New Update
नीचे कुछ चौंकाने वाले आंकड़े दिए गए हैं जो सिस्टम की कमियों को दिखाता हैं
1. भारत में 71% लड़कियां अपने पहले पीरियड होने से पहले मेंस्ट्रुएशन से अनजान होती हैं।
2. सरकारी एजेंसियों के अनुसार, भारत में 60% किशोरियां मेंस्ट्रुएशनके कारण स्कूल जाना छोड़ देती हैं।
3. लगभग 80% महिलाएं अभी भी घर पर बने पैड का इस्तेमाल करती हैं।
पीरियड पॉवर्टी मतलब, जब पीरियड्स प्रॉडक्ट्स खरीदना किसी भी महिला के लिए महंगा सौदा बन जाए। लेकिन पीरियड पॉवर्टी केवल सैनिटरी नैपकिन और टैम्पोन अफ़्फोर्ड न कर पाना नहीं है, बल्कि इसका मतलब स्वच्छ शौचालय और पानी की अनुपलब्धता से भी है।
पीरियड पॉवर्टी को ख़त्म करना क्यों ज़रूरी हैं ?
पीरियड पॉवर्टी की सबसे बड़ी चिंता स्वच्छता की है। स्वच्छ शौचालयों और ठीक मेंस्ट्रुअल प्रोडक्ट्स न मिलने की वजह से महिलाओं को कई रिप्रोडक्शन और Sexual Diseases का सामना करना पड़ता हैं।
UNICEF की रिपोर्ट के मुताबिक़, खराब मेंस्ट्रुअल हाईजीन फिजिकल हेल्थ पर बुरा प्रभाव डालता है, जो रिप्रोडक्शन और यूरिनरी ट्रैक्ट के इन्फेक्शन से जुड़ी हुई होती है। इसलिए, लड़कियों को उनके पीरियड्स के दौरान स्वच्छ पानी और सस्ते या फ्री पीरियड्स प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराए जाने चाहिए। अगर महिलाओं की इन प्रोडक्ट तक पहुंच होगी तो बैक्टीरियल वेजाईनोसिस जैसे रोगों की संभावना को कम किया जा सकता है।
पीरियड पॉवर्टी को ख़त्म करने के लिए गूंज जैसे कई NGO दे रहे हैं साथ
सरकार के साथ-साथ गूंज जैसे कई NGO पीरियड से जुड़े टैबू ब्रेक कर रहे हैं और महिलाओं को मेंस्ट्रुएशन के प्रति जागरुक कर रहे हैं। इनका मोटिव यूथ को मेंस्ट्रुएशन के बारे में अधिक जागरूक बनाना और इससे सम्बंधित स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने में मदद करना है।
पढ़िए : पीरियड्स क्रैम्प्स को कम करने के लिए 5 आसान योगा पोज़