Tips To Help Handicap People: हमारे समाज में दिव्यांग लोगों को बहुत बेचारा और कमजोर बना कर पेश किया जाता है जबकि वो होते नहीं हैं। उन्हें यह महसूस कराया जाता है कि तुम्हारे अंदर कमी है। तुम बाकी लोगों के जैसे नहीं हो जो कई बार उन्हें दुःख भी पहुंचा देता है लेकिन हमें यह माइंडसेट बदलने की जरूरत है। उनके लिए मदद का हाथ आगे बढ़ाने की जरूरत है। जब हम उनके पास जाएं तो उनके दुख को कम कर सके ना कि हमारा उसे बढ़ावा देने में हमारा योगदान नहीं होना चाहिए। चलिए जानते हैं कि कैसे हम आसपास दिव्यांग लोगों की कैसे मदद कर सकते हैं-
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उन्हें अलग महसूस मत करवाएं
सबसे बड़ी गलती जो हम दिव्यांग लोगों के साथ करते हैं हम उन्हें अलग महसूस करवाते हैं। हमारा उनके साथ जो व्यवहार होता है वो उन्हें यह महसूस करवा देता है कि उनमें कोई कमी है या फिर हमारी तरह पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं है। यह बिल्कुल नहीं करना है। उनके साथ बाकी लोगों के जैसा ही व्यवहार करें जैसे हम आम लोगों के साथ करते हैं। इससे उन्हें अच्छा महसूस होगा।
खुद से अंदाजा मत लगाएं
हमें खुद से अंदाजा नहीं लगाना चाहिए कि उन्हें किस तरह की सहायता की जरूरत है। सबसे पहले हमें उनसे पूछना चाहिए कि वह किस तरह की सहायता हमसे चाहते हैं। उनके साथ मदद के लिए जबरदस्ती भी मत करें। इससे भी उन्हें बुरा लग सकता है। उन्हें बिल्कुल नॉर्मल तरह से पूछे कि उन्हें किस चीज की जरूरत है या वह किस तरह की सहायता आपसे मांग रही हैं।
Wheelchair को पूछे बिना मत हिलाएं
अगर किसी दिव्यांग से की थे व्हीलचेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है आपको इतनी संवेदनशीलता जरूर रखनी चाहिए कि आप उनसे पूछे बिना उसे आगे या पीछे मत करें क्योंकि यह उनकी बेसिक नीड है इससे उन्हें परेशानी हो सकती है।
उनसे सीधे बात करें
अगर आपको उनके बारे में कुछ भी जानना या पूछना है तो आप उनसे सीधे बात कर सकते हैं। इससे उन्हें खुशी मिलेगी और इसकी बजाय अगर आप उनके केयरटेकर को महत्वता देंगे या फिर खुद से ही मन में दृष्टिकोण बना लेंगे कि उन्हें इस तरह की सहायता चाहिए होगी या फिर वो यह चाहते हैं तो यह आपके और उनके बीच में मिस कम्युनिकेशन पैदा कर सकता है। इससे उनकी फिलिंग्स भी आहत होता हो सकती है।
बच्चों को सिखाएं
नई जनरेशन को सिखाना चाहिए कि कैसे दिव्यांग लोगों के साथ व्यवहार करना है। उनके सामने कैसे पेश आना है और कभी भी उनका मजाक नहीं उड़ाना है। यह बहुत जरूरी है क्योंकि हम नहीं समझ सकते कि वह किन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। उनका हर एक एक्शन हमारे एक्शन से ज्यादा कठिन होता है। वो अपने अंदर ही एक लड़ाई लड़ रहे होते हैं। इसलिए बच्चों को उनकी स्थिति समझना और उनके अंदर एंपैथी पैदा करना बहुत जरूरी है ताकि जब भी वो ऐसे लोगों के साथ पेश आए तो उनके अंदर एक संवेदनशीलता मौजूद हो।
अंत में, दिव्यांगता कोई बीमारी नहीं है या आपकी क्षमता पर विराम नहीं है। आप कुछ भी कर सकते हैं दिव्यांग होना कोई कमजोरी नहीं है लेकिन हमें यह चाहिए कि हम उनके लिए एक सेफ और लविंग प्लेस स्थापित करें जहां पर उन्हें यह महसूस न हो कि उनके अंदर कोई कमी है या वो हम लोगों से अलग है।