Independence Day: आज की महिला के लिए आज़ादी का मतलब क्या है?

आजादी का मतलब सिर्फ देश की आजादी नहीं है, बल्कि हर इंसान को अपने फैसले खुद लेने की आजादी मिलना भी है। भारत ने 1947 में अंग्रेजों से आजादी पाई, लेकिन सवाल ये है कि क्या महिलाएं आज पूरी तरह आजाद हैं?

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Rajveer Kaur
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What Freedom Looks Like for Women Today: आजादी का मतलब सिर्फ देश की आजादी नहीं है, बल्कि हर इंसान को अपने फैसले खुद लेने की आजादी मिलना भी है। भारत ने 1947 में अंग्रेजों से आजादी पाई, लेकिन सवाल ये है कि क्या महिलाएं आज पूरी तरह आजाद हैं? आज भी महिलाओं को कई तरह की परेशानियां होती हैं, जैसे बाहर रात को जाने में डर और समाज में बने कई नियम। इस लेख में हम जानेंगे कि आज की महिला के लिए आज़ादी का मतलब क्या है-

Independence Day: आज की महिला के लिए आज़ादी का मतलब क्या है?

महिलाओं के लिए चॉइस का संघर्ष

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महिलाओं की डिक्शनरी में "चॉइस" शब्द बहुत कम इस्तेमाल होता है, क्योंकि उनके पास अक्सर इतनी एजेंसी ही नहीं होती कि वे अपने लिए फैसले ले सकें। कभी उनके कपड़े पति को पसंद नहीं आते तो कभी समाज की नज़र में फिट नहीं होते। कभी उनके पहनावे से उन्हें "चरित्रहीन" कह दिया जाता है, तो कभी कहा जाता है कि वे लड़कों को आकर्षित कर रही हैं। अपनी मर्ज़ी से वे चीजें करने की आज़ादी, जो उनका दिल चाहता है। यह हर महिला आज भी मांगती है।

समाज में मौजूद लैंगिक भेदभाव

लैंगिक भेदभाव आज भी हमारे समाज में मौजूद है। वर्कप्लेस पर महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम सैलरी दी जाती है। घर पर उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे करियर छोड़कर घर की ज़िम्मेदारियां संभालें और बच्चे पैदा करें। लेकिन असली आज़ादी तब होगी जब महिला को यह सोचना न पड़े कि, “अगर मैं यह करूंगी तो मुझे इसके लिए जज किया जाएगा।”

अपनी शर्तों पर जीने का सपना

अपनी शर्तों पर जिंदगी जीना आज भी एक महिला के लिए सपना है। इसके लिए महिलाएं लंबे समय से संघर्ष कर रही हैं। एक घर में जब बेटी पैदा होती है, तो कई बार उसके जन्म पर शोक मनाया जाता है। बचपन से ही उसे सिखाया जाता है कि कैसे हंसना है, कैसे चलना है, लड़कों से बात नहीं करनी, ज़्यादा बोलना नहीं, अपना ओपिनियन नहीं रखना। जब महिलाओं को इन सब से आज़ादी मिल जाएगी, तभी वे सच में स्वतंत्र होंगी।

“घर की इज़्ज़त” का बोझ

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घर की “इज़्ज़त” का बोझ आज भी सिर्फ महिलाओं पर डाला जाता है। अगर लड़की के साथ रेप होता है तो कहा जाता है कि “घर की इज़्ज़त चली गई,” जबकि उस लड़के पर उंगली भी नहीं उठती जिसने बिना कंसेंट के यह अपराध किया। जब यह बोझ महिलाओं के सिर से हटेगा, जब उन्हें बराबरी और सम्मान से देखा जाएगा, तब असली आज़ादी अपने आप आ जाएगी।

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