How Can Divorce Impact Your Children? : एक बच्चे के लिए माँ और बाप दोंनो ज़रूरी हैं। यह सच है कि बच्चा माँ के साथ ज़्यादा वक्त गुज़ारता है लेकिन पिता का प्यार भी बच्चे के लिए उतना ही ज़रूरी है। माँ-बाप को अलग होते देख बच्चे को दोनों में से किसी एक को चुनना पड़े तो उस पर क्या ही बीतेगी।
तलाक़ के बाद कैसे इंपैक्ट होती है बच्चों की ज़िंदगी
डाइवोर्स या तलाक़ सिर्फ पति-पत्नी के लिए ही मुश्किल नहीं होता बल्कि घर के दूसरे सदस्य खास कर बच्चों के मन पर इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। कुछ बच्चे तो आसानी से इस चीज़ को समझ पाते हैं लेकिन कई बच्चों को माता-पिता के अलग होने का मतलब और कारण समझने में मुश्किलें आती हैं। आइये जानते हैं कि किस तरह आपका बच्चा तलाक से इम्पैक्ट हो सकता है।
1. पढ़ाई में मन न लगना
बच्चों के दिमाग़ में अपनी अलग ही दुनिया रहती है। जब आप तलाक़ से जूझ रहे होते हैं और दोनों पार्टनर एक दूसरे से अलग रहते हैं तो आपके बच्चे को लग सकता है कि उसके मम्मी पापा एक साथ नहीं रहते तो उनके दिमाग़ में कई सवाल उठ सकते हैं और उन सवालों के चलते उनका दिमाग़ फोकस नहीं कर पाएगा। इस वजह से उनका दिमाग़ डिस्ट्रैक्ट हो सकता है और पढ़ाई की तरफ़ रुझान कम होने से उनकी परफॉरमेंस पुअर हो सकती है।
2. खेल-कूद में रुचि घट जाना
जिन बच्चों के परिवार में रिलेशन्स या फिर डिवोर्स को लेकर इश्यू चल रहे होते हैं उन बच्चों का ध्यान खेल कूद की एक्टिविटी में कम हो जाता है। बच्चे अपने माँ बाप को लेकर इनसिक्योर फ़ील करते हैं और यह भी सोचते हैं कि उन्हीं के साथ ऐसा क्यों। जब वे दूसरे बच्चों के माँ बाप को एक परफ़ेक्ट कपल की तरह देखते हैं तो उनके मन में कई सवाल खड़े हो जाते हैं जिसकी वजह से बच्चे का दूसरी एक्टिविटीज में ध्यान कम हो जाता है।
3. बात-बात पर गुस्सा करना
घर और रिश्तों में हो रहे बदलाव को लेकर कई बार बच्चे कन्फ्यूज हो जाते हैं और समझ नहीं पाते कि उन्हें किसी बात पर कैसे रेस्पोंड करना है। उनका स्वभाव चिड़चिड़ा और बात-बात पर ग़ुस्सा करने वाला हो सकता है। ये बच्चे ख़ुद पर, माँ बाप पर, अपने दोस्तों पर या फिर दूसरे लोगों पर अपना ग़ुस्सा दिखा सकते हैं।
4. शादी के रिश्ते से यकीन उठ जाना
अपने माँ बाप को शादी के रिश्ते को निभाने में नाकामयाब होते देख, परिवार में बढ़ती हुई मुश्किलों के चलते बच्चों के नाज़ुक मन पर गहरा असर पड़ता है। भविष्य में उनका शादी जैसे रिश्ते तक से विश्वास उठ सकता है। वे ये सोच सकते हैं कि अगर लोगों को अलग ही होना होता है तो क्यों साथ में आकर परिवार शुरू करते हैं।
5. स्लीप डिसऑर्डर
अपने माँ बाप के तलाक़ को देखते हुए बच्चों के मन में कई तरह के इमोशंस चल रहे होते हैं, जिन्हें वे खुल कर किसी से नहीं कह पाते । जैसे कि ग़ुस्सा, कन्फ़्यूशन, एंजाइटी या स्ट्रेस उनके दिलों-दिमाग़ पर असर कर सकते हैं। वे इन इमोशंस को ख़ुद भी कम्प्लीटली समझ नहीं पाते और इस सब के चलते कई बार उनके सोने का पैटर्न इंपैक्ट होता है। इस तरह से उनकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर काफ़ी बुरे प्रभाव पड़ सकते हैं।