समाज में औरतों का शुरू से शोषण हुआ है। वे अपने हक़ो के लिए शुरू से लड़ती रही है। पहले जमाने में औरत को मर्द के पैर की चप्पल माना जाता था। उनके नजरिए का कभी सम्मान नहीं किया जाता। आज भी हालातो में कुछ ज्यादा फर्क नहीं आया है। औरत चाहे पढ़ लिख कर नौकरी कर रही है लेकिन आज भी समाज का उसके प्रति नजरिया नहीं बदला है। आज भी हमारे समाज में लड़की को एक 'चीज़' माना जाता है। समाज में आज भी यहीं सोच है कि वे लड़की को पैसों, गिफ़्ट दिखाकर हम उसकी मर्ज़ी के बिना कुछ भी कर सकते है। लेकिन यह सोच बिल्कुल ग़लत हैं इस सोच को बिल्कुल बहिष्कार होना चाहिए।
No Means No: लड़की की ना का मतलब ‘नहीं’ ही होता है!
नही का मतलब नहीं होता
हम अपने आस-पास ऐसी बहुत सी घटनाएँ देखते है लड़की ना भी बोलती है लेकिन फिर भी उसके साथ 'रेप' होता है और ‘सेक्शूअल हर्रासमेंट’(Sexual Harassment) के कितने केस सामने आते है। यह इस लिए होता है क्योंकि क्योंकि औरत की 'नहीं' में मर्द को ‘हां’ सुनाई देता है। मर्द अपने घर की औरत के साथ चाहता है उसके साथ कुछ गलत ना हो लेकिन किसी दूसरी के बहन, बेटी को कुछ नहीं समझता है। उसके साथ गलत करने में उसे जरा भी शर्म नहीं आती है।
कन्सेंट का कॉन्सेप्ट समझने की ज़रूरत
हमें सबसे पहले कन्सेंट का मतलब समझने की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है। आप किसी के ऊपर अपना फ़ैसला नहीं थोप सकते। अगर आप किसी के साथ रिलेशन में आना चाहते है या फिर किसी के साथ शारीरिक सम्बंध बनाना चाहते है आपको सबसे पहले उसकी रज़ामंदी की ज़रूरत है। अगर यह कंसेप्ट हमारे समाज में आता है तो रेप के केसों में गिरावट आ सकती है।
घर से शुरुआत करने की जरूरत
घर से आप इस चीज की शुरुआत कर सकतें है। आप अपने बेटे को यह चीज सिखाए कि कंसेंट बहुत जरूरी है। किसी लड़की के साथ रिलेशन बनाने से पहले उसकी कंसेंट जाने। ऐसे पागलपन में आकर आप लड़की के पीछे ना घूमे। अगर वे आपके साथ कोई संबंध नहीं बनाना चाहती है तो उस चीज़ को स्वीकार करें।