Is Paid Leave Insignificant During Periods?: कुछ ही दिनों पहले राज्यसभा के बातचीत के दौरान भारत के महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी के पीरियड्स को लेकर बयान ने पूरे देश में इस विषय पर खलबली मचा दीI अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि "पीरिएड्स एक शारीरिक घटना हैI सिर्फ कुछ ही महिलाओं/लड़कियों को पीरिएड्स के दौरान गंभीर दर्द से गुजरना पड़ता हैI इनमें से ज्यादातर मामले दवा से कंट्रोल में आ जाते हैI" सिर्फ यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि "एक मासिक धर्म वाली महिला के रूप में, मासिक धर्म और मासिक चक्र कोई बाधा नहीं है, यह महिलाओं की जीवन यात्रा का एक स्वाभाविक हिस्सा है।" जहां कई लोग उनका पक्ष लेते हुए दिखे तो कई उनकी बातों से असहमत रहेI
तो फिर क्या पीरियड्स महिलाओं के लिए सहनीय बन जाते हैं?
इसका जवाब है नहीं! हां, यह बात जरूर है कि कुछ महिलाओं को दवा लेने पर पीरियड्स को झेलने में आसानी मिलती है लेकिन दवा ही इसका एकमात्र उपाय नहीं हैI ऐसी दवाओं के साइड इफेक्ट्स भी होते है इसे इतना तो जरूर पता चलता है की दवा पीरियड्स का विकल्प तो बिल्कुल नहीं हैI यदि विकलांग बनने की बात करें तो यह आवश्यक है कि पीरियड्स किसी महिला को विकलांग या फिर असक्षम नहीं बना देता हैI पीरियड्स होने के बावजूद भी ऐसे सहस्त्र महिलाएं हैं जो मेंस्ट्रूअल क्रैंप्स और कमजोरी लेकर दफ्तर में काम करने जाती हैI असहनीय पीड़ा के बावजूद भी वह अपने सहनशक्ति के दम पर सब कुछ सह लेती है लेकिन इस नाते हम उनकी मजबूरी को नजरअंदाज नहीं कर सकतेI
यह सच है कि महिलाओं को समान अवसर मिलने का पूरा हक है लेकिन यदि हर महीने उन्हें इस अनंत पीड़ा से गुजरना पड़ता है तो उन्हें हक है अपने लिए पेड लीव की मांग करने का यदि आज उनकी जगह पुरुषों को इस पीड़ा से गुजरना पड़ता तो उन्हें भी इसकी मांग करने का पूरा हक होताI लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि आज भी हमारे समाज में पीरियड्स को लेकर जागरूकता बिल्कुल भी नहीं है, आज भी पीरियड्स जैसे गंभीर विषय को लोग नजरअंदाज कर देते हैं क्योंकि आधे तो इससे गुजरने नहीं और जो गुजरते हैं उनमें से कई इस पर बात करने से पीछे हट जाते हैं और जो बात करना चाहते हैं वह चुप्पी साध लेते हैंI
क्यों मिलनी चाहिए महिलाओं को मेंस्ट्रूअल पेड लीव?
जैसा कि कहा गया है आज भी लोग मेंस्ट्रुएशन जैसे संवेदनशील विषय पर बात करने से कतराते हैं वह इसलिए क्योंकि वह शायद यह नहीं जानते की पीरियड्स एक महिला के लिए कितना दर्दनाक साबित हो सकता हैI आज भी इसे लेकर अज्ञानता की छाया बनी हुई हैI इस बात पर ऐसी ही राय देना बहुत आसान है क्योंकि सच तो यह है कि पीरियड्स के लक्षण हर महिलाओं के लिए एक जैसे नहीं होतेI कुछ महिलाओं की अगर 4 दिन तक पीरियड्स रहती है तो कुछ को 8 दिन तक इसका सामना करना पड़ता हैI कभी कबार तो 1 महीने से ज्यादा भी किसी की पीरियड्स रहती है और उसे डॉक्टर दिखाकर दवाई लेनी पड़ती है ठीक होने के लिएI यह तो गई दिन की बात लेकिन पीरियड्स के दौरान मेंस्ट्रूअल क्रैंप्स का क्या?
पीरियड्स के दौरान मेंस्ट्रूअल क्रैंप्स इतनी दर्दनाक होती है कि कई महिलाएं तो बिस्तर से भी उठने की हालत में नहीं रहती हैI केवल यही नहीं पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग के कारण महिलाओं के लिए चलना फिरना भी मुश्किल हो जाता है जब उन्हें दिन में 6 बार से ज्यादा पैड बदलने की नौबत आ जाती हैI और सुनना चाहते है? स्तन में सूजन, शरीर में असहनीय थकान, लूज़ मोशन एवं सिरदर्द जैसे कई भयंकर लक्षणों से एक महिला को हर महीने गुजरना पड़ता हैI सिर्फ दवाई लेने से इसका पूरी तरह से इलाज नामुमकिन हैI
हर कोई जानता है कि प्रेगनेंसी के दौरान एक औरत को कितनी तकलीफ होती है और सरकार की बदौलत उन्हें आज मैटरनल लीव्स भी मिलती है लेकिन सरकार को यह भी ज्ञात होना चाहिए कि पीरियड्स हर किसी के लिए एक जैसा नहीं होता और ऐसे में एक औरत को मेंस्ट्रुएशन लीव मिलने का पूरा अधिकार हैI आज भी कई कार्य क्षेत्र में एक गर्भवती महिला को वह सुविधाएँ नहीं मिलती जो उन्हें मिलनी चाहिए और उनकी तकलीफ को नजरअंदाज कर दिया जाता है क्योंकि केवल एक महिला ही इस दर्द का अनुभव कर सकती हैI यदि आज भी उनकी समस्याओं को अनसुनी कर दी जाएगी तो बाद में हर कार्य क्षेत्र में महिलाओं की तकलीफ की कोई कीमत नहीं रहेगी और यदि वह इस दबाव में काम करती रही तो वह अपना संपूर्ण योगदान नहीं दे पाएगी और बाकी से पीछे रह जाएगी और एक बार फिर से महिलाएं अपने समान अधिकार अपने के हक से वंचित रह जाएगीI