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COVID- 19: जब तक वैक्सीन नहीं आती , बच्चों को स्कूल भेजना असुरक्षित है - भारतीय पेरेंट्स

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Swati Bundela
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कोरोना वायरस ने जैसे पूरी दुनिया को ही पलटकर रख दिया है। हर जगह लोगों के बीच डर और तनाव का माहौल है।  सब कुछ रुका हुआ है। जहाँ धीरे -धीरे लॉकडाउन के बाद से सब शरू हो रहा है वहीँ यह भी कहा जा रहा है कि स्कूल और कॉलेज जल्दी खुलने वाले हैं।

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बच्चों की पढ़ाई पर असर



स्कूल बंद होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर असर हो रहा है। इम्पोर्टेन्ट लर्निंग रुकी हुई है और बच्चे और माता पिता घर बैठे बैठे परेशान हो रहे हैं। अब इन सब के बीच सबसे एहम सवाल यह है की स्कूल कब खुलेंग। सारे पेरेंट्स इस बात से चिंतित है की बेशक स्कूलों ने ऑनलाइन क्लासेज शुरू कर रखी हैं पर होम स्कूलिंग और पूरा टाइम स्क्रीन्स के आगे बैठने से क्या बच्चे सही तरीके से सब कुछ सीख पाएंगे। काफी सारे माता -पिता स्कूल की फीस को लेकर भी चिंतित हैं।
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पेरेंट्स में डर का माहौल



स्कूलों को लेकर पेरेंट्स और बच्चे सभी के बीच ही असमंजस का माहौल है।  किसी को नहीं पता की स्कूल कब शुरू होंगे और लाइफ पटरी पर कब दोबारा सेटल होगी। इसी बीच शी दपीपल ने कुछ पेरेंट्स से बात की और जाने उनके विचार स्कूलों के दोबारा शुरू होने पर।
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सभी पेरेंट्स के बीच डर का माहौल है।  कुछ माता -पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए सहमत नहीं है। उनका कहना है की जब तक वैक्सीन नहीं बन जाती तब तक बच्चों को स्कूल भेजकर उनकी जान खतरे में नहीं डाली जा सकती है।



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और पढ़ें: UNICEF की रिपोर्ट: कोरोनावायरस लॉकडाउन से बच्चों की पढ़ाई पर असर

पेरेंट्स की राय

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ऑथर यामिनी पुस्तके का कहना है की इस समय स्कूलों को खोलना बिलकुल भी सही नहीं है। अगर ऑनलाइन क्लासेज सही तरीके से चल रही हैं तो स्कूल खोलना बिलकुल भी सही नहीं होगा। जब तक कोविद 19  थोड़ा सा भी खतरा हो तब तक स्कूल खोलना अकल्मन्द फैसला नहीं होगा वो भी तब जब भारत में बढ़ते दिनों के साथ केस भी बढ़ते ही जा रहे हैं।

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एडिटर दीपशिखा चक्रबर्ती कहती हैं की वो अपने बच्चे को तब तक स्कूल नहीं भेजेंगी जब तक हालत पूरी तरह से सेफ न बन जाए। उनका कहना है की हाँ ऑनलाइन क्लासेज लेना बच्चों और टीचर्स दोनों के लिए ही मुश्किल है पर सब कोशिश कर रहे हैं हालत को बेहतर बनाने की। स्कूल खोलने के लिए इतनी जल्दी मचाना क्या सही होगा जब तक की इस बीमारी को ठीक करने के लिए वैक्सीन न मिल जाए।

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सोशल मीडिया पर भी ये एक ज़रूरी मुद्दा है पर बच्चों के जीवन को जोखिम में कोई माता पिता नहीं डालना चाहते.



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