/hindi/media/media_files/3pnLfxtF2kcXRrrvuafN.jpg)
/filters:quality(1)/hindi/media/media_files/3pnLfxtF2kcXRrrvuafN.jpg)
Men's Day
हमारे समाज में औरतें तों पित्तरसत्ता सोच का शिकार होती है लेकिन मर्द भी होते है। उन्हें भी बहुत सी चीजों का सामना करना पड़ता है। शायद ये औरतों से कम होता लेकिन शिकार इस चीज़ का मर्द भी होते है- समाज उन पर भी रोक लगाता है। उनके साथ भी उत्पीड़न होता है।
International Men's Day: ऐसी चीज़ें जो अक्सर मर्दों को सुननी पड़ती है
इमोशंज़ को व्यक्त नहीं करने दिया जाता
मर्द इस चीज़ को लेकर बहुत सहन करते है कि उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करने दिया जाता है। शुरू से ही कहा जाता है कि औरतें रोटी है मर्द थोड़ी ना। तुम लड़की हो जो रहे हो?
घर की ज़िम्मेदारियों का बोझ
समाज में सिर्फ़ मर्दों पर घर की ज़िम्मेदारियों का बोझ डाला जाता है। उसे ही घर पर कमाकर लाना है। अगर मर्द नहीं कमाकर लाता उसे निक्कमा बोला जाता है।
मेकअप नहीं कर सकते
आज भी समाज की ये सोच है कि मेकअप सिर्फ़ औरतें ही कर सकती है। आज भी समाज में ऐसी सोच बैठी है। जिन मर्दों को मेकअप का शोंक है उन्हें समाज में बहुत सी चीजें फ़ेस करनी पड़ती है। लोग उनकी सेक्शूऐलिटी पर सवाल उठाते है।
होममेकर नहीं हो सकते
यह भी एक धारणा है कि मर्द होममेकर नहीं हो सकते। सिर्फ़ उन्हें बाहर काम करना है। घर का काम तों औरतों की ज़िम्मेदारी होती है!
मर्द को दर्द नहीं होता
मर्द भी इंसान होते है। उन्हें भी दर्द होता है। उनके अंदर भी फ़ीलिंग होती है। उन्हें भी सपोर्ट की ज़रूरत होती है।
मर्दों को स्पोर्ट्स पसंद होती है
जी नहीं, यह एक धारणा है ज़रूरी नहीं है कि मर्दों को स्पोर्ट्स पसंद हो। ये हर व्यक्ति की अपनी एक पसंद इस पर जज करना बिल्कुल ठीक नहीं है।