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Photograph: (NDTV)
Is your favorite street food really safe: भारत की गलियों में मिलने वाला स्ट्रीट फूड सिर्फ भूख मिटाने का ज़रिया नहीं, बल्कि हर उम्र के लोगों की पसंद और रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है कभी चटपटा स्वाद, तो कभी दोस्तों के साथ बिताए लम्हों की याद।हर गली, हर नुक्कड़ पर आपको कुछ नया और स्वादिष्ट मिल ही जाता है। लोग ऑफिस से लौटते हुए, दोस्तों के साथ घूमते हुए या शॉपिंग के बीच में एक झटपट चटपटा स्नैक लेना पसंद करते हैं। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि जो हम इतने शौक से खा रहे हैं, वो हमारी सेहत के लिए कितना सुरक्षित है?
अक्सर स्वाद के चक्कर में हम साफ-सफाई या हाइजीन को नजरअंदाज़ कर देते हैं। कई बार तो हमें ये भी नहीं पता होता कि जिन बर्तनों में खाना परोसा जा रहा है या जिन हाथों से वो बनाया जा रहा है, वो कितने साफ हैं। यही छोटी-छोटी बातें बाद में पेट की परेशानी, फूड पॉइज़निंग या और भी कई बीमारियों की वजह बन जाती हैं।
क्या आपका फेवरेट स्ट्रीट फूड वाकई सेफ है?
हममें से ज़्यादातर लोग स्ट्रीट फूड को बेहद पसंद करते हैं। चाहे स्कूल से लौटते बच्चे हों, कॉलेज के स्टूडेंट्स हों या जब भूख अचानक लगती है या कुछ चटपटा खाने का मन होता है, तो सड़क किनारे मिलने वाले स्नैक्स जैसे पानीपूरी, भेल या मोमोज़ तुरंत ध्यान में आ जाते हैं। ये स्वाद में मज़ेदार होते हैं और ज़्यादा महंगे भी नहीं, इसलिए लोग इन्हें बेझिझक बार-बार खा लेते हैं।
लेकिन कई बार हम ये सोच ही नहीं पाते कि जिस स्टॉल से हम ये खाना ले रहे हैं, वो कितना साफ है। क्या जिस पानी से पानीपूरी बनाई गई है, वो फिल्टर है? क्या बर्तन अच्छे से धोए गए हैं? और क्या बेचने वाले ने हाथ धोए हैं या दस्ताने पहने हैं? ये सवाल अक्सर हमारे दिमाग में आते ही नहीं, क्योंकि हम स्वाद में इतने खो जाते हैं कि सेहत की तरफ ध्यान ही नहीं जाता।
बहुत सारे घरों में ऐसा हुआ है कि किसी दिन बाहर से कुछ खा लिया और फिर बच्चे को पेट में दर्द होने लगा, उल्टी या दस्त हो गए। शुरुआत में हमें लगता है कि मौसम का असर है या कुछ और हल्की बात है, लेकिन बाद में डॉक्टर तक जाना पड़ता है। और तब जाकर समझ आता है कि खाने में साफ-सफाई की कमी ने परेशानी खड़ी कर दी।
हर परिवार में कभी न कभी ऐसा अनुभव ज़रूर आता है, जब बाहर का खाना बीमार कर देता है। और तब समझ आता है कि स्वाद से ज़्यादा ज़रूरी साफ-सफाई है। इसका मतलब ये नहीं कि स्ट्रीट फूड खाना ही छोड़ दें, बल्कि ज़रूरी ये है कि जहां से भी खाएं, वहां की सफाई देखें। क्या दुकान पर ढककर सामान रखा गया है? क्या दुकान वाला साफ कपड़े पहनता है? ये छोटी-छोटी बातें हमें बहुत बड़ी परेशानी से बचा सकती हैं।
थोड़ा ध्यान देने से हम स्ट्रीट फूड का मज़ा भी ले सकते हैं और अपनी सेहत को भी सुरक्षित रख सकते हैं।
सेफ स्ट्रीट फूड की पहचान कैसे करें?
1. साफ-सुथरा ठेला या दुकान हो
जहां से आप खाना ले रहे हैं, वहां की सफाई सबसे पहले देखें। क्या दुकान के आसपास गंदगी है? क्या खाना ढककर रखा गया है?
2. खाना ताज़ा बना हो
ताज़ा बना खाना हमेशा ज़्यादा सुरक्षित होता है। कई बार स्ट्रीट फूड में पुराना तेल इस्तेमाल होता है या पहले से बना हुआ खाना बार-बार गर्म किया जाता है। ऐसे खाने से बचें।
3. पानी से बनी चीज़ों में सतर्क रहें
पानीपूरी या चटनी जैसी चीज़ों में अक्सर अशुद्ध पानी इस्तेमाल होता है। अगर आपको पानी की क्वालिटी पर ज़रा भी शक हो, तो वहाँ से ना खाएं।
4. बेचने वाला साफ कपड़े और दस्ताने पहने हो
अगर स्टॉल पर काम करने वाला व्यक्ति गंदे कपड़े पहने हो या नंगे हाथों से खाना परोस रहा हो, तो वहां से खाना लेना रिस्की हो सकता है।
5. भीड़ देखकर अंदाज़ा लगाएं
अगर दुकान पर लोग ज़्यादा आते हैं और जल्दी-जल्दी खाना खत्म होता है, तो समझिए वो जगह भरोसेमंद है। लेकिन अगर सामान बहुत देर से पड़ा है, तो वहाँ से बचें।
6. बर्तनों और प्लेट्स की सफाई देखें
डिस्पोज़ेबल प्लेट्स या ढंग से धुले हुए बर्तन इस्तेमाल किए जा रहे हों ये देखना भी बहुत ज़रूरी है।