How To Stop Judging Yourself: हम अक्सर कहते हैं कि हमें किसी को जज नहीं करना चाहिए लेकिन उसकी कोई बात नहीं जो हम खुद को जज कर रहे हैं। कोई और हमें कुछ कहे उससे पहले ही हम अपने आप को कह देते हैं कि हम सुंदर नहीं है। हमारी बॉडी ऐसी होनी चाहिए थी। हम परफेक्ट नहीं है, हमें कोई प्यार नहीं करता। इस कारण हम खुश नहीं रहते और हर चीज के लिए खुद को जिम्मेदार मानने लग जाते हैं जो कि गलत है। आप कीमती हैं। आईए जानते हैं कि कैसे आप खुद को जज करने से रोक सकते हैं-
Self Care: खुद को जज करने से कैसे रोके?
खुद की हर सोच पर विश्वास करना बंद कीजिए
हम अपने बारे में बहुत सारी चीज सोचते हैं कि हम अच्छे नहीं है, हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं, दूसरे हमसे आगे निकल रहे हैं, हमारा कोई रूटीन नहीं है। हम ही गलत है या मेरे में ही कुछ कमी है। हम अपने दिमाग में बहुत सारी नेगेटिव बातें सोचते रहते हैं जिन्हें हम सच मान लेते हैं। क्योंकि हम खुद को ढूंढते नहीं है। हम अपने बारे में जानते नहीं है।
दूसरों के व्यवहार के लिए खुद को 'दोषी' मत ठहराएं
किसी के व्यवहार और एक्शन के लिए खुद को दोषी मारना बहुत ज्यादा गलत है। कोई आपको नीचा दिखा रहा है तो हम सोचते कि शायद मेरे में कुछ कमी है इसलिए वह मेरे साथ ऐसा कर रहा है। नहीं, हमें दूसरों के व्यवहार या माइंडसेट को खुद के ऊपर हावी नहीं होने देना है। अपने आप के ऊपर इतना सख्त मत होइए। स्थितियों को इवेलुएट करना शुरू कीजिए और देखें कि हम इस बात के लिए जिम्मेदार हैं और नहीं।
अति सामान्यीकरण बंद करो
हम लोगों की आदत है कि हम अगर एक बार किसी चीज में फेल हो जाते हैं या फिर कुछ गलत कर देते हैं तो हम अब खुद को जर्नलाइज कर लेते हैं। हमें लगता है कि हम ऐसे ही हैं। ऐसा करना बंद कीजिए।सिचुएशंस बदलती रहती हैं, आसपास के लोग बदलते हैं और माहौल बदलते हैं। इसलिए खुद को जनरलाइजेशन के बॉक्स में मत बंद कीजिए। अपने आप को चेंज होने के लिए छोड़ दे।
खुशी को आने को मत रोकें
ऐसी स्थिति में हम खुद को बहुत रोककर रखते हैं। जब भी हमारे को कोई खुशी की न्यूज़ या हमारे साथ कुछ अच्छा होता है हम सेलिब्रेट नहीं करते हैं। हमारे अंदर एक डर और एंजायटी होती है। उसे खत्म कीजिए। आप सोचिए कि अगर आपके दोस्त के साथ कुछ अच्छा होता है तब आप उसे क्या कहते। उन्हीं शब्द या लाइन अपने लिए प्रयोग कीजिए ऐसा मत सोचिए कि आप खुशियों के लायक नहीं हैं।
कंफर्टेबल जिंदगी मत तलाशें
जब हमें कंफर्ट की आदत लग जाती है तब हम बिल्कुल भी विकास नहीं कर पाते हैं। हमारे अंदर कुछ नया नहीं आता। हम बिल्कुल कठोर हो जाते हैं जिसके कारण आसपास के लोगों का भी हमारे अंदर से इंटरेस्ट खत्म हो जाता है। इसलिए कुछ नया सीखे खुद को ऐसे कामों में डालें जहां पर आपको अनकंफरटेबल महसूस हो।
माइंडफूलनेस प्रैक्टिस कीजिए
हमें बीते हुए और आने वाले कल में रहने की बजाय आज में जीना सीखना चाहिए। आज में जब हम नहीं रहते हैं तब हम किसी भी को एंजॉय नहीं कर पाते हैं। इसके साथ ही जो आपके पास है उसमें खुश रहें और वो भी खुद को बिना जज किए।