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What impact is the "always stay busy" mindset having on women's mental health?: आजकल सोशल मीडिया और करियर की दुनिया में यह सोच फैल गई है कि अगर आप हर वक्त फ्री रहते हैं या कुछ नहीं करते तो, आप सफल नहीं हैं। यह दबाव महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करता है, चाहे वे गृहिणी हों, कामकाजी हों या छात्रा। हर किसी से उम्मीद की जाती है कि वे हर समय व्यस्त रहें। लेकिन क्या इस लगातार बिज़ी रहने की आदत का उनकी मानसिक सेहत पर असर नहीं पड़ता?
"हर समय बिज़ी रहो" वाली सोच से औरतों की मेंटल हेल्थ पर क्या असर पड़ रहा है?
सोशल मीडिया और दबाव
सोशल मीडिया पर महिलाएं अक्सर दूसरी महिलाओं को देखकर अपनी तुलना करने लगती हैं, "वो तो कितना कुछ कर रही है, मैं क्यों नहीं?" ऐसी तुलना से महिलाओं का भरोसा कम होने लगता है और वे एक ऐसी दौड़ में लग जाती हैं, जिसमें सफलता का कोई साफ मतलब नहीं होता। बार-बार की ये तुलना और दिखावा उनकी मानसिक सेहत को धीरे-धीरे कमजोर कर देता है।
दोहरी जिम्मेदारी और मानसिक थकावट
जो महिलाएं लगातार घर और ऑफिस दोनों संभाल रही हैं, वे कई बार थकावट और तनाव का शिकार हो जाती हैं। इसका असर उनके मूड, नींद और भावनाओं पर दिखने लगता है, जैसे चिड़चिड़ापन, थकान और नींद न आना। जब शरीर और दिमाग को पूरा आराम नहीं मिलता, तो यह धीरे-धीरे उनके व्यवहार और रिश्तों पर भी असर डालता है।
मानसिक सेहत और आराम की अहमियत जाननी जरूरी है
हर इंसान को मानसिक शांति और आराम की जरूरत होती है, और महिलाएं भी इससे अलग नहीं हैं। काम में व्यस्त रहना ठीक है, लेकिन हर समय खुद को थकाते रहना सही नहीं है। महिलाओं को समझना चाहिए कि उनका महत्व इस बात से कम नहीं होता कि वे थोड़ा वक्त अपने लिए निकालें या आराम करें।
खुद के लिए समय निकालना जरूरी है
जब कोई महिला अपने लिए थोड़ा समय निकालती है, जैसे किताब पढ़ना, गाने सुनना या बस आराम करना, तो लोग उसे ऐसा महसूस कराते हैं कि वो समय बर्बाद कर रही है। धीरे-धीरे वो खुद भी सोचने लगती है कि क्या वो गलत कर रही है। इसी सोच से उसका आत्मविश्वास कम होने लगता है और उसे तनाव, चिंता या उदासी जैसी परेशानियां घेरने लगती हैं।
छोटे बदलावों से मानसिक सुकून पाएं
अक्सर जब महिलाएं अपने लिए थोड़ा वक्त निकालती हैं, तो उन्हें लगता है जैसे कुछ गलत कर रही हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि आराम करना और खुद का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। हर काम की जिम्मेदारी लेना जरूरी नहीं होता। इसलिए बिना किसी बोझ के थोड़ा आराम करें, जरूरत पड़े तो 'ना' कहें, दिल की बात किसी अपने से शेयर करें और कभी-कभी सोशल मीडिया से दूर रहें। ये छोटे-छोटे कदम दिमाग को सुकून दे सकते हैं।