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चुनावों में महिलाओं की ज्यादा भागीदारी से उन्हें क्या फायदे मिल सकते हैं?

ब्लॉग: महिलाओं की चुनावों में अधिक भागीदारी से उनकी आवाज़ को मजबूती मिलती है, नीति निर्माण में उनकी भूमिका बढ़ती है, और समाज में उनकी भूमिका मजबूत होती है। इससे न केवल लैंगिक समानता को बढ़ावा मिमिलता है, बल्कि समाज अधिक समावेशी बनता है।

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Rajveer Kaur
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Women in election

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The Power of Women's Voices in Elections: इस बात में कोई शक नहीं है की राजनीति में अभी भी मेल डोमिनेंस है लेकिन अगर महिलाएं अपनी भागीदारी को चुनाव में बढ़ाती है तो इससे यह समस्या भी धीरे-धीरे कम हो सकती है। इसके लिए महिलाओं को आगे आना पड़ेगा और अपनी रुचि दिखानी पड़ेगी। अगर हम डेटा देखें तो चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या में पिछले 15 सालों में धीरे-धीरे बढ़ोतरी देखी गई है। 18वीं लोकसभा में 74 महिला सांसद हैं जबकि 16वीं लोक सभा में यह संख्या 64 थी।

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चुनावों में महिलाओं की ज्यादा भागीदारी से उन्हें क्या फायदे मिल सकते हैं?

सशक्तिकरण

ज्यादा भागीदारी करने से महिलाओं को सशक्तिकरण में बहुत मदद मिलेगी क्योंकि उनकी समाज में स्थिति मजबूत होंगी। जब एक वोटर या नेता के रूप में महिलाएं आगे आता है तो यह सशक्त कदम होता है क्योंकि पितृसत्तात्मक सोच के कारण आगे नहीं आने दिया जाता है। वही जब एक महिला आगे आती है तो यह आसान बात नहीं होती है।

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प्रतिनिधित्व बढ़ेगा 

जब अधिक महिलाएं मतदान करती हैं या चुनाव लड़ती हैं, तो यह सुनिश्चित होता है कि महिलाओं के मुद्दों को बेहतर ढंग से प्रतिनिधित्व मिलेगा। यह महिलाओं के विशेष हितों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, और लैंगिक समानता को राजनीतिक एजेंडे में शामिल करने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही रूढ़िवादी सोच को भी मुंहतोड़ जवाब मिलेगा और अन्य महिलाओं के लिए भी राजनीति में रास्ते खुल जाएगे।

नीति निर्माण में प्रभाव

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महिलाओं की अधिक भागीदारी के साथ, नीतियों में लैंगिक संवेदनशीलता बढ़ती है। महिला नेताओं या महिला मतदाताओं की जरूरतों और दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए कानून और नीतियाँ बनाई जा सकती हैं लेकिन इसके लिए महिलाओं का खुद आगे आना बहुत जरूरी है क्योंकि जब संसद में पुरुषों के समक्ष महिलाएं भी अपना पक्ष रखेंगी तो महिलाओं के लिए अच्छी नीतियों सामने आ सकती हैं और उन्हें सिर्फ चुनाव के समय पर याद नहीं किया जाएगा।

समाज में बदलाव

महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ने से लैंगिक रूढ़ियों और भेदभाव को चुनौती मिलती है जैसे समाज में पुरुष प्रधानता कम होने लगेगी।.महिलाओं की शिक्षा और करियर के ऊपर ज्यादा फोकस किया जाएगा। इसके साथ ही महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होने लगेगी। लिंग के आधार पर महिलाओं के साथ होने वाला भेदभाव कम हो जाएगा क्योंकि राजनीति में महिलाओं के आने से बहुत सारे बराबर मौके पैदा हो सकते हैं। यह समाज में लैंगिक समानता के प्रति जागरूकता और स्वीकार्यता बढ़ाता है।

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आर्थिक मजबूती 

जब महिलाएं राजनीति में अधिक ऐक्टिव होंगी तो उनके पास अपने आर्थिक हितों को बेहतर ढंग से प्रभावित करने का अवसर होता है। इससे महिला उद्यमियों (Women Entrepreneurs) श्रमिकों और पेशेवरों को लाभ मिल सकता है। इस कारण महिलाओं की खुद पर स्वायत्ता भी बढ़ेगी। उन्हें अपने फैसलों के लिए किसी के ऊपर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।

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