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वजाइना शरीर का एक ऐसा हिस्सा है जिस पर कई लोग बात करने से हिचकते हैं जबकी यह हमारे शरीर का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा है। ज्यादातर महिलाएं इस विषय से शर्माती हैं या शर्मिंदा हो जाती हैं, लेकिन इसमें शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं है। और शर्म की वजह से हम अपनी बॉडी के इतने महत्वपूर्ण पार्ट को अच्छी तरह जान नहीं पाते।
कितनी ही महिलाएँ और पुरुष वजाइना, वल्वा (Vulva) और क्लिटोरिस (Clitoris) में फर्क नहीं जान पाते और इसे एक ही पार्ट समझ बैठते हैं। तो आइए जानते हैं की यह तीनों एक-दूसरे से कितने अलग हैं और इनका हमारी बॉडी में क्या महत्व हैं।
वजाइना हमारे शरीर के अंदर की एक मस्कुलर कैनाल है, जो (Uterus) से जुड़ी होती है। जो हिस्सा बाहर की तरफ होता है जो आपके कपड़ों को छूता है वह vulva है। आपकी वजाइना के बाहरी सारे अंग प्युबिक हेयर से घिरे होते हैं जो एक मैकेनिकल बैरियर के तौर पर और वजाइना की सेंसिटिव स्किन की सुरक्षा के लिए काम करते है। सेक्स के दौरान पेनिस का penetration भी वजाइना में होता है, ना की वल्वा में।
कई लोग मानते हैं कि उन्हें अपने वजाइना के स्मेल को बदलने के लिए प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने की जरुरत है, लेकिन इन सबकी जरूरत नहीं होती है। यह एक सेल्फ-क्लीनिंग अंग है जो एक लिमिट में अपनी सफाई खुद करती है।
हमारी वजाइना में “गुड” बैक्टीरिया पाया जाता है , जो इसे स्वस्थ रखने में मदद करता है। ये बैक्टीरिया वजाइनल इको-सिस्टम को हेल्थी रखने के लिए एक साथ काम करते हैं और साथ ही वजाइना के Ph बैलेंस को भी नियंत्रित रखते हैं।
फीमेल सेक्सुअल पार्ट के दो हिस्से होते हैं, जिसमें बाहरी हिस्सा वल्वा(vulva) और भीतरी हिस्सा वजाइना होती है। वल्वा देखने में होंठ जैसा होता है। बाहरी होंठ या बड़े होंठ को लेबिया मेजोरा कहते हैं और भीतरी होंठ यानि छोटे होंठ को लेबिया माइनोरा कहते हैं।
वल्वा, यानी की वजाइना के बाहरी और भीतरी लैबिया, बैक्टीरिया, वायरस या कुछ और हानिकारक चीज़ को अंदर आने से रोकने में मदद करते हैं। जब आप सेक्स के लिए उत्तेजित होती हैं तो यह लैबिया गीलापन पैदा करते हैं ताकि आपकी वजाइना में नमी आ जाए।
हालांकि वे सभी बैक्टीरिया को तो दूर नहीं रख सकते, इसलिए सुरक्षित सेक्स संबंध रखना और कंडोम का इस्तेमाल करना बहुत ज़रूरी है।
क्लिटोरिस का सिर भीतरी लैबिया के ऊपर होता है यानी जहां दोनों लैबिया मिलते हैं। यह लगभग तीन से आठ मिलीमीटर तक के एक छोटे गांठ के जैसा होता है। इसकी बनावट पुरूषों के पेनिस की तरह होती है, जिसमें एक सिर होता है जो छूते ही बहुत उत्तेजित (stimulate) हो जाता है।
क्लिटोरिस सबसे ज़्यादा सेक्स और मास्टरबेशन के वक़्त pleasure देने वाला पार्ट है क्योंकि असल में यह बस इसी लिए होता है। इसकी नोक आपके शरीर के बाहर होती है, लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा अंदर की तरफ छिपा हुआ होता है।
क्लिटोरिस एक मटर के जितना बड़ा होता है, लेकिन यह मटर से भी छोटा हो सकता है और इसकी नोक थोड़ी ढकी हो सकती है। एक महिला के क्लिटोरिस का रंग उसकी त्वचा के रंग पर निर्भर करता है। यह गुलाबी, गहरा लाल, या भूरा हो सकता है।
हमारे क्लिटोरिस में 8,000 से भी ज़यादा nerve endings होते हैं जिससे यह बॉडी का सबसे ज्यादा संवेदनशील हिस्सा होता है।
अगर क्लिटोरिस को रगड़ा जाए, झटका दिया जाए या तो यह थोड़ा बड़ा हो जाता है और इससे काफी अच्छा pleasurable महसूस होता है। इसके ज़्यादा देर तक छुए जाने पर आप ऑर्गसम तक भी पहुंच सकती हैं।
और पढ़ें: क्या मेरी वजाइना से डिस्चार्ज का होना नॉर्मल है?
