Top 5 female freedom fighter of India, whom Indian should never forget: हमारे देश में अधिकतर लोगों को यह नही पता कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने अपने बलिदान, संघर्ष और समर्पण से देश की आजादी के लिए लड़ा और जीता। महिला स्वतंत्रता सेनानियों को भारतीय इतिहास में स्थान देना चहिए। उनके योगदान को हमेशा याद रखना चहिए ताकि हम उनके साहस और प्रेरणा से प्रेरित हो सकें।
भारत की 5 महिला स्वतंत्रता सेनानी (5 Women freedom fighter of India)
1. रानी लक्ष्मीबाई (Rani Lakshmibai)
अगर हम झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की बात करें तो वह 1857 के महान विद्रोह की एक अहम शख्सियत थीं। उन्हें एक उत्साही देशभक्त और एक योद्धा के रूप में याद किया जाता है। अपने पति और बेटे को खोने के बाद, वह उस कानून का विरोध करने में शामिल हो गई, जिसमे कहा था कि झांसी को ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल किया जा सकता है। उन्होंने अंतिम सांस तक अपने देश के लिए लड़ा और फिर देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी।
2. एनी बेसेंट (Annie Besant)
एनी बेसेंट भारतीय नहीं थी, वह एक अंग्रेज थी जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ी। अपनी आत्मकथा में, उन्होंने भारत की अपनी यात्रा और भारत को एक लोकतंत्र बनाने की उनकी इच्छा का वर्णन किया है। वह ऑल इंडिया होम रूल लीग की सह निर्माता थीं लेकिन बाद में उन्हें इस कारण हिरासत में ले लिया गया था। रिहाई के बाद वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष भी बनी।
3. सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu)
उन्हें “भारत की कोकिला” के रूप में जाना जाता है क्योंकि उनकी कई कविताओं ने अनेक भारतीयों को अंग्रेजो का विरोध करने और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े होने के लिए प्रेरणा दी थी। सरोजिनी नायडू महात्मा गांधी की शिस्या थीं और उन्होंने असहयोग आंदोलन में बढ़ावा दिया था। उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष के रूप में चुना गया था और वह यूनाइटेड प्रोविंसेज की राज्यपाल भी बनीं।
4. विजया लक्ष्मी पंडित (Vijaya Lakshmi Pandit)
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने भारतीयों के साथ हो रहे अन्याय और व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाई, उन्होंने इसकी निंदा करने के लिए राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्हें तीन अलग अलग बार जेल भेजा गया था।
5. दुर्गा भाभी (Durga Bhabhi)
दुर्गावती देवी जिन्हे अक्सर दुर्गा भाभी के नाम से जाना जाता है, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ हो रहे स्वतंत्रता के संघर्ष का हिस्सा थीं। उन्होंने 1928 में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन पी साॅनडर्स की हत्या के बाद भगत सिंह को भेष बदलकर लाहौर से भागने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।