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एक औरत की जिंदगी में दूसरी औरत की क्या भूमिका है?

हमारे समाज में जागरूकता आने से 'फेमिनिज्म' की फिलासफी ने जगह बनाना शुरू किया है जिसमें औरत को सशक्त करने की बातें होती हैं। आइये जानते हैं की कैसे आज के समाज में एक औरत का दूसरी औरत की जिंदगी पर प्रभाव पड़ता है। 

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Rajveer Kaur
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Sisterhood

Image Credit: Freepik

What Is Another Woman's Role In a Woman's Life: हमारे समाज में जागरूकता आने से 'फेमिनिज्म' की फिलासफी ने जगह बनाना शुरू किया है जिसमें औरत को सशक्त करने की बातें होती हैं। मर्द प्रधान सामाज में औरत पर हो रहे अत्याचार की बात होती है लेकिन मर्द और औरत के रिश्ते के साथ-साथ औरत का औरत से रिश्ता भी बराबर की अहमियत का है। एक औरत की जिंदगी बनाने या बिगाड़ने में किसी मर्द के साथ-साथ औरत की भी भूमिका होती है। इस पहलू को अक्सर अनदेखा और अनसुना कर दिया जाता है तो आइये जानते हैं कि कैसे आज के समाज में एक औरत का दूसरी औरत की जिंदगी पर प्रभाव पड़ता है। 

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एक औरत की जिंदगी में दूसरी औरत की क्या भूमिका है?

1. परवरिश के रूप में

मायके में जब से लड़की होश संभालती है तो अपने आसपास माँ, चाची, मौसी, नानी, बड़ी बहन, भाभी जैसे रिश्ते देखती है। ज़िंदगी के पहली साँस से लेकर शादी तक उसका संसार मायका होता है और यहीं पर वह तरह तरह की स्थितियों से गुज़रती है। अगर यह रिश्ते उसे ज़िंदगी में हर मुश्किल से हिम्मत के साथ सामना करने का हौसला दें तो महिला ज़िंदगी के किसी भी उतार चढ़ाव को बिना किसी सहारे के पार करेगी। 

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2. दोस्ती के जरिए

जब से एक महिला खेलना तथा स्कूल जाना शुरू करती है तो उसको दोस्त मिलते हैं। इसके बाद यह दोस्ती स्कूल, कॉलेज, काम इत्यादि पर जारी रहती है। एक अच्छी महिला दोस्त जहां आपको ज़िंदगी की मुसीबतों से जूझते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। वहीं बुरी संगत वाली दोस्त आपको गलत दिशा में लेके जा सकती है। आपको नेगटिव विचारों से भरकर या मनोबल को तोड़ने वाली दोस्त आपकी ज़िंदगी पर नकारात्मक असर ही डालेगी। इसलिए आपको अपनी फीमेल दोस्त को सोच-समझकर को चुनना चाहिए।

3. कामकाज की जगह पर 

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एक महिला जब करिअर शुरू करती है तो यह उसके लिए एक नयी दुनिया में प्रवेश करने जैसा होता है। काम की बारीकियों को सीखने के साथ-साथ निजी ज़िंदगी को बैलेंस करना और अपनी सेहत का ध्यान रखना एक चैलेंज ही होता है। हमारे समाज के ज्यादातर मर्द औरत की मानसिक और शारीरिक स्थितियों को समझने में नाकाम होते हैं। ऐसे में एक सीनियर और सहकर्मी के रूप में एक महिला दूसरी महिला के लिए एक मार्गदर्शक, काउंसलर और हमदर्द बन सकती है।

4. सोशल मीडिया 

आजकल के दौर में हम लोगों को निजी तौर पर मिलने से ज़्यादा उनके साथ ऑनलाइन रुबरु होते हैं। ऐसे बहुत से प्लेटफॉर्म हैं जहां महिलाएँ समय व्यतित या relax होने जाती हैं। यह एक वर्चुअल दुनिया बनके हमारी ज़िंदगी का अटूट हिस्सा बन चुका है लेकिन अक्सर देखा जाता है कि महिलाओं को ऑनलाइन bullying, उत्पीड़न, एब्यूज आदि का सामना करना पड़ता है। ऐसे में एक महिला दूसरी को ऑनलाइन सपोर्ट करे, जरूरत होने पर बातचीत करे तो बहुत सारे मामलों में यह मददगार हो सकता है। इसे उन्हें अकेला नहीं महसूस होगा और इन सब में डील में मदद मिल सकती है।

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5. सुसराल में साथ

जब एक महिला शादी करके ससुराल जाती है तो वह एक नयी दुनिया में प्रवेश करती है जिससे नये लोग और रिश्ते बनते हैं। ऐसे में महिला को अगर सास, नन्द, जेठानी आदि का इमोशनल सपोर्ट मिल जाये तो उसे नए माहौल में एडजस्ट होने में मदद मिलती है। प्रेगनेंसी के समय आने वाली परेशानियां या जॉब और घर बैलेंस करने के चैलेंज आदि में एक महिला के लिए दूसरी महिला बहुत मददगार रहती है।

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