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जानिए किस तरह से Climate Change ने किया महिलाओं के स्वास्थ को प्रभावित किया

आज जब हम बिगड़ते पर्यावरण की बात करें तो धरती में मौजूद हर इंसान इससे प्रभावित है। लेकिन धरती के पर्यावरण को इस तरह से दूषित भी इंसानों ने ही किया है।

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Khushi Jaiswal
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( image credit : Salim Hanzaz )

Climate change: आज जब हम बिगड़ते पर्यावरण की बाते करें तो धरती में मौजूद हर इंसान इससे प्रभावित है। लेकिन धरती के पर्यावरण को इस तरह से दूषित भी इंसानों ने ही किया है। वैसे तो एक इंसान इसे बचने के लिए बड़े - बड़े सबमिट भी करता है लेकिन क्या सिर्फ नेताओं के मिलने और कुछ कागजों पर सिग्नेचर करने से सब सही हो जाएगा? क्या हमारे मिट्टी,पानी,पर्वत, बरफ और हमारे प्रकृति की जिम्मेदारी हमारी नही?

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जब कोविड का दौर था और इंसान घर में थे तो प्रकृति ने कितना सुंदर करवट लिया था इसके साक्षी सब थे। रोज हम कितना प्रदूषण अपने अंदर लेते हैं इसका हमे अंदाजा भी नहीं है। रोजाना कईयों की जान प्रदूषण से हुई बीमारियों से जाती है साथ ही बढ़ते प्रदूषण के कारण क्लाइमेट चेंग जैसी समस्या भी उत्पन होने लगी है। चलिए आज इसके एक पहलू के बारे में बात करते हैं कि कैसे क्लाइमेट चेंग एक महिला को प्रभावित करता है।

कैसे होती हैं क्लाइमेट चेंग के कारण एक महिला प्रभावित ?

हाली में हुए COP28 में यूनाइटेड नेशन वीमेन की एक रिपोर्ट में बताया गया कि 2050 तक क्लाइमेट चेंग के कारण 158 मिलियन औरतें और लड़कियां गरीबी की ओर बढ़ेगे और बिगड़ते मौसम के कारण आए आंधी, तूफान, बाढ़ और भीषण गर्मी के कारण कई औरतें गरीबी, शोषण, अन प्लांड प्रेगनेंसी और माइग्रेशन का शिकार होगीं। ये आकड़ा डराने वाला है और हमे मंथन करने पर मजबूर कर देते है कि सच में क्या औरतों को इतना कुछ का सामना करना पड़ सकता है।

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वही वर्ल्ड इकनोमिक फोरम के मुताबिक  क्लाइमेट चेंग के कारण एक महिला में गिरता हुआ मैटरनिटी स्वास्थ, मुश्किल प्रेगनेंसी और उससे संबंधित समस्या होंगी आपको ये जान कर भी आचर्य होगा कि क्लाइमेट चेंग और आज कल के ये प्रदूषण के कारण एक महिला को मेनोपॉज भी जल्दी हो रहा है। साथ ही प्रदूषित खान - पान के कारण एक महिला के दूध में हैवी मेटल पाया गया है जो उनके शिशु के लिए भी घातक है कई नन्हे शिशुओं में उसके कारण अब्नोर्मलिटी देखने को मिली है। एक महिला का प्रजनन स्वास्थ किस तरह के प्रभावित होगा इसका अंदाजा भी लगाना मुश्किल है।

लोगों के इस क्लाइमेट चेंग के इशू को बस नॉर्मलाइज कर दिया है। कहने को सब कहते हैं कि, अरे ! इस बार बारिश नहीं हुई ? इस बार गर्मी बहुत ज्यादा हो रहीं है, लेकिन कोई इसके कारण पर गौर नही करना चाहते हैं बूंद-बूंद से सागर भरता हैं। अगर हम मिलकर खुद जिम्मेदार होंगे तो साथ में हम बड़ा बदलाव ला सकते हैं और ना ही बेजुबान जानवर बल्कि एक इंसानी जीवन पर पनक रहें इस क्लाइमेट चेंग के बड़े दिक्कत से साथ लड़ सकते हैं।

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