Important Days and Rules to Break Bilva Patra Leaf: बेलपत्र या बिल्व पत्र भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर हिंदू धर्म में। वैसे तो हिन्दू धर्म में कोई न कोई पुष्प या पत्ता भगवान को अर्पित किया जाता है उन सबमें मुख्य है बिल्व पत्र। यह भगवान शिव को चढ़ाया जाता है। , वेदों में बेलपत्र का धार्मिक, आयुर्वेदिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। लेकिन इसे तोड़ने के लिए कुछ विशेष तिथियां और नियम होते हैं जिनका पालन करना आवश्यक है।
जानते हैं बिल्व पत्र से जुड़ें कुछ तथ्य
बेलपत्र का महत्व
बेलपत्र का धार्मिक महत्व असीमित है। इसे भगवान शिव की पूजा में अत्यंत प्रिय माना जाता है। कहा जाता है कि बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। बेलपत्र का त्तीन पत्तों वाला होता है जिन्हें त्रिदेवों – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – का प्रतीक माना जाता है।
इन तिथियों पर बेलपत्र न तोड़ें
धार्मिक शास्त्रों में कुछ विशेष तिथियों पर बेलपत्र तोड़ना वर्जित माना गया है। इन तिथियों पर बेलपत्र को तोड़ने से भगवान शिव का अपमान होता है और इससे शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती। प्रमुख तिथियां जिन पर बेलपत्र तोड़ना वर्जित है:
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अमावस्या: अमावस्या को पंचतत्वों की ऊर्जा कमजोर होती है। इस दिन बेलपत्र तोड़ने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है।
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तिथि:चतुर्दशी, अष्टमी, नवमी इन तिथि को बेलपत्र तोड़ने से शिवजी की कृपा नहीं प्राप्त होती।
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वार: सोमवार जो शिवजी को समर्पित है और रविवार जो सूर्य देव को समर्पित है बहुत शुभ दिन माने जाते है लेकिन बेलपत्र तोड़ने के लिए यह दिन उचित नहीं है।
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संक्रांति: संक्रांति तिथि या वार के दिन बिल्व पत्र तोड़ना चाहिए।
बेलपत्र तोड़ने के नियम
बेलपत्र को हमेशा सुबह के समय तोड़ना चाहिए और उसे साफ जल से धोकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। बेलपत्र को तोड़ते समय भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए और मन में शुद्ध भाव रखें। साथ ही बिल्व पत्र तोड़ने से पहले इस मंत्र को बोलें “अमृतोद्भव श्री वृक्ष महादेवत्रिय सदा, गृहणामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्”
बेल पत्र चढ़ाने का नियम
धर्मिक ग्रंथों के अनुसार बिल्व पत्र जिस प्रकार पनपता है उसकी प्रकार उसे भगवान को चढ़ाया जाता है। बिल्व पत्र चढ़ाने के लिए सीधे हाथ की अनामिका और अंगूठे का उपयोग करते हुए पत्ते की चिकनी सतह को ऊपर की तरफ रख कर चढ़ाएं साथ ही मंत्र बोलें।