कितनी ही महिलाएँ और पुरुष वजाइना, वल्वा (Vulva) और क्लिटोरिस (Clitoris) में फर्क नहीं जान पाते और इसे एक ही पार्ट समझ बैठते हैं। तो आइए जानते हैं की यह तीनों एक-दूसरे से कितने अलग हैं और इनका हमारी बॉडी में क्या महत्व हैं।
वजाइना क्या होती है?
वजाइना हमारे शरीर के अंदर की एक मस्कुलर कैनाल है, जो (Uterus) से जुड़ी होती है। जो हिस्सा बाहर की तरफ होता है जो आपके कपड़ों को छूता है वह vulva है। आपकी वजाइना के बाहरी सारे अंग प्युबिक हेयर से घिरे होते हैं जो एक मैकेनिकल बैरियर के तौर पर और वजाइना की सेंसिटिव स्किन की सुरक्षा के लिए काम करते है। सेक्स के दौरान पेनिस का penetration भी वजाइना में होता है, ना की वल्वा में।
कई लोग मानते हैं कि उन्हें अपने वजाइना के स्मेल को बदलने के लिए प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने की जरुरत है, लेकिन इन सबकी जरूरत नहीं होती है। यह एक सेल्फ-क्लीनिंग अंग है जो एक लिमिट में अपनी सफाई खुद करती है।
हमारी वजाइना में “गुड” बैक्टीरिया पाया जाता है , जो इसे स्वस्थ रखने में मदद करता है। ये बैक्टीरिया वजाइनल इको-सिस्टम को हेल्थी रखने के लिए एक साथ काम करते हैं और साथ ही वजाइना के Ph बैलेंस को भी नियंत्रित रखते हैं।
वल्वा (Vulva) किसे कहते हैं?
फीमेल सेक्सुअल पार्ट के दो हिस्से होते हैं, जिसमें बाहरी हिस्सा वल्वा(vulva) और भीतरी हिस्सा वजाइना होती है। वल्वा देखने में होंठ जैसा होता है। बाहरी होंठ या बड़े होंठ को लेबिया मेजोरा कहते हैं और भीतरी होंठ यानि छोटे होंठ को लेबिया माइनोरा कहते हैं।
वल्वा, यानी की वजाइना के बाहरी और भीतरी लैबिया, बैक्टीरिया, वायरस या कुछ और हानिकारक चीज़ को अंदर आने से रोकने में मदद करते हैं। जब आप सेक्स के लिए उत्तेजित होती हैं तो यह लैबिया गीलापन पैदा करते हैं ताकि आपकी वजाइना में नमी आ जाए।
हालांकि वे सभी बैक्टीरिया को तो दूर नहीं रख सकते, इसलिए सुरक्षित सेक्स संबंध रखना और कंडोम का इस्तेमाल करना बहुत ज़रूरी है।
क्लिटोरिस (Clitoris) क्या होता है?
क्लिटोरिस का सिर भीतरी लैबिया के ऊपर होता है यानी जहां दोनों लैबिया मिलते हैं। यह लगभग तीन से आठ मिलीमीटर तक के एक छोटे गांठ के जैसा होता है। इसकी बनावट पुरूषों के पेनिस की तरह होती है, जिसमें एक सिर होता है जो छूते ही बहुत उत्तेजित (stimulate) हो जाता है।
क्लिटोरिस सबसे ज़्यादा सेक्स और मास्टरबेशन के वक़्त pleasure देने वाला पार्ट है क्योंकि असल में यह बस इसी लिए होता है। इसकी नोक आपके शरीर के बाहर होती है, लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा अंदर की तरफ छिपा हुआ होता है।
क्लिटोरिस एक मटर के जितना बड़ा होता है, लेकिन यह मटर से भी छोटा हो सकता है और इसकी नोक थोड़ी ढकी हो सकती है। एक महिला के क्लिटोरिस का रंग उसकी त्वचा के रंग पर निर्भर करता है। यह गुलाबी, गहरा लाल, या भूरा हो सकता है।
क्लिटोरिस बेहद सेंसिटिव होता है।
हमारे क्लिटोरिस में 8,000 से भी ज़यादा nerve endings होते हैं जिससे यह बॉडी का सबसे ज्यादा संवेदनशील हिस्सा होता है।
अगर क्लिटोरिस को रगड़ा जाए, झटका दिया जाए या तो यह थोड़ा बड़ा हो जाता है और इससे काफी अच्छा pleasurable महसूस होता है। इसके ज़्यादा देर तक छुए जाने पर आप ऑर्गसम तक भी पहुंच सकती हैं।
और पढ़ें: क्या मेरी वजाइना से डिस्चार्ज का होना नॉर्मल है?