर आता है जो दिखाती है कि चाहे कैसा भी उम्र हो यदि इरादा पक्का हो तो हमें अवश्य लड़ना चाहिएI इसके अलावा विक्रम घोष द्वारा रचित फिल्म के गाने 'गहन उपवन' एवं 'धमसा धितम्' दर्शकों को और भी उत्सुक और प्रोत्साहित करती हैI
क्या हैं 'मितिन माशी' की खासियत?
'मितिन माशी' नारीशक्ति की एक अद्भुत दास्तां है जो न केवल अपने चतुराई से बड़े-बड़े रहस्य सुलझाती है बल्कि अपनी ताकत से लोगों के प्राण भी बचाती हैI फिल्म में यह बात एक अनोखे तरीके से समझाई गई है कि लड़कियों के लिए केवल मेंटल स्ट्रैंथ ही नहीं बल्कि फिजिकल स्ट्रैंथ भी बहुत महत्वपूर्ण हैI जहां एक तरफ मितिन पितृसत्तात्मक समाज से लड़ती है वहीं दूसरी तरफ उसे अपने पति से पूरा सहयोग मिलता है जो एक ढाल की तरह सर्वदा उनके पीछे खड़े रहते है और एक सच्चे पुरुष के सटीक उदाहरण हैI
यदि फिल्म के थीम पर बात करें तो ऐसे बहुत ही कम फिल्में होती है जो वाइल्डलाइफ अर्थात वन्य जीवन संरक्षण और उस पर हो रहे अत्याचारों के बारे में बात करती हैI यदि ऐसी ही एक और फिल्म की बात करे तो 2021 में आई विद्या बालन की 'शेरनी' इसी विषय पर चर्चा करती हैI आजकल जिस तरह से निर्मम जानवरों को मारा जाता है केवल खुद की लालच की प्यास बुझाने के लिए यह अत्यंत क्रूर एवं धर्म हैI मितिन समझता है कि इन मासूम जानवरों को मार कर हम भले ही अपना स्वार्थ मितले लेकिन भविष्य में हमारे इकोसिस्टम का बैलेंस डगमगा जाएगा जिसके कारण किसी भी प्राणी के लिए खुलकर सांस लेना अत्यंत दुर्लभ हो जाएगाI