How Childhood Wounds Impact On Your Personality: कई लोगों के साथ बचपन में कुछ ऐसे हादसे हुए होते हैं जो जिंदगी भर के लिए उन्हें जख्म दे जाते हैं। कई बार उन्हें खुद ही नहीं पता चलता कि उनके साथ बचपन में जो हुआ था उसी के कारण आज वह ऐसे हैं। इन घावों का असर हमारे रिलेशनशिप, कैरियर और एडल्टहुड पर भी पड़ता है। हमारा व्यवहार और आदतें सब इनके हिसाब से ही तय हो जाती हैं। आइये जानते हैं कि कैसे बचपन का ट्रॉमा हमारे व्यवहार पर असर डालता है-
बचपन के घाव व्यक्तित्व पर कैसे प्रभाव डालते हैं?
Abusive Parents
जिन बच्चों के अबूसिव या फिर स्ट्रिक्ट पेरेंट्स होते हैं वह बच्चे कई बार खुद ही हिंसा करने लग जाते हैं या फिर झूठ बोलने लग जाते हैं। स्ट्रिक्ट पेरेंट्स उन्हें कुछ भी नहीं करने देते जिस कारण उन्हें सब कुछ छुपाकर करने की आदत पड़ जाती है। वह बड़े होकर भी ऐसी आदतों के साथ ही जीना शुरु कर देते हैं। जिन बच्चों के पेरेंट्स अबूसिव होते हैं, उन्हें मारते-पीटते हैं, उनके साथ मेंटल टार्चर करते हैं कई बार बड़े होकर ऐसे बच्चे क्रिमिनल भी बन जाते हैं।
Childhood Bullying
बचपन में बहुत बार बच्चे चाइल्डहुड बुलीइंग का भी शिकार हो जाते हैं जो उनके व्यक्तित्व पर बहुत बुरा असर डालती है। ऐसे बच्चे कई बार हिंसा भी करने लग जाते हैं. उनके अंदर बदले की भावना पैदा हो जाती है फिर वह दूसरों को तंग करते हैं। कुछ बच्चों के सेल्फ एस्टीम को बहुत चोट पहुंचती है और मानसिकता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
Sexual Abuse
सेक्सुअल एब्यूज भी बच्चों को बहुत अंदर को तक तोड़ कर रख देता हैं। बच्चे इतने डरे और सहम जाते हैं कि वह बड़े होकर भी उनके अंदर से डर नहीं निकलता है।उनके मन में कुछ इंसिडेंट बुरी छाप छोड़ देते हैं। ऐसे बच्चे बचपन में हुए यौन अनुभवों के साथ बड़े होकर भी इंटिमेसी से डरने लग जाते हैं।
Sepration Of Parents Single Parents
जिन बच्चों के बचपन में ही मां-बाप अलग हो जाते हैं उन बच्चों की जिंदगी आसान नहीं होती है। वह भी बहुत कुछ सहन करके बड़े होते हैं। सबसे पहले समाज उनको अच्छी नजर से नहीं देखता है। अगर सिंगल मदर द्वारा उनकी परवरिश की जाती है तो मदर के लिए भी वह आसान नहीं होता। अगर पिता के साथ बच्चे बड़े होते हैं कई बार पिता इतना बच्चे पर ध्यान नहीं दे पाते जितना माँ-बाप साथ में दे सकते हैं।
Gender Segregation
लिंग के आधार पर भेदभाव भी बच्चों पर बहुत गहरा असर डालता है। कई बार लड़कियों के साथ घर में बहुत भेदभाव होता है, एलजीबीटी बच्चों के साथ मारपीट और मेंटल एब्यूज होता है जो बड़े होकर भी उनके साथ ही चलता है। ऐसे भेदभाव बच्चों के अंदर सेल्फ एस्टीम की कमी पैदा कर देते हैं। बच्चे बहुत डरे और सहमे हुए रहने लग जाते हैं।