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Photograph: (linkedin)
Is your self-doubt holding you back: हम सभी के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब हम अपनी क्षमताओं पर शक करने लगते हैं। चाहे वह कोई नया अवसर हो, बड़ा निर्णय हो या फिर सपनों को सच करने की कोशिश सेल्फ डाउट यानी आत्म-संदेह अक्सर हमारे रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट बन जाता है। यह न सिर्फ हमारे आत्मविश्वास को कमजोर करता है, बल्कि हमें आगे बढ़ने से भी रोकता है।
क्या आपका सेल्फ डाउट आपको रोक रहा है?
जीवन में जब भी हम कुछ नया करने की कोशिश करते हैं या कोई बड़ा कदम उठाते हैं तो सबसे पहले जो डर हमारे सामने आता है वह है खुद पर शक करना। यह शक धीरे-धीरे इतना बढ़ जाता है कि हम अपने आप पर विश्वास खोने लगते हैं। परिवारों में भी यह बहुत आम बात है। जब कोई बच्चा आगे बढ़ने की कोशिश करता है जैसे कोई नया करियर चुनना चाहता है या कोई अलग रास्ता अपनाना चाहता है तो सबसे पहले घर में ही सवाल उठते हैं - क्या तुम कर पाओगे? इतना कठिन है, संभाल पाओगे क्या? ये सवाल केवल बाहरी नहीं होते कई बार ये बातें सुनते-सुनते हमारे मन में भी खुद के लिए संदेह पैदा होने लगता है।
सेल्फ डाउट यानी आत्म-संदेह एक ऐसा भाव है जो हमें भीतर से कमजोर बना देता है। हम अपने सपनों, अपनी क्षमताओं को लेकर अनिश्चित हो जाते हैं। हर कदम पर लगता है कि शायद हम असफल हो जाएंगे, शायद हमसे नहीं हो पाएगा। असल में यह भावना कहीं न कहीं हमारे पालन-पोषण, समाज की अपेक्षाओं और हमारी खुद की पिछली असफलताओं से जुड़ी होती है। बचपन में जब हम गलती करते हैं और डांट खाते हैं तो कहीं न कहीं मन में बैठ जाता है कि गलती करना गलत है। धीरे-धीरे यह सोच बनती है कि कोशिश करने से पहले ही सोचो अगर फेल हो गए तो क्या होगा?
सेल्फ डाउट का असर सिर्फ हमारे फैसलों तक सीमित नहीं रहता। यह हमारे रोजमर्रा के जीवन में भी दिखता है। एक साधारण सी मीटिंग में बोलने से लेकर किसी इंटरव्यू में अपने आप को प्रेजेंट करने तक, हम हर जगह खुद को पीछे खींचने लगते हैं। कई बार लोग इतने अच्छे होते हैं उनके पास सही स्किल्स होती हैं, लेकिन सिर्फ आत्म-संदेह के कारण वे खुद को साबित नहीं कर पाते। उन्हें लगता है कि शायद दूसरे लोग उनसे बेहतर हैं, शायद उनकी मेहनत भी कम पड़ जाएगी।
हर परिवार में यह भावना कहीं न कहीं देखने को मिलती है। माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा सुरक्षित रहे, इसलिए वे उसे जोखिम लेने से रोकते हैं। दोस्त कभी-कभी अपने डर दूसरों पर थोप देते हैं। और फिर धीरे-धीरे यह माहौल बन जाता है जिसमें सपने देखना भी एक बड़ी चुनौती लगने लगता है।
असल में हर व्यक्ति के अंदर कहीं न कहीं ताकत होती है, लेकिन सेल्फ डाउट उस ताकत पर परदा डाल देता है। यह ऐसा है जैसे कोई धुंध हो, जो हमें साफ रास्ता देखने नहीं देती। जब तक हम इस धुंध को हटाने का फैसला नहीं करते, तब तक हम अपनी असली क्षमता तक पहुंच ही नहीं पाते।