Unique Tradition Of Bhai Dooj In Bihar: भाई दूज भाई-बहन के खूबसूरत रिश्ते का प्रतीक होता है, जिसे बेहद शुभ माना जाता है। यह त्यौहार रक्षाबंधन के स्वरूप मनाया जाता है। जिस प्रकार रक्षाबंधन में बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और बदले में भाई जीवन भर रक्षा करने का वादा करते हैं। ठीक उसी प्रकार भाई दूज के पावन दिन में भी भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वादा करते हैं। हालांकि, इसमें बहनें भाई की कलाई पर राखी ना बांध कर उन्हें तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं। भाई दूज को लेकर अलग-अलग जगह पर अलग-अलग परंपराएं प्रचलित हैं। जिसमें बिहार के लोगों द्वारा भाई दूज एक खास परंपरा के अनुसार मनाई जाती है। इस खूबसूरत परंपरा के तहत बहनें अपने भाई को बजरी खिलाती हैं। हालांकि, परंपराएं कितनी भी हो लेकिन इन सारे परंपराओं में सबसे खास जो है, वह है- भाई व बहन का प्यार। जो दुनिया का सबसे अटूट व प्यारा बंधन होता है।
क्यों मनाते हैं भाई दूज?
पौराणिक कथा के मुताबिक सूर्य देव की दो संतान यम और यमी, जो दोनों भाई-बहन थे। यमुना अपने भाई यमराज से बेहद स्नेह करती थी और निवेदन करती थी कि वह उनके घर आकर भोजन करें, लेकिन वो व्यस्त होने के कारण अपनी बहन यमुना की बातों को टाल देते थे। एक दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक अपने भाई यमराज को खड़ा देखकर काफी हर्ष विभोर हो गई और अपने भाई का खूब आदर सत्कार की। जिसके बाद यमराज ने भोजन ग्रहण किया। इस पर यमुना ने कहा कि जो भी बहनें इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करेंगी, उसे तुम्हारा भय नहीं रहेगा, तभी से भाई दूज की परंपरा शुरू हो गई।
बिहार में भाई दूज से जुड़ी परंपराएं
- बिहार में भाई दूज की अनोखी परंपराएं हैं। जिसमें बहनें अपने भाइयों को पारंपरिक तरीके से बजरी खिलाती हैं। इसके पीछे मान्यता है कि बजरी खिलाने से भाई को ताकत मिलती है। जिससे उनका शरीर मजबूत होता है।
- इस दिन बिहार में बहनें अपने भाइयों को पहले खूब कोसती हैं। फिर अपने जीभ पर कांटा से चुभा कर अपनी गलती के लिए भगवान से माफी मांगती है। ऐसी मान्यता है कि भाइयों को कोसने से उन्हें मृत्यु का भय नहीं रहता है।
- वहीं, बिहार के कुछ क्षेत्रों में भाई दूज पर बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनके हाथ में पान के अंदर सुपारी रखकर भगवान यम और माता यमुना की आराधना करती है।
- भाई दूज पर यहां गोधन कूटने की भी प्रथा है। जिसमें बहनें भाइयों के लंबी उम्र के लिए गोधन कूटती हैं। इसके लिए सारी महिलाएं एक साथ एकत्र हो जाती हैं और पारंपरिक गीत गाते हुए मुसल से गोबर से बने गोधन व गोधनी की आकृति को कूटती है।
- नेपाल से सटे हुए बिहार के कुछ क्षेत्रों में भाई दूज को तिहाड़ व टीका नाम से जाना जाता है। जिसमें बहनें अपने भाइयों के माथे पर सात अलग-अलग रंगों से तिलक लगाती हैं और लंबी आयु की कामना करती है।