How Dream Feeding Is Beneficial For Children? हर मां के लिए ब्रेस्टफीडिंग का समय बहुत खास होता है। जो मां और शिशु के बीच रिश्ते को दर्शाता है, लेकिन इस दौरान नई मां के लिए हर रोज एक नया चैलेंज होता है। चाहे वह शिशु को स्नान कराने से लेकर ब्रेस्टफीडिंग तक हो। इस दौरान हर दिन मुश्किलों से भरा हुआ होता हैं, खासतौर पर रात के दौरान। जिसमें कई बार भूख लगने से बच्चे रात में रोने लगते हैं। जिस कारण बच्चे की नींद पूरी नहीं हो पाती और वो चिड़चिड़ापन महसूस करने लगते हैं। ऐसे में इस समस्या से बचने के लिए कई मां एक मैजिकल फीडिंग रूटिंग को अपनाती हैं, जिसे ड्रीम फीडिंग कहा जाता है। जो बच्चे के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है।
क्या है ड्रीम फीडिंग?
ड्रीम फीडिंग का अर्थ बच्चे को नींद में ही ब्रेस्टफीडिंग कराना। कई बार बच्चे रात में भूख लगने से रोने लगते हैं। जिससे राहत दिलाने में ड्रीम फीडिंग लाभदायक साबित होते हैं। जो सोने से पहले रात में 10 या 11:00 बजे करनी चाहिए। इससे बच्चे का पेट भरा हुआ रहता है और लंबे समय तक गहरी नींद में सो पाता है। इसे बच्चे को बिना उठाएं कराया जाता है। हालांकि, यह हमेशा सफल नहीं होता। इसके लिए आप बार-बार ट्राई कर सकती हैं, ताकि बच्चे को इसकी आदत लग पाएं।
ड्रीम फीडिंग बच्चे के लिए कैसे है फायदेमंद?
- ड्रीम फीडिंग करने से बच्चे के नींद में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आती है। वो काफी देर तक आराम से सो पाते हैं।
- भूख लगने से बच्चे की नींद खुल जाती है। जिससे उनमें चिड़चिड़ापन आ जाता है। ऐसे में ड्रीम फीडिंग काफी फायदेमंद साबित होता है, क्योंकि इससे बच्चे का मेंटल हेल्थ भी सही बना रहता है।
- बच्चे की नींद खुलने से मां की भी नींद खुलती है। ऐसे में वो भी मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं रह पाती है, क्योंकि इस दौरान शिशु के साथ-साथ मां को भी अच्छी नींद की आवश्यकता होती है। जिसे ठीक करने में ड्रीम फीडिंग मदद करता है, क्योंकि इससे लंबे समय तक बिना रुकावट के नींद को लिया जा सकता है।
कैसे करें ड्रीम फीडिंग?
- बच्चे को ड्रीम फीडिंग करने के लिए ऐसा समय चुने जब बच्चा गहरी नींद में हो, लेकिन ध्यान रहें कि उस दौरान बच्चे का पेट भरा हुआ नहीं रहना चाहिए।
- इसे करने के लिए आप अपने ब्रेस्ट को उनके मुंह के पास ले जा सकते हैं या आप आराम से बेड से बच्चे को उठाकर गोद में सुलाते हुए फीडिंग करा सकती हैं।
- ड्रीम फीडिंग करने से पहले जरूर ध्यान रखें कि कमरे का लाइट कम ही हो। ताकि फीडिंग करते वक्त उनकी नींद ना खुलें।
- स्तनपान कराने के बाद नींद में ही उन्हें डकार दिलाने की कोशिश करें।