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Female Orgasm: ट्रेडिशनल तरीकों के बिना करें ऑर्गैज़्म का एक्सपीरियंस

ऑर्गेज़्म तक पहुंचने के लिए सेक्स ज़रूरी नहीं है और आउटर-कोर्स एक बेहतर विकल्प हो सकता है। चलिए देखते हैं कि आउटर-कोर्स क्या है और यह सेक्स से बेहतर कैसे हो सकता है।

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Niharikaa Sharma
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organsm without traditional methods

Image Credit- Freepik

Orgasm Even Without Traditional Methods: हाल ही में एक स्टडी में पाया गया कि महिलाओं को ऑर्गेज़्म तक पहुंचने के लिए क्लिटोरल उत्तेजना (clitoral stimulation) जरूरी है। बहुत सी महिलाएं यह मानती हैं कि ऑर्गेज़्म तक पहुंचने के लिए सेक्स ज़रूरी नहीं है और आउटर-कोर्स एक बेहतर विकल्प हो सकता है। कुछ के लिए, आउटर-कोर्स, पेनेट्रेशन (Penetrations) को छोड़कर, सब कुछ है, सेक्स पर ही ध्यान केंद्रित करने की बजाय। चलिए देखते हैं कि आउटर-कोर्स क्या है और यह सेक्स से बेहतर कैसे हो सकता है।

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ट्रेडिशनल तरीकों के बिना करें ऑर्गैज़्म का एक्सपीरियंस

क्‍या है आउटरकोर्स सेक्‍स 

आउटरकोर्स सेक्स (Outercourse Sex) को सुरक्षित सेक्स के रूप में जाना जा सकता है, जैसे कि इंटरकोर्स का एक प्रकार। इसमें पेनेट्रेशन, यानी किसी भी तरह का प्रवेश, शामिल नहीं होता। नॉन-पेनिट्रेटिव सेक्स मेनली सेक्स ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन (STIs) के खतरे को कम करता है और अधिकतर महिलाओं को ऑर्गेज़्म का आनंद दिलाता है। इसे बाकी सेक्स के विकल्पों के समान ज्यादा फायदेमंद और आरामदायक माना जाता है, एस्पेशली बड़ी उम्र की महिलाओं के लिए। इस सेक्स के दौरान फिंगर्स, सेक्स टॉय्स और एनल सेक्स का यूज किया जाता है।

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महिलाओं के लिए नेचुरल इंटरकोर्स क्यों जरूरी नहीं है

स्टडी के अनुसार, ज्यादातर महिलाएं सेक्स के दौरान फेक ऑर्गेज़्म महसूस करती हैं। वे अपने पार्टनर को अच्छा महसूस कराने पर ध्यान केंद्रित करती हैं। कुछ महिलाएं अपनी फीलिंग्स को बताने में गिल्टी महसूस करती हैं। हालांकि, आउटरकोर्स सेक्स के दौरान महिलाएं अकेले ही ऑर्गेज़्म महसूस कर सकती हैं, जिससे उन्हें सेक्स की ज़रूरत नहीं होती।

क्‍या है आउटरप्ले सेक्स

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आउटरप्ले सेक्स (Outerplay Sex) और इंटरकोर्स के बीच एक छोटा सामान्य अंतर होता है, जो उन्हें अलग करता है। इसे आप फोरप्ले के तौर पर भी जानते होंगे। फोरप्ले सेक्स एक शुरुवाती एक्टिविटी है जिसके बाद ज्यादा मामलों में पेनिट्रेटिव सेक्स की संभावना होती है। हालांकि, आउटरकोर्स के दौरान पेनिस को शामिल नहीं किया जाता है, इसलिए यह ट्रेडिशनल रिलेशन के बिना ही खत्म हो जाता है। इसलिए, आउटरप्ले सेक्स को फोरप्ले से अलग माना जा सकता है।

आउटरकोर्स सेक्‍स में क्‍या मायने रखता है

आउटरकोर्स सेक्स का मतलब हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है। किसी के लिए सेक्स टॉयज का महत्व हो सकता है, तो किसी के लिए सेक्स वीडियो देखना ही ऑर्गेज्म का कारगर तरीका हो सकता है।

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आउटरकोर्स सेक्स में हो सकते हैं ये तरीके शामिल

मसाज (Massage): कई परिस्थितियों में मसाज करवाना या करना बेहद सेक्सी हो सकता है। मसाज से शादीशुदा पार्टनर्स के बीच नजदीकियां बढ़ सकती हैं और दर्द से भी राहत मिल सकती है। कुछ मोमबत्तियों या मूड लाइटिंग के साथ माहौल को रोमांटिक बनाया जा सकता है। मसाज के लिए आपको सिर्फ गुनगुने तेल की आवश्यकता होगी।

किस (Kiss): इंटिमेसी बढ़ाने में किस का जरूरी योगदान होता है। यह पार्टनर को उत्तेजित करने का एक सरल तरीका हो सकता है। शरीर के अलग-अलग हिस्सों को किस करने से व्यक्ति अपनी फीलिंग्स का इजहार करता है और पार्टनर को आउटरकोर्स के लिए तैयार करता है।

मास्टरबेशन (Masturbation): मास्टरबेशन खुद की संतुष्टि का एक ट्रेडिशनल तरीका है, जिसमें व्यक्ति को यह जानने में मदद मिलती है कि वह किस जगह को छूना पसंद करता है और वह अपने ऑर्गेज्म तक पहुंच सकता है। इसके लिए आप और आपका पार्टनर किस, हग और सेक्स के अलग पोजिशंस का आनंद ले सकते हैं।

सेक्स टॉयज (Sex Toys): महिलाएं जिस प्रकार की उत्तेजना की अपेक्षा रखती हैं, उसे सेक्स टॉयज से पूरा किया जा सकता है। यदि आप बिना पेनिट्रेशन के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन को उत्तेजित करना चाहती हैं, तो वाइब्रेटर की मदद से आप ऑर्गेज्म तक पहुंच सकती हैं।

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