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Photograph: (BJJ India)
Self-Defense & Martial Arts A Necessity for Every Woman:आज के समय में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा विषय बन गया है। घर से बाहर कदम रखते ही कई तरह की चुनौतियाँ उनका इंतजार कर रही होती हैं। ऐसे में आत्मरक्षा (Self-Defense) और मार्शल आर्ट्स सीखना सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि एक जरूरत बन चुका है। यह न केवल शारीरिक सुरक्षा प्रदान करता है बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ाता है। जब महिलाएं आत्मरक्षा के गुर सीखती हैं, तो वे किसी भी मुश्किल स्थिति का सामना करने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हो जाती हैं। सवाल यह उठता है-क्या हर महिला को इसे सीखना चाहिए? और यह कितना जरूरी है? आइए इस पर गहराई से विचार करें।
मार्शल आर्ट्स और सेल्फ-डिफेंस क्या यह हर महिला को सीखना चाहिए? यह कितना जरूरी है?
हमारे समाज में महिलाओं की सुरक्षा हमेशा से चिंता का विषय रही है। जब कोई घटना घटती है, तब परिवार और समाज को एहसास होता है कि महिलाओं के लिए आत्मरक्षा (Self-Defense) कितनी जरूरी है। कई बार माता-पिता अपनी बेटियों को बाहर भेजने से पहले हजार बार सोचते हैं, क्योंकि उन्हें डर होता है कि अगर कोई मुश्किल स्थिति आ गई, तो वे खुद की रक्षा कैसे करेंगी? यह डर वास्तविक है और यही कारण है कि मार्शल आर्ट्स और आत्मरक्षा का प्रशिक्षण हर महिला के लिए बेहद जरूरी हो जाता है।
आमतौर पर, महिलाएं जब तक किसी खतरे का सामना नहीं करतीं, तब तक उन्हें यह एहसास नहीं होता कि आत्मरक्षा उनके लिए कितनी महत्वपूर्ण है। लेकिन जब कोई अप्रिय घटना सामने आती है, तब परिवार और समाज दोनों को इस बात की चिंता सताने लगती है कि अगर पहले से सेल्फ-डिफेंस सीखा होता, तो स्थिति को संभाला जा सकता था। आत्मरक्षा केवल फिजिकल स्ट्रेंथ बढ़ाने का जरिया नहीं है, बल्कि यह महिलाओं में आत्मविश्वास भी बढ़ाता है। जब किसी महिला को यह पता होता है कि वह अपनी सुरक्षा खुद कर सकती है, तो वह बिना किसी डर के आत्मनिर्भर बन सकती है।
मार्शल आर्ट्स और सेल्फ-डिफेंस की ट्रेनिंग सिर्फ बड़ी उम्र की महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि छोटी बच्चियों के लिए भी जरूरी है। माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल और कोचिंग भेजते हैं, लेकिन क्या वे उन्हें सुरक्षा के बारे में सिखाते हैं? जब कोई बच्ची छोटी उम्र से आत्मरक्षा सीखती है, तो वह बड़ी होकर किसी भी अनचाही परिस्थिति का सामना कर सकती है।
इसके अलावा, आत्मरक्षा का एक और बड़ा फायदा यह है कि यह महिलाओं को मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है। सिर्फ फिजिकल ट्रेनिंग ही नहीं, बल्कि मानसिक तैयारी भी उतनी ही जरूरी होती है। जब एक महिला अपने आत्म-सम्मान और सुरक्षा के प्रति सचेत हो जाती है, तो वह अपनी सीमाओं को खुद तय कर सकती है।
समाज में बदलाव लाने के लिए यह जरूरी है कि हर महिला को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण मिले। चाहे वह स्कूल जाने वाली लड़की हो, कॉलेज की छात्रा हो, या फिर कोई कामकाजी महिला-हर किसी को अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद लेनी होगी। जब महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी, तो समाज भी सुरक्षित और सशक्त बनेगा।