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Sexist Things: बंद कीजिए अपनी बेटियों को यह 5 चीजें कहना

हमारा समाज महिलाओं और लड़कियों से काफी सारी अपेक्षाएं रखता है और वह चाहता है कि वे लोग उनकी अपेक्षाओं पर खरी भी उतरे लेकिन यह बोझ आखिर वो कब तक झेलती रहेगी? आइए जानते हैं इस ब्लॉग के जरिए

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Aastha Dhillon
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ओपिनियन

Stop saying these 5 sexist things

Sexist Things: हमारा समाज महिलाओं और लड़कियों से काफी सारी अपेक्षाएं रखता है और वह चाहता है कि वे लोग उनकी अपेक्षाओं पर खरी भी उतरे लेकिन यह बोझ आखिर वो कब तक झेलती रहेगी? क्यों उनसे ऐसी बेबुनियादी अपेक्षा रखी जाती है।

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Sexist Things: बंद कीजिए अपनी बेटियों को यह 5 चीजें कहना 

1.शादी शादी शादी

अक्सर देखा जाता है कि लड़कियों को 18 साल की होते ही बार-बार कहा जाता है कि उनका समय तो आ गया है कि अब उनके हाथ भी पीले कर दिए जाए। अगर कोई लड़की आगे पढ़ना चाहती है और वह तैयार नहीं है शादी के लिए तो सिर्फ समाज ही नहीं उसका परिवार भी उस पर ढेर सारे अनचाहे बंधन डालने लगता है। समस्या यह है कि क्यों उसे अपनी मर्जी का मालिक नहीं बनने दिया जाता? क्यों यह चाहा जाता है कि वह जल्दी से एक अनचाहे बंधन में बंध जाए।

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यह एक गंभीर समस्या है जो काफी लड़कीयों को देखनी पड़ती है। अगर वे अपने रिश्तेदार के यहां शादी में जाती है तो वहां भी उन्हें अक्सर यह पूछ-पूछ कर परेशान किया जाता है कि उन्होंने अब तक शादी क्यों नहीं की।

2. छह बजे से पहले घर आ जाओ

काफी लोग तो लड़कियों का करैक्टर उनके घर वापिस आने के समय से नापते है। एक घड़ी की सुई यह डिसाइड(decide) करती है की लड़की करैक्टर लेस है या कैरेक्टर फुल। साथ ही साथ अगर कोई कामकाजी महिला या आपकी अपनी बेटी-बहन जो ऑफिस में काम करती है और अगर उनकी night shift है तो परिवार वाले उसे जॉब छोड़ देने तक को मजबूर कर देते हैं। सिर्फ इसलिए कि अगर वह 6 बजे के बाद घर से बाहर रही तो character less हो जाएगी? पता नहीं ऐसे बेतुके विचार society अपने दिमाग से कब निकालेगी।

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3.अरे! यह क्या पहन लिया!

हमारे संविधान ने तो हमें rights दे दिए हैं, आजादी दे दी हैं लेकिन समाज के कुछ ठेकेदार आज भी लड़कियों की आजादी को अपनी मुट्ठी में रखना चाहते हैं। वे चाहते हैं की लड़कियां उनके कहे अनुसार कपड़े पहनने जैसा भी कहते हैं उसी रंग ढंग से चले और जहां वे चाहते हैं बस वही जाए। ऐसे लोग अगर कभी अपने आप में झांके तो ढेर सारी कमियां दिखाई देंगी लेकिन शायद इसी को छुपाने के लिए लड़कियों का सहारा लेते हैं और उन्हें चारदीवारी में रखने का हर संभव प्रयास करते हैं। कौन उन्हें समझाएं कि लड़कियों के कपड़े पहन लेने से उनकी इज्जत नहीं जा सकती। अगर हमें कुछ बदलने की जरूरत है तो वह लड़कियों के छोटे कपड़े नहीं बल्कि उनकी अपनी छोटी सोच है।

4. अपनी हदों में रहो

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काफी सशक्त लड़कियों चाहती है कि कि कोई भी उन पर किसी भी तरह का लेबल ना लगाएं। चाहे वह शादी कर लेते हैं उनके पार्टनर के नाम का। शादी के बाद तो उस लड़की से यह है उम्मीद की जाती है कि मैं अपना सरनेम छोड़कर अपने हस्बैंड का सनी ले ले। लेकिन उससे पहले भी अगर कोई लड़की अपनी पसंद से किसी को दिल कर रही है कि समाज वाले उससे उस पर एक लेबर लगा देते हैं एक पेग लगा देते जो कि गलत है। अगर कोई लड़की इस बात का विरोध भी करती है तो उसे कहा जाता है कि अपने हाथों में रहो लेकिन आखिर कौन है हदों का मालिक !

5. छी इसने तो लिपस्टिक लगाई है।

अगर कोई लड़की शादी से पहले मेकअप करती है तू काफी गंदे नामों से बुलाया जाता है। एक लड़की अपनी पसंद का काजल नहीं लगा सकती क्यों अपने बालों को अपने पसंद की स्टाइल में नहीं बन सकती उससे अधिकार है अपनी पसंद के अनुसार अपनी जिंदगी को जीने का।

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