फेमिनिज्म के बारे में हमारे समाज में अभी भी बहुत सारी अवधारणाएं हैं बहुत सारे लोग इस महिलाओं पर आधारित एक कॉन्सेप्ट समझ लेते हैं जिसमें सिर्फ महिलाओं की हक की बात होती है। इसके साथ यह भी समझ लिया जाता है कि शायद फेमिनिज्म मर्दों को नीचा दिखाने या उन्हें ओवर पावर करने का एक जरिया है।
फेमिनिज्म एक ऐसा कांसेप्ट है जिसमें महिलाओं के प्रति नजरिए को बदलने की बात की जाती है। हजारों सालों से महिलाओं को एक सेक्सुअल ऑब्जेक्ट की तरह देखा जाता है। इसके साथ उन्हें कमजोर दिखाया जाता है। महिलाओं को पिंक कलर पसंद होता है या फिर महिलाएं सिर्फ घर के काम के लिए होती है अगर उन्हें बाहर भी जाना तो फिर भी घर का काम उनकी जिम्मेदारी है।
इन सब चीजों के प्रति समाज का नजरिया बदलने के लिए फेमिनिज्म का कॉन्सेप्ट आया है। फेमिनिज्म में हम बराबरी की बात करते हैं जिसमें मर्द और औरत के प्रति समाज का नजरिया एक होना चाहिए। इसमें कोई डबल स्टैंडर्ड नहीं होना चाहिए।
Feminism: आज के इस ब्लॉग में हम बात करेंगे ऐसी मैथ्स की जो फेमिनिज्म से जुड़ी हुई है
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मर्दों से नफरत
यह एक बहुत ही आम अवधारणा है। अक्सर यह समझ लिया जाता है जो महिलाएं फेमिनिस्ट होती हैं वह मर्दों को पसंद नहीं करती लेकिन यह बिल्कुल गलत है हम औरतें उन मर्दों की सोच को नहीं पसंद करती जो महिलाओं को सिर्फ एक चीज की तरह देखते हैं उनकी रिस्पेक्ट करना उनकी सोच में शामिल नहीं होता है। -
मदरहुड के खिलाफ
फेमिनिस्ट महिलाओं को मदरहुड के खिलाफ समझ लिया जाता है। यह बिल्कुल गलत सोच है। मदरहुड एक बहुत ही ब्रॉड कॉन्सेप्ट है। इसमें महिला की चॉइस की बात की जाती है कि उसे कब बच्चा चाहिए। मदरहुड का कोई भी जेंडर नहीं होता है। -
मर्दों के अधिकारों को नजरंदाज
फेमिनिज्म के बारे में यह भी सोच ले जाता है कि इसमें मर्दों के अधिकारों की कोई बात नहीं की जाती लेकिन यह एक इक्वलिटी का कांसेप्ट है। जिसमें मर्दों और औरतें दोनों के अधिकारों की बराबर बात की जाती है। -
महिलाएं फेमिनिस्ट होती है
महिलाएं फेमिनिस्ट होती है यह भी समझ में एक अवधारणा है लेकिन ऐसा नहीं है। फेमिनिज्म एक कांसेप्ट है इसका जेंडर से कोई लेना-देना नहीं है। जो व्यक्ति बराबर अधिकारों की बात करता है वह फेमिनिस्ट है।