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Toxic Male Masculinity: मर्दानगी किस तरह से समाज को नुकसान पंहुचाती है

हमारी सोसाइटी ने मर्दानगी के कई पैमाने बना रखें हैं। ये वो पैमाने हैं जिन पर हर पुरुष को खरा उतरना ही पड़ता है वरना उन्हें ‘नामर्द’ की श्रेणि में डाल दिया जाता है। आइए जानते हैं ऐसे पैमानों के बारे में ब्लॉग के माध्यम से

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Aastha Dhillon
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Toxic Male Masculinity

Toxic Male Masculinity: आपने कई बार ऐसे शब्द सुने होंगे कि 'मर्द को दर्द नहीं होता है' या 'बॉयज डोंट क्राइ'। वास्तव में यह ऐसे शब्द है जिनसे यह साबित होता है कि पुरुषों को हमेशा सख्त रहना चाहिए या दूसरी भाषा में कहें, तो उनकी मर्दानगी कम नहीं होनी चाहिए। पुरुष खुद को हमेशा, बहादुर, असंवेदनशील, तार्किक और निडर पेश करते हैं। बचपन से उन्हें सिखाया जाता है कि वो मर्द हैं और उन्हें किसी भी तरह के इमोशन (emotion) से दूर रहना चाहिए। 

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Toxic Masculinity: जानें टॉक्सिक मर्दाना व्यवहार के टॉक्सिक पैमाने 

वास्तव में इस मर्दाना रवैये को टॉक्सिक मर्दाना व्यवहार या आसान शब्दों में कहें तो पुरुषों का सख्त व्यवहार कहा जा सकता है। इस तरह के व्यवहार से आपको कई गंभीर नुकसान हो सकते हैं।  

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सत्ता मर्दों के हाथ में होनी चाहिए

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मर्द बनने के लिए हाथ में सत्ता का होना बहुत ज़रूरी है इसीलिए परिवार का मुखिया हमेशा पुरुष ही होता है। सच्चा मर्द बनने के प्रोसेस में पुरुषों को राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक सत्ता हासिल करनी पड़ती है। इस वजह से पुरुषों का बाकी जेंडर्स से तो सामना होता ही है, उनमें आपसी लड़ाइयाँ भी होती हैं। सच्चा मर्द वही है जो दूसरों को पावर क्लेम ना करने दें। मर्द हमेशा स्त्रियों को आर्थिक स्वतंत्रता और राजनीति जैसी चीज़ों से दूर रखते हैं ताकि उनकी सत्ता छिन ना जाए। 



लड़के रोते नहीं हैं"

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लड़कों की परवरिश में केवल ग़ुस्सा, हिंसा और बहादुरी जैसी भावनाएं सिखाई जाती हैं। उन्हें प्रेम, दया और करुणा जैसी भावनाओं से कोसों दूर रखा जाता है क्योंकि समाज के मुताबिक ये कमज़ोरों की निशानी है और "मर्द" कभी कमज़ोर नहीं हो सकते। यदि कोई पुरुष रोता हुआ दिख जाए तो उसका 'लड़की' या 'छक्का' बोल कर मज़ाक उड़ाया जाता है। 

लड़कों को रफ़ और टफ़ होना चाहिए"

मर्दों को केवल सख्त और रूड स्वभाव रखने की आज़ादी है। उन्हें हर परिस्थिति का सामना करते आना चाहिए। उन्हें बॉडिली स्ट्रॉंग होना चाहिए। मर्दों को अपने परिवार और बच्चों के प्रति भी स्नेह और ममता रखने का अधिकार नहीं होता। परिवार में वो सिर्फ़ डराने-धमकाने और लोगों को डिसिप्लिन में रखने का काम करते हैं। इस सख़्त स्वभाव का होना, मर्दों की शान के लिए ज़रूरी है, इसी के द्वारा वे संसार में अपना रुतबा कायम करते हैं।

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जानिए 'मर्दानगी' किस तरह से समाज को नुकसान पंहुचाती है -

इससे पुरुषों की इंसानियत खत्म होती है

मर्दानगी के ढाँचे में फिट होते-होते, पुरुष अपनी इंसानियत ही खो बैठते हैं और कई बार क्रिमिनल बन जाते हैं। अपनी एक्सरसाइज़ करने के चक्कर में कई मर्द हैवान हो जाते हैं और बेसिक ह्यूमन वैल्यूज़ भी भूल जाते हैं। 

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मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है 

लोगों के जीवन में ऐसे पुरुष होते हैं जो ख़ुद को मर्द साबित करने में लगे रहते हैं, उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। जिन परिवारों में ऐसे पुरुष होते हैं, वहाँ मुख्य रूप से स्त्रियाँ और बच्चे शोषण का शिकार होते हैं और अकसर डिप्रेशन और एन्गज़ाइटी डिसॉर्डर (Anxiety Disorder) जैसी बीमारियों का सामना करते हैं। 

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